मां का बेटा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

पापा के काम से आने के पहले ही बैठक छोड़ कर अंदर भाग जाता था रवि।बचपन में बहुत लाड़ जताया करता था पापा से। जैसे-जैसे बड़ा होता गया,अकारण ही दूरियां बढ़ गई थीं बाप-बेटे के बीच।पिता को घर आते ही बेटा गायब मिलता,और बेटी आतुर होकर पानी का गिलास लिए भागती आती थी।सुमित खुशी से … Read more

 पिता की बात – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

एक अजीब सी उकताहट और कसमसाहट से अकुलाकर विभूति ने रात के समय दबे पांव बाहर का दरवाजा खोला और निस्तब्ध अंधकार में शामिल हो गया।भीतर का अंधकार बाहर के अंधकार के साथ मिल कर मानो ठहराव को प्राप्त हुआ था। घोर निराशा हताशा का अंधेरा उसे लीले ले रहा था।नीरव अंधकार में  वह गुम … Read more

अस्तित्व – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

रूपा की आँखें खुली , तो देखा सुबह के आठ बज गए थे ….उसकी अभी भी नींद पूरी नहीं हुई थी । एक हफ़्ते पहले ही उसके बेटे सम्राट की शादी हुई है । दोनों बच्चे पदफेरों के बाद वहीं से हनीमून के लिए निकल गए थे । रूपा को महसूस हो रहा था …. … Read more

तुम सा कोई नहीं – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

“नील हमारे रिश्ते को तुम्हारे परिवार वाले अहमियत तो देंगे ना! ऐसा तो नहीं कि तुम अपने परिवार वालों के दबाव में खुद भी बदल जाओ?” “ नहीं प्रकृति ऐसा कभी नहीं होगा! नील उसके हाथ थपथपाते हुए बोला, मैं अपने परिवार वालों को जानता हूं। मेरी पसंद को कभी ना नहीं कहेंगे।” प्रकृति उसकी … Read more

  खाली कुर्सी – बालेश्वर गुप्ता

घर से सामान के ट्रक में लदते समय मेरे बेटे समीर ने मेरे कमरे में रखी पुरानी कुर्सी को हटा दिया,और पैकर्स से कहा कि  इसे लादने की जरूरत नही है।मैंने सुना तो मेरी तंद्रा टूटी और मैं अचकचा कर बोला,नहीं-नहीं, इस कुर्सी को भी लेकर चलना है,ये मेरे बाबूजी की कुर्सी है।उनकी याद है, … Read more

अस्तित्व की रक्षा-निशा जैन

क्या हुआ जी क्या सोच रहे हो?” सरला जी बोली “अरे सोच रहा हूं कि अभी थोड़े दिन और रुकता हूं और फिर से विचार करता हूं वसीयत के बारे में..” शिवानंद जी बोले “क्यों क्या हुआ ? आप तो ऐसे न थे जो रुपए पैसे के बारे में इतना सोच रहे हो आपने ही … Read more

अस्तित्व- मनीषा सिंह

अजी•• सुनते हो! कल मुझे निकलना है आपको याद तो है ना••?  स्वाति किचन से ऑफिस  के लिए तैयार होते हुए शेखर से बोली।  हां-हां•• मुझे याद है तुम्हें अपनी पैकिंग आज ही करनी होगी!   हां वो तो मैं कर लूंगी पर•• पर क्या? चश्मा लगाते हुए शेखर ने पूछा।    आप मुझे अकेले ‘भोपाल’ भेज … Read more

सपनों की दहलीज – सरिता सिंह : Moral Stories in Hindi

तुलसी अभी इंटर में है इंटर बायोलॉजी से पास किया है डॉक्टर बनने की चाहत है , लेकिन बड़े भाई और ताऊ नहीं चाहते कि वह ज्यादा पढ़ाई करें  , क्योंकि इस खानदान की लड़कियां , ज्यादा पढ़ाई नहीं करती तुलसी का भी सपना अधूरा रह जाएगा मां बार-बार यही समझ रही है कि बेटा … Read more

आकाश और भी हैं – निभा राजीव”निर्वी” : Moral Stories in Hindi

प्रारंभ में थोड़ा हिचकिचाती हुई अनुराधा जी का चेहरा शीघ्र ही आत्मविश्वास की प्रभा से दमकने लगा। उनकी भावपूर्ण भाव भंगिमाएँ एवं सधी हुई मुद्राओं ने उनके नृत्य में जैसे एक सम्मोहन सा उत्पन्न कर दिया था, जिसके प्रभाव में आकर जैसे आज पूरी प्रेमधाम सोसाइटी मुग्ध और सम्मोहित थी।           दीपावली के अवसर पर एक … Read more

मेरा अस्तित्व? – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 बड़े से घर में दीपा,इस कमरे से उस कमरे में और उस कमरे से इस कमरे में चक्कर काट रही थी। घर का सूनापन मानो उसे खाने को दौड़ रहा था।         आज उसे अपने पति राजन की बहुत याद आ रही थी और वह उनकी तस्वीर हाथ में लेकर रो रही थी। जब वह राजन … Read more

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