जब से भाभी आई हे मम्मी का मुंह कुछ सूजा सूजा सा रहने लगा।
जब भी अकेले में मिलेंगी यही कहेगी ” हीरे सा बेटा दिया हे,इतनी बड़ी पोस्ट पर हे और तुम्हारे ससुराल वालो ने क्या दिया तुम्हे?”
अरे कम से कम सामने वाले को तो देख लेना चाहिए।”
दीदी परेशान सा हो गया हू।
कभी हर्षा के ताने सुनूं तो कभी मम्मी के ।
क्या दीदी आपके साथ भी ऐसा ही होता हे?
ऋषि ने अपनी व्यथा अपनी बड़ी बहन को फोन पर बताई।
वेदू मुस्कुरा कर बोली ” तुम चिंता मत करो
मै मम्मी से बात करती हु।”
वेदु ने पहले हर्षा भाभी को फोन लगाया ;” भाभी जय श्री कृष्णा।
भाभी ( वेदू) ;” राधे राधे दीदी।”
कैसी है आप?
सॉरी भाभी कैसे सहन कर लेती है आप?
खैर आप चिंता मत कीजिए।
मां के मन की चाबी बेटियों के पास ही होती है और बेटियों की मां के पास।
बस अभी घुमाती हु ओर खुल जा सिम सिम की तरह सब ठीक हो जाएगा।
बस विश्वास और धैर्य बनाकर रखियेगा।
हर्षा एक दम सकपका गई और बोली “;” अरे दी जाने दीजिए आप परेशान मत होइए समय के साथ सब ठीक हो जाएगा।
वेदु हंसी और बोली ;” चलिए रखती हु अब उल्टी गिनती शुरू का दीजिए “
खुशियां मन की शांति को लेकर द्वार खटखटाने वाली है।
हर्षा ;” आप आ रही है दी “?
वेदु;” नहीं भाभी पहले मोबाइल पर बात कर लूं अगर फेल हो गई तो आकर ही पेपर दूंगी।
पर मुझे मुझ पर इतना विश्वास है कि ऑन लाइन मॉक टेस्ट में पास हो ही जाऊंगी।
तब बधाई देना ना भूलना ।”
हर्षा खुश हो गई।
उसके मन को भी थोड़ी राहत मिली थी।
उधर वेदू मन ही मन में सोचने लगी ” सच में ये जेंट्स लोगो की लाइफ भी अजीब होती हे।
बीवी की सुने या मम्मी की ओर आखों को एक प्रश्न वाचक स्थिति में चढ़ा कर अपनी मम्मी को फोन लगाने लगी।
जैसे ही मम्मी ने फोन उठाया जय श्री कृष्णा से अभिवादन कर हाल चाल पूछने लगी।
मम्मी को तो चिंगारी की जरूरत थी आग तो लगी हुई थी।
अब क्या बताऊं ” अपनी तो किस्मत ही फुटी हुई हे
तुझे पता हे ऋषि के दोस्त की शादी में सभी बारातियों को कंबल बाटे थे।
और कम से कम सात आठ तोला सोना चढ़ाया हे।
उसकी मम्मी को सोने का पूरा सेट दिया हे,पापा को अंगूठी और चैन ।
और ननद और नंदोई को अंगूठी दी हे।
घर इलेट्रिक सामानों से भर गया।
डाइनिंग टेबल तो बहुत ही सुंदर हे।
लेन देन के कपड़े भी ऐसे दिए है जो तुरंत पहनने का मन करे तुम्हारी भाभी के घर वालो की तरह चिथड़े नही पकड़ा दिए।
सच में अपने मेलमिलाप और स्तर की ही लड़की लानी
चाहिए।”
वेदु बोली” मम्मी पता हे आपकी और हमारी प्रॉब्लम क्या हूं ” हम सिर्फ अपने बारे में सोचते हे और जब बात हमारे हिसाब से थोड़ी सी विपरीत होते ही हमारा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ जाता है।”
क्यों जब मेरी शादी हुई थी तब आप ही बढ़ चढ़ कर बोल रही थी ” शादियों में ये दिखावा कम हो जाना चाहिए।
क्या फर्क पड़ता हे इस लेन देन से “
आज जब आपकी बारी आते ही आप स्तर की बात करने लग गई।
आपको आज एक बहुत अच्छी बात बताती हु।
कल रात मेरे हाथ से सब्जी में नमक ज्यादा गिर गया था।
पापा जी तो कुछ नही बोले पर मम्मी जी ने बहुत डाटा
मै रोती हुई अपने कमरे में चली गई।
जब आपके जवाई आए तो भी मैं नही उठी।
तब मम्मी जी मेरे कमरे में आई और मेरे बालो को सहला कर वापिस चली गई।
सुबह जब मैने चद्दर झाड़ी तो तकिए के नीचे से एक लिफाफा मिला।
मैंने उत्सुकता से उसे खोला।
लिखा था
बेटा मुझे माफ करना।
हर समय तुम्हारी छोटी छोटी गलतियां ढूंढ कर तुम्हारी
आलोचना करती रहती हु।
क्योंकि मैं चाहती हू की तुम मेरे हिसाब से चलो।
पर मैं भूल जाती हु की तुम्हारी भी कुछ इच्छाएं होंगी
कुछ सपने होंगे।
कल रात को इतनी सी बात पर मैने तुम्हे बहुत सुनाया।
फिर तुम्हारी ननद रानी का फोन आया तब भी मैंने तुम्हारी बहुत आलोचना की।
तब जानती हो उसने मुझे क्या कहा?
उसने मुझे समझाया और बताया।
बोली ” मेरी सासू मां और मैं एक मित्र की तरह रहते है
क्योंकि वो मेरी पसंद और इच्छा का ध्यान रखती हे और मैं उनकी।
और हम एक दूसरे की गलतियों की कभी आलोचना
नही करते।
हम आपस में एक दूसरे के गुणों की तारीफ करते हे।
इससे दोनो उत्साहित रहते हैं।
हा,कभी कोई बात अच्छी नहीं लगती तो आपस में साथ बैठ कर बिलकुल हल्के मूड में माफी मांगते हुए बता देते हे।
अच्छा लगता हे।
सुधार भी हो जाता हे।
उसने मुझे ये भी बताया कि आपकी उम्र और भाभी की उम्र में बहुत फर्क है।
आप जब भी भाभी से कुछ कहे तो ये जरूर सोचे की वो अभी बहुत छोटी है।
बचपना हे ,तजुर्बे तो उम्र के साथ आते हे।”
बेटा आज मैंने मेरे पल्लू के गांठ बांध ली है।
कल सुबह जब तुम अपने कमरे से बाहर आओंगी तब मैं तुम्हे तुम्हारी सहेली की तरह मिलूंगी।
और आशा करूंगी शायद तुम भी मुझे उसी रूप में मिलो।
फिर मैंने भी मम्मी जी के पैर छू कर उनसे नाराज होने के लिए माफी मांग ली ।
अब हम दोनो खुश हे।
मम्मी आपको और भाभी को हमेशा साथ रहना हे।
इस तरह की नकारात्मक बात आपके दिमाग से निकाल दीजिए।
कोई भी बेटी हो उसके लिए उसके मम्मी पापा के सम्मान का स्तर बहुत ऊंचा होता हे।
हा,हा,समझ गई ।
आज जिंदगी के इतने तजुर्बे लेने के बाद भी आपको आपके मायके के लिए कोई कुछ बोले तो बुरा लगेगा ना?
तो प्लीज मम्मी भाभी अब आपके पास आ गई हे।
अब आपका स्तर और उनका स्तर बराबर हे।
हा,हा,अब फोन रख मुझे भी मेरी बहु को मेरी सखी बनाना हे।
और एक नई सुबह के इंतजार में व्यस्त हो जाती है।
दीपा माथुर