बेटी, बेटा एक समान – विमला गुगलानी

सुशीला रसोई में जल्दी जल्दी हाथ चला रही थी और कामवाली रेशमा को भी मन ही मन कोसे जा रही थी।जब भी घर में मेहमान आने हो, ये महारानी छुट्टी करके बैठ जाती है, और ये भी नहीं कि एक दिन पहले बता दे, सुबह ही फोन करेगी।     तभी कौशल जी रसोई में आए और … Read more

साक्षात् दुर्गा – विभा गुप्ता

       ” ये क्या चंदा..आज फिर से…तू एक बार उसका हाथ पकड़कर ऐंठ क्यों नहीं देती।तेरी कमाई खाता है और तुझ पर ही हाथ…।खाली ‘दुर्गा मईया सब ठीक कर देंगी’ कहने से नहीं होता है..दुर्गा बनना भी पड़ता है..।” अपनी कामवाली के चेहरे और हाथ पर चोट के निशान देखकर आरती गुस्से-से उस पर चिल्लाई।       ” … Read more

आग पर तेल छिड़कना – विनीता सिंह

सरला जी ने अपने बेटे की  शादी की थी ,उनकी बहू सुरभि जो की एक पढ़ी-लिखी और समझदार लड़की है। लेकिन दोनों की सोच में जमीन आसमान का अंतर था ।सरला जी जहां परंपरा को मानने वाली और उनका विचार था की बहू को घूंघट में रहना चाहिए, और वहीं दूसरी तरफ सुरभि  खुले विचारों … Read more

आग पर तेल छिड़कना –  हेमलता गुप्ता

मैं तो पहले ही कह रही थी कि नूपुर को  अगर बढ़िया कोचिंग में डलवाते तो यह नतीजा नहीं आता, देख लो जैसे तैसे करके 12वीं पास हुई है! मैंने तो अपनी कृति को सबसे टॉप की कोचिंग में डलवाया था और देखो उसका इस साल ही हो सकता है 12वीं के साथ ही मेडिकल … Read more

कन्या-विदाई – विभा गुप्ता

महाअष्टमी के दिन कन्या-पूजन की खरीदारी के लिये रश्मि मार्केट के लिए निकली तो उसे याद आया कि  कंजिकाओं को विदाई में क्या उपहार दे, इसके बारे में तो तो सोचा ही नहीं।फिर उसे याद आया कि उसकी सहेली नीतू भी कंजिकाओं को बुला रही है, उसका घर रास्ते में ही तो है, उसी से … Read more

संयम जरूरी है – विमला गुगलानी

सुबह के सात बजे होगें, शनिवार की सुबह, नीरजा चाय बनाने के लिए रसोई में गई ही थी कि मोबाईल बज उठा, देखा तो मिनी का फोन था, मिनी यानि की नीरजा और लोकेश की लाडली बेटी। इतनी सुबह फोन और वो भी शनिवार को, मिनी तो छुट्टी वाले दिन दस बजे से पहले बिस्तर … Read more

आप से बाहर होना – रीतू गुप्ता

कविता का दिमाग खराब हो रहा था .. अकेली.लगी पड़ी थी काम पर … त्यौहार आ रहे थे पर मजाल है बच्चे थोड़ा साथ देदे .. बेटा अमन जो कि मोबाइल पर गेम खेल.रहा था…. अमन जब देखो तब मोबाइल देखते रहते हो.. मोबाइल बंद करते हो तो टीवी चला लेते हो …टी.वी बंद तो … Read more

इत्ती सी बात – लतिका श्रीवास्तव

शहर की व्यस्ततम सड़क। भारी ट्रैफिक ।आवाजाही का शोर।ग्रीन सिग्नल की प्रतीक्षा में कतारबद्ध खड़ी गाड़ियां।आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी। अनुराग का धैर्य समाप्ति पर था।उसका इंटरव्यू था ।टाइम पर पहुंचना कितना बहुमूल्य था आज समझ में आ रहा था उसे। कार की स्टीयरिंग में ठहरे हाथ उतावले हो रहे थे।सिग्नल के परमिशन की … Read more

क्रोध – एम पी सिंह

रामलाल एक माध्यम परिवार से था और पढ़ने मैं बहुत तेज। रामलाल के पिताजी सोहनलाल जी प्राइवेट बैंक मे क्लर्क थे और माताजी गृहणी। रामलाल को पढ़ाई के आलावा कोई शौक नहीं था, किसी से भी ज्यादा बातें नहीं करता था, बस अपनी मॉ से लगाव था। वैसे तो सोहनलाल एक नेक इंसान था पर … Read more

इतनी-सी बात – विभा गुप्ता

      ” अम्मा जी..जब दिखता नहीं है तो चुपचाप अपने कमरे में ही क्यों नहीं बैठी रहतीं।इतना मंहगा कप तोड़ दिया आपने..मेरा भाई कनाडा से लाया था..आपके बेटे की तो औकात है नहीं कि इतना मंहगा…। ” प्रमिला अपनी बूढ़ी सास पर बरस रही थी कि तभी उसका देवर निशांत आ गया।माँ पर बरसते अपनी भाभी … Read more

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