काकी – नीरज श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi
“अरे अब हमारा पिंड क्यों नहीं छोड़ती। ना जाने ये बुढ़िया कब मरेगी? यमराज भी न जाने कहाँ जाकर बैठ गये हैं? रोज़ किसी ना किसी को तो लेकर जाते हैं। अगर इस बुढ़िया को ही लेकर चले जाते तो उनका क्या बिगड़ जाता? इसके रोज-रोज के नखरे से तो मैं तंग आ चुका हूँ। … Read more