भ्रम – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“मोहिनी!मोहिनी!कहां मर गई तू?”राधिका जी ने अपनी बहू को आवाज लगाते कहा,”कब से मीनू बैठी है

इंतजार में कि तू उसका मेकअप कर देगी पर भाव खा रही है इतना।”

मोहिनी ,अपने पति देवेश को फोन पर कह रही थी,”सुनो!मेहमान आने वाले हैं मीनू को देखने,जरा जल्दी

आना,बस थोड़ा सा फ्रेश दही और खीरा,चुकंदर ले आना,वो ही रह गए थे।”

तभी राधिका जी बोली,”इस वक्त भी लगी पड़ी है अपनी मां से बतियाने…पता नहीं कब अक्ल आएगी

इसे?जा मीनू इंतजार कर रही है तेरा…”

“नहीं मां…मैं…” मोहिनी ने बताना चाहा कि वो देवेश से कुछ जरूरी सामान मंगवा रही थी आज के लंच के लिए

पर राधिका ने उसे झिड़क दिया…”जुबान हर समय कैंची की तरह चलती है,इतने हाथ चला लो तो जिंदगी

सुधर जाएगी।”

मुंह नीचे लटका कर मोहिनी ,मीनू का मेकअप करने लगी,उसने ब्यूटी पार्लर का कोर्स किया था,बहुत सुंदर

मेकअप करती थी वो लेकिन उसकी सास और ननद उसे हर समय अपराध बोध कराती कि वो बहुत नकारा

है।

“मीनू! बहुत सुंदर लग रही हो,लो ये नेकलेस और पहन लो”,उसके गले में नेकलेस डालते मोहिनी बोली।

“नहीं भाभी…ये आर्टिफिशियल लग रहा है, मैं नहीं पहनूंगी इसे…” मीनू ने बुरा मुंह बनाया।

“लेकिन गला सूना रहेगा ऐसे?”मोहिनी बोली।

“तो अपना वाला दे दो आप जो आपने पहना है,ये मुझे बहुत पसंद है..”मीनू बेशर्मी से बोली।

“ये??”मोहिनी हकला गई…”ये मेरे पापा की आखिरी निशानी है…”

तभी राधिका घुसी कमरे में,”तो तेरे पापा की निशानी वो हड़प लेगी क्या?पराए घर जा रही बच्ची से ऐसा

व्यवहार?राम राम!कलियुग है!”

“नहीं मम्मी जी…दे ही रही हूं…बस मुंह से निकल गया..सॉरी!मोहिनी ये कहते उसे पहनाने लगी।

“छोड़ो भाभी…कहीं प्राण न निकल जाएं तुम्हारे…” मीनू पहनते हुए भी व्यंग करना न भूली।

तभी देवेश कमरे में आया…”कौन प्राण निकाल रहा है हमारी मैडम के…लाओ हम उसके प्राण ले लें…”

“लो आ गए…लैला के मंजनू…!” राधिका व्यंग करते कमरे से निकल गई।

जल्दी बाहर आ जाओ सब…मेहमान आ गए हैं।तभी वो बोली।

लड़का,उसके माता पिता ड्राइंग रूम में बैठे थे।राधिका उनकी आवभगत में जुटी थीं।तभी मोहिनी चाय ले कर

आई।

जैसे ही उसने लड़के की तरफ ट्रे बढ़ाई,उसके हाथ से ट्रे छूट गई।

“तुम…?”वो सहसा बेहोश होने को हुई।

“क्या हुआ बहू?”चक्कर आया…ओह!इसे दिन चढ़े हैं न…मेहमानों की तरफ मुखातिब होते वो बोली,”बहुत

मेहनत करती है बेचारी,मना करने पर भी काम करना नहीं छोड़ती।”

अंदर कमरेमे जाते वो देवेश से बोली,”ये शादी नहीं हो सकती,ये लड़का ठीक नहीं है।”

कमरे में जाती मीनू के कानों में ये आवाज गई तो वो तिलमिला के भाभी भैया के पास ही आ पहुंची…

“भाभी!कितना जलती हो आप मुझसे?लड़का स्मार्ट और अमीर लगा तो आग लग गई सीने में और लगीं

भैया को भड़काने!”

“मीनू!खामोश!!अपनी भाभी से तमीज से बात कर!” देवेश चीखा लेकिन मोहिनी से बोला…”तुम्हें कैसे पता ये

और क्या आधार है इसका?”

“छोड़ो!इस समय ये लोग नहीं सुनेंगे…बाद में बात करते हैं…” मोहिनी बोली।

“बात क्या है,ये तो बताओ…तुम जाओ मीनू यहां से…मेहमान इंतजार कर रहे होंगे।”

“दरअसल ,ये लड़का मुझे देखने आया था आपसे शादी से पहले…जब पापा ने जांच पड़ताल की तो पता चला

ये हिस्ट्री शीटर है…क्रिमिनल बैकग्राउंड है इसका।”

“अरे!इतनी बड़ी बात ??तब तो ये रिश्ता अभी कैंसिल करता हूं”,कहकर देवेश उठा और ड्राइंग रूम में जाकर

बोला..

“मां!हम अभी इस रिश्ते को फाइनल नहीं करेंगे,पहले सोच विचार करेंगे तभी बताएंगे इन्हें..”

“ये क्या तरीका है बेटा!ये लोग अंगूठी लाए हैं हमारी बिटिया को पहनाने के लिए…इतना अच्छा रिश्ता रोज

रोज नहीं मिलता।”

“तब भी जो कह रहा हूं,उसे सुनो!अभी हम कुछ भी फाइनल नहीं करेंगे,इसमें इनको भला क्या आपत्ति हो

सकती है?”

“बहन जी!चलते हैं…पहले आप अपने बेटे को तमीज सिखाएं घर आए मेहमानों के सामने कैसे पेश आना है…”

कहते हुए वो तीनों गुस्से में निकल गए।

“ये सब क्या था देवेश?”राधिका चिल्लाई।

“इनके कानों में आपकी बहू ने जहर जो उगला था मेरे होने वाले पति के बारे में,बस जोरू की गुलामी हो रही

थी।”मीनू बोली।

“मीनू!चुप हो जा…”एक शब्द और नहीं…तेरी भलाई के लिए कुछ किया उसने,उसमें भी बुराई दिखती है?”

“पर हुआ क्या? मुझे बताएगा कोई?”राधिका चिल्लाई।

तब तक मोहिनी ने वो अखबार की कटिंग दिखा दी सबको जहां उस लड़के को जेल भेजा गया था,उसकी

तस्वीर थी।

सबके मुंह खुले रह गए…।

देवेश बोला…”मां!मुझे दुख है कि आप कभी अपनी बहू को नहीं समझी,हमेशा इस भ्रम में रहीं कि बहू कभी

बेटी नहीं बन सकती, मैं पूछता हूं आपसे क्या आपने कभी उसे बेटी की नजर से देखा?क्या आपने उसके

साथ दोगला व्यवहार नहीं किया,तब भी उसने भलमनसाहत नहीं छोड़ी…वो हमारा भला चाहती थी इसलिए

आपकी सब नफरत,व्यंग सहकर भी मीनू को उस क्रिमिनल से जुड़ने से रोका।”

राधिका जी की नज़रे झुक गई थीं और वो सोचने लगीं,बात तो देवेश ठीक कह रहा है…यानि मैं गलत ही थी,

बहू भी बेटी बन सकती है बल्कि उससे ज्यादा ही…बात नजरिए की है,हमारे अपने व्यवहार की भी है,जैसा

करेंगे,वैसा ही मिलेगा भी।

डॉक्टर संगीता अग्रवाल

वैशाली,गाजियाबाद

#बहू चाहे कितना भी कर ले, बहू बेटी नहीं बन सकती

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!