लौट आओ – बालेश्वर गुप्ता : Moral stories in hindi

 उस दिन भी मैं जब शाम को सोसाइटी के पार्क में गया तो व्हील चेयर पर उन बुजुर्ग व्यक्ति को शून्य में निहारते पाया,प्रतिदिन मैं उन्हें वही ऐसे ही देखता आ रहा था।चेहरा देखते ही लगता था, वे असीम पीड़ा झेल रहे हैं।वैसे तो आजकल पश्चिम सभ्यता अपनाने के कारण कोई किसी से कोई मतलब … Read more

मैं हूं ना – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 गाड़ी का हॉर्न लगातार बजाए जा रहा था सुबोध…..  सुमेधा 5 मिनट पहले ही…. हां – हां आ रही हूं बाबा ….बोलकर अभी तक नहीं पहुंची थी…. सुबोध कभी घड़ी की ओर कभी दरवाजे की तरफ देखता और उसका गुस्सा बढ़ता जाता …     सुमेधा आते ही …ओ सॉरी यार… बोलकर जैसे ही गाड़ी में बैठी … Read more

अपनों की पहचान – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

प्लेटफ़ॉर्म नंबर 2 पर बारिश की ठंडी बूंदें लगातार गिर रही थीं। बूढ़ी महिला ट्रेन के एसी कम्पार्टमेंट से उतर, इधर-उधर घबराई सी अपने बेटे का इंतजार कर रही थी। उन्हें देख कर ही पता चल रहा था कि वे किसी सम्पन्न परिवार से संबंधित हैं। “माँ जी, आपका सामान उठा दूँ?” नंदू कुली ने … Read more

अपने अपनों की पहचान – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi

सुहानी और आकाश की शादी को दो ही साल हुए थे। मगर इन दो सालों में आकाश की एक आदत बार-बार सुहानी को भीतर तक चोट पहुँचाती रही। वह कभी अपनी पत्नी की तारीफ़ नहीं करता था। उसके शब्द हमेशा दूसरों की पत्नियों, भाभियों और कलीग्स की तारीफ़ में ही निकलते। कभी पड़ोसन रीना के … Read more

बदलती ऋतु – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

गर्मियां जा रहीं थीं और सर्द हवाओं ने लोगों को राहत दिया था। हल्की-हल्की फुहार मन के किसी कोने में दबे जज़्बातों को कुरेदने को बेकरार थी। आरुषि चाय की प्याली लेकर बरमादे में जमीन पर ही बैठ गई थी।आज उसके अतीत ने उसे झकझोर दिया था। मृदुल की यादों ने उसे एक पल भी … Read more

अपनों की पहचान विपत्ति में ही होती है – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुमित बेटा… तू किसी भी तरह से जल्दी आजा… बहु को दर्द शुरू हो गए हैं तुझे तो पता है तेरे पापा को गाड़ी चलाना भी नहीं आता घर में गाड़ी होते हुई भी अपाहिज सी हो गई हूं, कैसे अस्पताल लेकर जाऊं दिमाग सुन्न हो गया है, उधर बहू दर्द के मारे चिल्ला रही … Read more

अकेलापन – रीटा मक्कड़  : Moral Stories in Hindi

“मम्मी जी ये लो आपकी चाय…” नीलू ने चाय की ट्रे हाथ मे पकड़े हुए जैसे ही सासु माँ के कमरे में अन्दर आने लगी तो देखा मम्मी जी अखबार हाथ मे पकड़े गुमसुम सी किसी और ही दुनिया मे खोई थी।उन्हें जैसे नीलू के आने का अहसास ही नही हुआ।जबकि रोज़ तो वो पहले … Read more

अपनों की पहचान -के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

गोविंद और रमा जिस ऑटो में बैठे थे , वह ऑटो गोविंद के घर के सामने रुकी । वह खुद उतरकर माँ को भी ऑटो से उतारकर उसने जल्दी से घर का दरवाज़ा खोल दिया और माँ से कहा माँ आज रुक जाएगी क्या? रमा ने उत्तर दिया कि नहीं पल्लवी की तबीयत ठीक नहीं … Read more

अपनों की पहचान – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

वक्त पड़ने पर ही पता चलता है कि कौन अपना है कौन पराया। कुछ भी कहो जो आपकी मुश्किल घड़ी में  काम आए वही रिश्ता ही अपना होता है। मनोज की पोस्टिंग मुम्बई में हुई थी।पूरा परिवार बहुत खुश था। बड़ा शहर चमक दमक, बात ही अलग थी। मनोज छोटे शहर से था तो उसकी … Read more

भले घर की बहु – सुनील शर्मा : Moral Stories in Hindi

जब कलम लेकर लिखने बैठता हूं तो अपने आस पास बिखरी सैंकडों कहानियां पाता हूं जिनके किरदार आगे आ आकर कहते हैं कि उन पर भी कुछ लिखूं. आज यादों में ऐसा ही एक किरदार उभर कर आया, हमारी गली के नुक्कड़ पर बैठा मोची…रामलाल जबसे होश संभाला, रामलाल को मैंने हर रोज़ बिना नागा … Read more

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