भाग्य – खुशी : Moral Stories in Hindi

रीता जी एक घरेलू महिला थी जिनका सारा वक्त अपने घर को संवारने और साफ रखने में बीतता।हर चीज आइने की तरह चमकती 10 साल पुरानी चीज भी ऐसा लगता कल ही शोरूम से आई है।उनके पति रितेश का स्कूटी और बाइक का शोरूम था। एक बेटी आदर्श और बेटी स्वाति थी।आदर्श ने MBA किया और पापा का कारोबार ज्वाइन कर लिया और कुछ ही समय में एक और शोरूम खोल लिया।

स्वाति graduation के बाद डिजाइनिंग का कोर्स कर नौकरी कर रही थी।उसके लिए भी रिश्ते ढूंढे जा रहे थे पर रीता के स्वभाव के कारण कई जगह बात बनते बनते रह गई ।एक दिन रितेश ने पूछ ही लिया बेटी का ब्याह करना है कि नहीं इतने नुक्स निकाल रही हो बेटी दूसरे घर जाएगी उसकी सास भी ऐसे करेगी तो तुम्हे चलेगा।फिर लड़के देखने का कार्यक्रम तय हुआ और रोहन का रिश्ता समझ में आया।

रोहन के घर में उसके माता पिता मोहन और निशा थे जो गवर्मेंट एम्पलाइज थे और रोहन एक it कंपनी में था अच्छी जॉब घर बार सबको पसंद आया और स्वाति की शादी हो गई बचपन से वो बंदिश में रही थीं यहां आकर उसने खुली हवा में सांस ली उनके घर हर काम के लिए काम वाली थी।खाना बनाने से लेकर सफाई  तक शनिवार इतवार का दिन वो सब साथ बिताते शनिवार फैमिली डे और संडे उन दोनों का या कभी कभी वो दोनों वीकेंड पर घूमने निकल जाते।

स्वाति बहुत खुश थी।स्वाति अच्छे से सेटल हो गई तो अब आदर्श के लिए लड़की ढूंढी जाने लगी।आरती का रिश्ता आदर्श के लिए आया।आरती के पिता राजीव जी बिजनेस मेन थे मां हाउसवाइफ थी और ट्यूशन पढ़ाती थी ।आरती खुद it कंपनी में थी।आदर्श को आरती पसंद आई । रीता यहां पर भी कुछ इस साफ सफाई की बाते करने वाली थी पर रितेश और आदर्श ने इशारे से मना कर

दिया और रीता मन मसोस कर चुप रही।शादी हो गई और आरती उनके घर दुल्हन बन कर आ गई।पहली ही रात आदर्श ने आरती को बता दिया कि मेरी मां सफाई पसंद औरत है कल सुबह तुम देख ही लोगी।आरती ने खुद भी नोटिस किया था कि कमरे की हर चीज करीने से लगी थी।आरती अगले दिन सुबह उठी नहा कर नीचे गई और बोली मम्मी जी आप मुझे बता दीजिएगा  कि कपड़े कहा सुखाने है।रीता बोली साफ तो धोए है ।

आरती बोली जी  रीता बोली कुछ नहीं ऊपर गैलेरी में स्टैंड है वही सुखा लेना और आदर्श को उठा कर तैयार हो कर नीचे आ जाना। आरती ऊपर आई तो देखा आदर्श उठ चुका है और सारा बिस्तर समेट दिया है ।आरती तैयार हुई और आदर्श और वो नीचे आ गए।डाइनिंग टेबल पर सब रखा था।

आरती ने नाश्ता किया तब तक रीता जी के आस पड़ोस वाले उनसे मिलने आ गए। मुंहदिखाई हुई सब आरती को आशीर्वाद देकर और रीता की साफ सफाई की गाथा सुना चली गई।आरती मन ही मन डर गई थी कि यहां कैसे गुजारा होगा।आरती कुछ भी करती तो रीता आकर उसे टोकती ।एक दिन आरती का वर्क फ्रॉम होम था वो रोटी बना रही थीं कि अचानक उसकी कॉल आ गई और वो गैस

बंद कर कॉल अटेंड करने चली गई तभी वहां रीता आ गई और जोर जोर से चिलाने लगी हाय राम मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहु आई ना जिसे काम करने का शहूर है ना कुछ फूहड़ कही की सारी रसोई ऐसे ही फैला कर चली गई।वो बहुत देर तक वो बोलती रही बिचारी आरती तो कान में ईयर प्लग लगाए मीटिंग अटेंड कर रही थी।1 घंटे बाद वो बाहर आई तो देखा खाना डाइनिंग टेबल पर है और रसोई के दरवाजे पर रीता खड़ी है।

आरती बोली सारी मम्मी ऑफिस से अर्जेंट कॉल आ गई थी तो वो अटेंड करना जरूरी था इसलिए सब ऐसे ही छोड़ना पड़ा।आप बैठिए मैं सब समेट लेती हूं। रीता चिल्ला कर बोली तुम आज से मेरी रसोई में पैर भी नहीं रखोगी इतनी फूहड़ हो तुम जिसे ये तक नहीं पता कि रसोई कैसे रखते हैं घर कैसे रखते है तुम्हे तो बस अपने बेटे की वजह से बर्दाश्त कर रही हूँ।वरना तुम्हारी जैसी लड़कियां घर नहीं बसाती।

आरती को इतना अपमान महसूस हुआ उसे भूख लगी थी पर वो अपने कमरे में चली गई।ऑफिस का काम खत्म कर वही बैठी रही ।रात को रितेश और आदर्श दुकान से आए तो देखा रीता रसोई में काम कर रही हैं।आदर्श ने पूछा आरती कहा है क्या उसकी तबियत ठीक नहीं है।रीता तुनक कर बोली है तेरी महारानी कमरे में हाथ मुंह धो कर आजा उसे भी बुला ले खाना खा लो। आदर्श कमरे में आया देखा आरती तो रही है।आदर्श ने पूछा क्या हुआ आरती ने सब बताया और बोली आदर्श तुम्हारी वजह से यह सब

कुछ मै सह रही थीं।मम्मी बिल्कुल सफाई को लेकर साइकिक हो चुकी हैं।हर कोई उनकी तरह परफेक्ट नहीं हैं मेरा उनके साथ रहना मुश्किल है मै कल अपने घर चली जाऊंगी अगर तुम्हे मेरे साथ रहना है तो तुम सोच लो और आरती सो गई।आदर्श नीचे आया तो रीता ने पूछा आरती कहा है। आदर्श बोला उसके सिर में दर्द है वो सो गई है। रितेश को आदर्श का चेहरा देख समझ आ रहा था कुछ गड़बड़ है।रीता बोली आज कल की लड़कियां कुछ करती तो है नहीं बस कंप्यूटर में घुसी रहती हैं।

आदर्श ने जैसे तैसे खाना खाया और वो आरती के लिए एक ग्लास दूध लेकर आया।आरती भूखी मत सो ये दूध पी लो।अब इसका कुछ पक्का इलाज ढूंढना पड़ेगा।थोड़ी देर में रितेश ने आदर्श को फोन कर बाहर बुलाया और सारी बात पूछी।रितेश ने सब बता दिया तभी रितेश ने स्वाति को भी  कॉल लगा दी और सब बाते उसे भी बताई।स्वाति बोली भाभी की हिम्मत है जो 8 महीने मम्मी के साथ निकाल लिए नहीं तो कोई मम्मी के साथ दो दिन नहीं रह सकता ।

रितेश बोले बेटे मैने तुम्हे कॉल पर इसलिए लिया है अब तुम्हारी मां को सबक सिखाना पड़ेगा कि उसकी इस सनकी व्यहवार की वजह से बच्चे क्यों भुगते। सब सो गए सुबह सब उठते उससे पहले ही रितेश ने आदर्श को उठाया बेटा नीचे आओ तुम्हारी मां बाथरूम में फिसल गई है डाक्टर के पास जाना पड़ेगा।आदर्श और आरती नीचे आए रीता को 2 महीने प्लास्टर चढ़ गया और कंप्लीट बेड रेस्ट था।घर आकर रीता को बिस्तर पर लिटाया गया

और रितेश ने रीता को साफ कह दिया जैसे बहु करेगी वैसे दो महीने चलाना।मुझे घर में कीच कीच नहीं चाहिए। आरती ने सारा घर संभाल लिया सुबह का सारा नाश्ता खाना बनाती रीता की स्पंजगी करती उसको तैयार कर उसको नाश्ता देती फिर मेड से काम करवाती और मेड को हिदायत भी देती की मां का कमरा अच्छे से साफ करना इसी बीच आरती को एक नया प्रोजेक्ट मिला जिसके लिए उसे 6 महीने अमेरिका जाना था।

आरती ने वो प्रोजेक्ट छोड़ दिया सिर्फ रीता के लिए।रीता भी महसूस कर रही थी कि आरती घर का उसका कितना ध्यान रखती है।दो महीने बीते रीता का प्लास्टर कट गया और वो घर आई उस दिन स्वाति भी आई हुई थीं।आरती सब के लिए चाय बना कर लाई और खाने की तैयारी करने लगी।खाना बनाकर वो बाहर आई और आदर्श को बोली खाना बन गया है चलिए सब खाना खाते हैं। उससे पहले रीता बोली बेटा मेरे पास आओ प्लीज मुझे मेरे व्यहवार के लिए माफ कर दो ।

इन दो महीनों में जो तुमने मेरे लिए किया है वो तो मेरी अपनी बेटी ने नहीं किया।आरती बोली नहीं मा दीदी तो बराबर आती थी आपका हाल चाल पूछती थीं। स्वाति बोली अगर रोज़ मैं आकर बैठती ना तो आपको मेरी प्यारी भाभी की कदर कभी पता ना चलती।रितेश बोले बिल्कुल सही रीता तुम्हारी वजह से आरती ने अपना प्रमोशन और अमेरिका जाने का चांस छोड़ दिया रीता बोली सारी बेटा मेरी वजह से तुम जा नहीं पाई ।आरती बोली पहले मम्मी मेरा घर और परिवार है

बाकी सब बाद में।रीता ने आरती को गले लगा लिया और घर में भी सब से माफी मांगी बोली अब जिसको जैसा घर रखना है वो रखे।स्वाति बोली हा तभी मै आपके नाती को यहां ला पाऊंगी जब आप बदलेगी।रीता ने स्वाति को गले लगाया और बोली इतनी बड़ी खुश खबरी क्यों छुपाई ।

स्वाति ने कहा सिर्फ आपकी आदत के कारण । रीता बोली अब किसी को मुझसे शिकायत नहीं होगी। सबने खाना खाया अब कुछ भी इधर उधर पड़ा होता रीता का मन बोलने को होता पर वो इग्नोर करके निकल जाती क्योंकि अब उसे समझ आ गया था कि साफ सफाई से ज्यादा जरूरी परिवार और बच्चे है तभी आरती की आवाज आई मम्मी चाय पकोड़े रेडी है लॉन में आ जाओ और रीता लॉन की तरफ बढ़ गई।

स्वरचित कहानी 

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