भाग्य – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू

किराये के मकान और विषम यानि (आर्थिक) परिस्थितियों से जूझते जूझते रेखा की बेटियां कब जवान हो गईं उसे पता न चला, एक रोज रीना की मम्मी (पड़ोस वाली भाभी) ने ऐसे ही बातों बातों में पूछ ली अरे भाई शहनाई कब बज रही  आपके घर ईश्वर की कृपया से बच्चियों की पढ़ाई भी  पूरी  हो गई  अब तो ब्याह कर देना चाहिए।

तब शायद इसे भी अहसास हुआ कि हां ये तो सही कह नहीं हम तो ऐसे उलझे हैं कि होश ही नही रहता कि आगे भी कुछ करना है हूं ….. बेटियों की शादी खोजनी चाहिए। आखिर कब तक घर में बिठा के रखेंगे पर ……. इसके लिए तो ढेर सारे पैसे चाहिए जो कि उसके पास है ही

नही किसी तरह गुजर बसर हो जा रहा यही बहुत है पर  शादी तो करनी ही है । यही सोच आज रात जब दोनों पति पत्नी बिस्तर पर लेटे तो  जिक्र करने लगे ,भाई जैसे तैसे पढ़ाई तो हो गई पर शादी भी करनी है कोई लड़का खोजिये वो भी ऐसा जो  बिना दहेज अपनी बेटियों को ब्याह कर ले जाये ।इस पर रमेश सिर हिला कर  हूंकारी भरते हुए  करवट बदले और बदल कर सो गया।

पर रात की बात आई गई खत्म नही हुई ज़ेहन में सुबेरे भी कौधता रहा।

और जब दफ्तर गये तो दोस्तो के बीच चर्चा की।

इस पर पहले से घर आये दोस्तों में से एक दोस्त ने कहा अरे भाई चिंता क्यों करते हो  मेरा बेटा है ना सो चाहो तो बात आगे बढ़ाई जाये।भाई तुम्हारी बेटियां तो हुनरमंद है भला कौन नही अपने घर की बहू बनाना चाहेगा।

इस पर वो मुस्कुराये और बोले ठीक है घर पर बात करके  हैं।

और शाम को घर लौटेते ही  चाय की गर्म प्याली के साथ पत्नी से दोस्त के बेटे वाली  बात बताई।

तो पत्नी खुश हो गई ये सोच कर कि जाना समझा परिवार है घर है खाता कमाता लड़का है कुछ मिला के ठीक है  पर ….. दहेज ? इस पर वो बोले  इस पर कोई बात तो नही हुई है हां बात आगे बढ़ती है तो पूछता हूँ।

फिर क्या सब कुछ तय तमाम होने के बाद  बिटियां की शादी बिना दहेज हो गई। और जब शादी हो गई तो पति पत्नी के खुशी का ठिकाना नही रहा जैसे दोनों ने गंगा में जौ बोया।

और  सही भी है जहाँ वो पूरी जिंदगी किराये के मकान में रहे कई कई महीने किराया न देने पर  मकान मालिक के ताने सुने ,बनियां की फटकार मिली और समय से पैसे न देने के कारण दूध  वाले के  दूध ना देने पर काली चाय पी।वही भरा पुरा परिवार,घर ,नौकरी भले प्राइवेट ही सही  पर किसी चीज़ की कमी ना  होगी कम से कम सर पर छत और भर पेट भोजन तो मिलेगा।

फिर अपनी बेटी भी तो पढ़ी लिखी है  जरूरत पड़ने पर हाथ बटा लेगी ।यही सोच कर ब्याह कर दिया।

और उसका भाग्य  देखो कि उसके जाते ही लड़के की सरकारी नौकरी लग गई।घर में नवये महीने एक चांद सा बेटा हो गया अब दोहरी खुशी पाकर घर वालों ने पलकों पर बिठा लिया। 

तभी तो कहा गया है बेटियां अपना भाग्य लेके आती हैं। इसलिए उनके होने पर मन छोटा मत   कीजिए बल्कि जश्न मनाइये क्योंकि ये दोनों कुल की लाज के साथ लड़के का भाग्य भी बदल देती  हैं।

  स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना 

कंचन श्रीवास्तव आरज़ू प्रयागराज

error: Content is protected !!