अव्यक्त पितृत्व: अनुपस्थिति का स्पर्श – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi
सर्दियों की उस सुबह, जब सूरज की किरणें धुंध को चीर रही थीं, रवि खिड़की के पास खड़ा था। उसकी बेटी आरती का विवाह-कार्ड उसकी उंगलियों के बीच था – चमकीला, भारी कागज पर सुंदर टाइपोग्राफी। एक पल के लिए उसकी निगाह कार्ड पर पिता के नाम के खाली स्थान पर अटक गई। **”श्रीमान…”** वहां … Read more