तलाक – संगीता स्थाना : Moral Stories in Hindi

सीमा के परिवार वाले बेहद ख़ुश थे ।फाइनली सीमा को आजादी मिल गई थी —अपने पति से ।माँ के चेहरे पर शकून था जीत की अपार ख़ुशी थी ।उन्होंने अपने कामवाली को कड़क चाय बनाने को बोला —- “अरे नीता – कड़क चाय बना हम सब के लिए  मिठाई और नमकीन भी ले आना आज … Read more

कान भरना – चंचल जैन : Moral Stories in Hindi

“मीनू की मम्मी देखा, जब से अमित विदेश गया है, आपकी बहू उर्मी कभी इसके साथ, कभी उसके साथ खिलखिलाती घूमती है।” ” मूवी, कभी बाजार। थोडी बहुत लाज शरम है या नहीं।” ” गुडिया को दादी के भरोसे छोड जाती है। आप सब झेल लेती हो। अकेली पता नहीं कहां कहां भटकती है।” मीनू … Read more

पछतावा या छलावा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

पहली ही नजर में तनुश्री भा गई थी सोमेश्वर जी को।बहू के रूप में ऐसी ही लड़की की कल्पना की थी उन्होंने।गए तो थे किसी दूसरी लड़की को देखने,पर उनके परिवार वालों का व्यवहार और लड़की की अति आधुनिकता उन्हें पसंद नहीं आई। लौटते हुए अपने भांजे के अनुरोध पर तनुश्री के घर पहुंचे थे … Read more

कान भरना – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

रामायण के प्रमुख पात्र दशरथनन्दन श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारी जोर-शोर से चल रही थी। पूरे अयोध्यावासी राम के राजा बनने की खुशी में नाच-गाकर उत्सव मना रहे थे।अगले दिन राज्याभिषेक की तैयारी में गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र अन्य पंडित -पुरोहितों के साथ विचारमग्न थे।राजा दशरथ और रानी कौशल्या अपने ज्येष्ठ पुत्र राम के राज्याभिषेक … Read more

कान भरना – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

रूही दीदी देखो सोनी ने आपकी बेग से नई पेन निकाल ली और दूसरी पुरानी पेन रख दी। यह सुनते ही सोनी तुरंत लगभग चीखते हुए आई और कहने लगी।   सोनी तुमने मेरी पेन क्यों ली?? तुम जानती हो मुझे यह सब पसंद नहीं है । मैं तो कभी भी तुम्हारी बेग से कुछ नहीं … Read more

कान भरना – चंचल जैन : Moral Stories in Hindi

“मीनू की मम्मी देखा, जब से अमित विदेश गया है, आपकी बहू उर्मी कभी इसके साथ, कभी उसके साथ खिलखिलाती घूमती है।” ” मूवी, कभी बाजार। थोडी बहुत लाज शरम है या नहीं।” ” गुडिया को दादी के भरोसे छोड जाती है। आप सब झेल लेती हो। अकेली पता नहीं कहां कहां भटकती है।” मीनू … Read more

चुगलखोरनी – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

— रीना सुबह से काम में लगी हुई थी। सबका चाय-नाश्ता बनाने के बाद जैसे ही वह निकली, देखा कि उसकी ननद सास के पास बैठकर धीरे-धीरे कुछ कह रही थी। रीना समझ गई थी, उसी का जिक्र हो रहा होगा। क्योंकि जब भी उसकी ननद ससुराल से आती है, अपनी मां का कान भरती … Read more

अपने काम से काम रखो – विमला गुगलानी :

“नमस्ते ममी, कैसी हो, क्या हाल है आपकी बहूरानी के, आ गए दोनों हनीमून से”           शिखा ने घर में घुसते ही मां से पूछा। “ हाँ, आ गए तेरे भैया भाभी, और आज दोनों काम पर भी गए, थके हुए तो थे, पंरतु छुट्टियां भी खत्म हो गई थी तो जाना ही पड़ा, एक अच्छी … Read more

कान भरना – कमलेश राणा : Moral Stories in Hindi

जगन्नाथ जी आठ दिन से रोज सुबह होते ही मंदिर की सीढ़ियों पर आ कर बैठ जाते और मंदिर के पट बंद होने के बाद ही घर जाते। कई बार वह कुछ बड़बड़ाते हुए रोने लगते थे। मेरे लाख पूछने के बाद भी वह इसका कारण नहीं बताते। वे इस नगर के धनाढ्य और जाने … Read more

“अभिमान की राख” – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

प्रीती दीदी बचपन से ही बेहद सुंदर थीं। गोरा रंग, तीखे नैन-नक्श, लंबा कद — जैसे खुद ईश्वर ने समय लेकर तराशा हो। घर हो या बाहर, जहां जातीं, तारीफों की बौछार होती। कोई उन्हें देखे बिना आगे नहीं बढ़ता और कोई उनके रूप की तारीफ किए बिना चुप नहीं रहता। समय के साथ तारीफों … Read more

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