Moral Stories in Hindi
बिटिया का घर बसने दो। कल भी जब मैं इनकम टैक्स ऑफिस गया था तो रमन को वहां बैठे देखा। उसने दफ्तर में ही सबके बीच में मेरे पैर भी छुए और मेरा काम भी आसानी से हो गया। भाई मुझे तो रमन अपनी बेटी शिप्रा के लिए बहुत पसंद है। यूं भी शिप्रा अब विवाह के लायक तो हो ही गई है , इतना अच्छा लड़का सामने है तो तुम अपनी सहेली नमिता से अपनी बेटी शिप्रा के विवाह की बात क्यों नहीं चलाती? मुझे तो रमन हर तरह से शिप्रा के अनुकूल लगता है। मिस्टर वर्मा ने अपनी पत्नी शिवानी से कहा।
हम्म!!!! कहकर शिवानी चुप हो गई। तुम मेरी बात पर ध्यान क्यों नहीं देती हो? क्या तुम नहीं चाहती कि तुम्हारी बेटी का घर बस जाए। हम भी बेटी का विवाह करके अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएंगे और अनूप भी बिना वजह की चिंता से मुक्त हो जाएगा। उसके बाद अनूप के लिए भी कोई लड़की देखेंगे।
शिवानी को किसी भी बात का जवाब ना देते देखा वर्मा जी को बहुत जोरों से गुस्सा आया और उन्होंने चिल्ला कर कहा अरे तुम सुनती क्यों नहीं हो अपनी सहेली नमिता से उसके बेटे रमन के लिए बात कर लो। भले ही उनकी हैसियत थोड़ी कमजोर है पर चलो कोई बात नहीं सारे फंक्शन में खर्चा हम कर लेंगे। मैं उसे गाड़ी वगैरह भी अच्छे से दे दूंगा।
अभी शिखा की ग्रेजुएशन भी तो पूरी नहीं हुई है। उसे पहले कोई कोर्स तो करवा दो? शिवानी ने वर्मा जी से कहा? अरे क्या जरूरत पड़ी है? अच्छा और शरीफ लड़का मिल रहा है, थोड़ा हमसे झुक कर रहेगा और हमारी शिप्रा भी अकेली बहू बनकर वहां पर बहुत खुशी से ही रहेगी।
तभी तो मैं नहीं चाहती। मतलब तुम अपनी बेटी का घर ही नहीं बसाना चाहती? उसे खुश नहीं देखना चाहती वर्मा जी ने पूछा। जी हां मैं जानती हूं रमन बहुत शरीफ लड़का है, नमिता और उसके पति विकास बहुत मेहनती है। उसके पति विकास ने अपनी पांचो बहनों का विवाह करवाया। उसकी बीमार सासू मां हमेशा उसके साथ ही रही। मैं नमिता को कॉलेज टाइम से जानती हूं उसका बेटा रमन शुरू से ही जानता था कि यदि उसे घर का रहन-सहन ऊंचा करना है तो उसके पास सिवाय पढ़ाई के और कोई तरीका नहीं है। वह लगन से पड़ा है और अपने माता-पिता का इतना आज्ञाकारी है कि वह उनके कहे से किसी भी लड़की से विवाह कर लेगा। वह लोग इतने खुदगर्ज हैं कि उन्हें कोई दहेज की इच्छा नहीं है । नमिता जब भी मुझसे बात करती है तो उसकी एक ही इच्छा होती है की रमन की शादी के लिए उसे ऐसी लड़की चाहिए जो मिलनसार और बहुत सरल स्वभाव की हो।
शिप्रा को तो तुमने लाड प्यार से इतना बिगाड़ रखा है कि पढ़ाई की सेवा उसे सारे काम आते हैं। कहने को तो वह ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में है परंतु उसके पेपर तो फर्स्ट ईयर के भी क्लियर नहीं है। पढ़ाई से उसका कोई वास्ता नहीं है। यह तो अनूप कितनी बार उसे उसके लड़के मित्रों के साथ देखकर उसे पब से भी उल्टा लाया है। तुम्हारे पैसों ने उसे इतना बिगाड़ रखा है कि शायद ही कोई है एब हो जो कि उसमें नहीं हो। घर का काम तुमने उसे कभी करने नहीं दिया। तो तुम ही कौन सा करती हो? वर्मा जी झुंझलाते हुए बोले। बेशक, परंतु कामवाली के बाद में भी घर में बहुत कुछ होता है जो कि देखा जाता है और तुम्हारी बेटी को घर के काम का कुछ भी नहीं पता। जिद्दी इतनी है कि किसी की सुनती ही नहीं है। कल ही जब मैं उससे विवाह के लिए पूछ रही थी कि उसे कैसा लड़का चाहिए तो वह बोल रही थी कोई अमीरजादा बिजनेसमैन मिल जाए और वह अपना एक बिजनेस मुझे दे दे तो मैं बहुत बड़ी बिजनेस टाइकून बनकर बैठ जाऊंगी। पढ़ना लिखना उसने है नहीं कुछ भी करना उसे आता नहीं अपने दम पर वह कुछ कर सकती नहीं। जब उसके ख्वाब ही इतने बड़े हैं तो वह भला नमिता के घर में कैसे निभाएगी। उसके बाद जब रो कर, लड़कर आएगी तब भी तो सब मुझे ही बोलेंगे। और घरों की तो पता नहीं परंतु नमिता को तो मैं जानती हूं, कम से कम उसकी जिंदगी में तो मैं कोई तूफान नहीं लाना चाहती। रमन भले ही तुम्हें शिप्रा के लायक लगता हो परंतु मुझे शिप्रा रमन के लायक बिल्कुल नहीं लगती।आप जो यह सोच रहे हो कि बेटी का विवाह करके आप मुक्त हो जाओगे तो बहुत बड़ी गलती पर हो। पहले उसे बेमतलब का लाड प्यार बंद करके उसे धरातल पर लाओ ग्रेजुएशन करवाके उसे कोई इंटीरियर डिजाइनिंग या ड्रेस डिजाइनिंग या कोई और कोर्स सिखाओ ताकि वह खुद अपने पैरों पर खड़ी रह सके और जमाने की असलियत समझ सके। सिर्फ अपना भार उतारने के लिए उसका विवाह करना ठीक नहीं है। मैं बेटी का घर बसाना ही चाहती हूं इसलिए इस विवाह के लिए स्वीकृति नहीं दे सकती। वर्मा जी भी सोच मत पड़ गए शायद उनकी पत्नी सही ही कह रही थी। पाठक गण आपका क्या ख्याल है? शिवानी ने सही कहा?
मधु वशिष्ठ, फरीदाबाद, हरियाणा।
बिटिया का घर बसने दो शीर्षक के अंतर्गत लिखी गई रचना