घाव हरा करना – सुदर्शन सचदेवा

कालेज का वार्षिकोत्सव था। पूरा कैंपस रोशनी और रंगों में डूबा हुआ था। हर ओर हँसी, संगीत और दोस्तों की बातें। आयुषी भी मंच की तैयारियों में व्यस्त थी। तीन साल बाद वह फिर से कल्चरल टीम की लीडर बनी थी। पर आज कुछ अलग था — उसका दिल अजीब-सा भारी लग रहा था। उसी … Read more

अस्तित्व – लतिका श्रीवास्तव

प्रतिदिन की भांति फिर थानेदार साब अपने कई साथियों के साथ डंडा फटकारते आ गये। ओए रामू …सबको पेशल चाय दे और सब जगह सलोनी लगा रौबदार आवाज कानों में जाते ही यंत्रवत रामू के कांपते हाथ चाय के पतीले की ओर बढ़ गए थे। जल्दी चाय बना एक काम भी ढंग से नहीं होता।तब … Read more

मिताली – गीता अस्थाना

——— शिवेंद्र ने ट्रेन के कोच में भरी पैसेंजर के बीच तेज़ आवाज़ में कहा, ‘ कब तुमने मुझे रुपए दिए ‘ उनकी तेज़ आवाज़ से भयभीत सी होकर नीचे देखने लगी। उसकी आंखों में आंसू आ गए। रात्रि का सफर था, सो वह अपने बर्थ पर जाकर लेट गई। काफी देर तक वह जागती … Read more

उजाला – संध्या त्रिपाठी

     माँ – माँ उठ ना , देख  तो उजाला हो गया ….. मैं जाऊं पटाखा बिनने ? कहां जाएगी बिटिया पटाखा बिनने …..? जहां तू काम करती है ना माँ ….वहीं …  कल देखी थी मेम साहब का बेटा (भैया) खूब पटाखा फोड़े थे….. जरूर दो- चार इधर-उधर बिना फूटे रह गया होगा …!    अरे … Read more

परिवर्तन – खुशी

नरेन्द्र जी का एक बहुत बड़ा पब्लिकेशन हाउस था।जहां नए नए लेखकों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता था और बहुत सारे कर्मचारी उनके यहां काम करते थे।सभी कुछ बहुत अच्छा चल रहा था।घर परिवार में दो बच्चे पीयूष और पायल पत्नी सावित्री और माता पिता दमयंती और लक्ष्मण ।सभी खुश रहते थे और … Read more

उजाला – संध्या त्रिपाठी

 माँ – माँ उठ ना , देख  तो उजाला हो गया ….. मैं जाऊं पटाखा बिनने ? कहां जाएगी बिटिया पटाखा बिनने …..? जहां तू काम करती है ना माँ ….वहीं …  कल देखी थी मेम साहब का बेटा (भैया) खूब पटाखा फोड़े थे….. जरूर दो- चार इधर-उधर बिना फूटे रह गया होगा …!    अरे … Read more

पचास वर्ष बाद :माँ बेटे का मिलन – लतिका पल्लवी 

 बुची की माँ कहा हो ? चलो जल्दी से नई बहू आ गईं है सभी तुम्हारा इंतजार कर रहे है। चलो चलकर अपनी पोता बहू को परीछ कर उतारो।ना बेटा ना मै नई बहुरिया के सामने नहीं जाउंगी। मै आज तुम्हारी एक भी बात नहीं सुनूंगा और ना ही मानूंगा। मै अब बच्चा नहीं रहा, … Read more

करवाचौथ का व्रत – लतिका श्रीवास्तव

बहुरानी पहले करवाचौथ की बधाई सदा सौभाग्यवती रहो खुश रहो सुमित्रा जी ने नवेली बहू नीलम को पैर छूने पर आशीष देते हुए गदगद हो गईं । आओ यहां बैठो तुम्हारा पहला करवाचौथ है इसलिए तुम्हे कुछ परंपराएं बता दूं।जिसे सुन कर तुम्हे अपार खुशी होगी सुनकर नीलम उत्सुक हो उठी। जानती हो हमारे घर … Read more

एक आंख ना भाना – विनीता सिंह

रमेश एक छोटे शहर का लड़का था उसने बड़ी मेहनत की मुंबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी प्राप्त कर ली। वह दिन रात मेहनत करता जिससे उसकी कंपनी ऊंचाईयों को छूए। यह सब देख कम्पनी के मालिक अनूप सेठी जी रमेश के काम से खुश थे उन्होंने रमेश की ईमानदारी और मेहनत देखते हुए … Read more

एक आँख न भाना – मीरा सजवान ‘मानवी’

राधा और सुषमा एक ही मोहल्ले में रहती थीं। दोनों पहले बहुत अच्छी सहेलियाँ थीं—साथ बाजार जातीं, त्यौहार मनातीं, और हर बात साझा करतीं। पर वक्त के साथ रिश्तों में एक छोटी सी दरार आ गई। हुआ यूँ कि एक दिन राधा की बेटी ने स्कूल प्रतियोगिता में पहला स्थान पा लिया तो सुषमा के … Read more

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