माँ की खाँसने की आवाज सुनकर प्राची की नींद खुली।आवाज रसोई घर से आ रही थी।उसने घड़ीदेखी 5 बज रहा था।उसने सोचा माँ भी ना अजब करती है कुछ भी कहो पर वह मानेगी नहीं।वह हमेशा अपने मन का ही करेगी।मन ख़राब है तो क्या जरूरत है सुबह उठकर नाश्ता बनाने की।एक दो दिन हम बाहर मे खा लेंगे तो कोई बीमारी नहीं हो जाएगी। पर माँ नहीं मानेगी और कुछ कहने पर
बस यही कहेगी कि जब तुम माँ बनोगी तब पता चलेगा कि बच्चे जब घर से भूखे निकलते है तो माँ के दिल पर क्या बीतती है। सुबह से रात तक काम करने से अब माँ प्रायः बीमार हो जा रही है फिर भी वे बात नहीं मानती है।कहती है जमाने से घर के सारे काम कर रही हूँ,अब तुम सब मुझे बताओगे कि
मुझे कितना काम करना चाहिए।अरे!मौसम मे परिवर्तन होता है तो सर्दी खाँसी आदमी को हो जाता है इसमें काम कहाँ से आ जाता है।माँ की खाँसी रुक नहीं रही थी। प्राची को जब बर्दास्त नहीं हुआ तो उसने सोचा माँ को अब कड़े शब्दों मे समझाना होगा कि आपकी अब उम्र बढ़ रही है तो उस हिसाब
का ही काम कीजिए।प्राची उठकर माँ के पास गईं। उसे देखते ही माँ नें कहा लग रहा है कल रात को ज़रा आइसक्रीम खा ली थी इसलिए खाँसी हो रही है।चलो अब उठ ही गईं हो तो ब्रश कर लो मै चाय बनाती हूँ। ठीक है माँ कहकर प्राची वाशरूम चली गईं।उसके आनें तक माँ नें चाय बना लिया था।
फिर दोनों माँ बेटी चाय लेकर बालकनी मे बैठकर पीने लगी।प्राची नें कहा माँ आइसक्रीम तो पापा नें भी खाई थी। पर उन्हें तो कुछ नहीं हुआ।शुभ शुभ बोल क्या चाहती है कि पापा भी बीमार हो जाए।नहीं मै तो चाहती हूँ कि तुम भी बीमार नहीं हो। हाँ, आगे से ध्यान रखूंगी अब आइसक्रीम नहीं
खाउंगी।प्राची अब मूल मुद्दे पर आना शुरू हुई।माँ तुमसे एक बात पूछू?पूछो।माँ का काम सिर्फ बच्चो के लिए खाना बनाना,कपड़े धोना है? माँ चुप थी। माँ एक बात कहूँगी बुरा मत मानना। इसपर विचार करना।माँ मै माँ नहीं हूँ,पर बेटी हूँ। इसलिए मुझे पता है कि माँ के क्या काम है क्योंकि मै तुमसे जो चाहती हूँ वही तुम्हारा काम है। बच्चे क्या चाहते है यह जाने बिना क्या माँ का कर्तव्य निभाया जा
सकता है?माँ खाना कपड़ा नौकरानी भी कर सकती है,पर वह माँ नहीं है।माँ वह होती है जो बच्चो को हर पग पर सही गलत की जानकारी दे, बच्चो को जब मानसिक संबल की जरूरत हो तो माँ उसके साथ ख़डी रहे।खाना बनाने को कमतर काम नहीं कह रही हूँ।अपनी माँ के हाथो का स्वाद हरेक बच्चे के लिए सबसे अच्छा होता है पर जब माँ की आयु बढ़ जाती है तो प्रतिदिन समय पर खाना बना
करदेना उसके लिए सम्भव नहीं है।यह बच्चो को भी समझना चाहिए और माँ को भी।आज जब दादी नहीं रही और हम बच्चे भी अपने अपने कामों मे व्यस्त है तो इस समय दादाजी के लिए खाना से ज्यादा जरूरी किसी से मन कि बात करना है।आप नौकरानी से खाना बनवाकर भी दादाजी को दोगी तो भी वे गुस्सा नहीं करेंगे यदि तुम उनके साथ सिर्फ थोड़ी देर बात कर लिया करो।उन्हें क्या चाहिए
यह जानो।गृहणी का काम हर समय बदलता रहता है।आज पुरे परिवार को तुम्हारे द्वारा बनाए खाने से ज्यादा तुम्हारे साथ की जरूरत है। यदि तुम्हे कुछ हो जाएगा तो भी हम खाना खाएंगे ही पर जब जीवन मे कोई कठिनाई आएगी तो हम किसके गोद मे सर रख कर आराम महसूस करेंगे, यह तुमने सोचा है।लोगो को लगता है कि बेटी को ही माँ की जरूरत होती है पर सही मायने मे एक बेटा को माँ
की जरूरत बेटी से ज्यादा होती है। पुरुष का अहं उसे किसी के सामने अपनी कठिनाई को व्यक्त नहीं करने देता है पर माँ के सामने वह पुरुष ना होकर एक बच्चा होता है इसलिए अपनी सारी कठिनाइयों को माँ के सामने बेझिझक कह देता है। पत्नी भले ही पति की कठिनाई को जानकर उसे संबल देती है पर वह अपने मुँह से उसे भी अपनी कठिनाई नहीं बताता।पत्नी को कुछ हो जाता है तो
पति तो एकदम से टूट ही जाता है। इसलिए माँ गृह के लिए गृहस्वामीनी का महत्व बहुत ही बड़ा है।उसे सिर्फ खाना कपड़ा मे मत बांधो।तुम्हे कुछ भी हो जाएगा तो यह घर बिखर जाएगा। इसलिए तूम अपना ख्याल भी रखा करो। दादाजी, पापा,भैया और मुझे सबको तुम्हारी बहुत जरूरत है। अब कुछ समझ आ रहा है कि जब मै माँ बनुँगी तो कैसी बनुँगी और अब आपको कैसी माँ बनना है? जाओ
जाकर आराम करो। आज मै और भैया दोनों केंटीन मे खा लेंगे। आराम से आठ बजे उठना और पापा, दादाजी और अपने लिए नाश्ता खाना बनाना। हाँ मेरी मालकिन जो आपकी आज्ञा माँ नें कहा फिर दोनों हँसते हुए फिर थोड़ी देर के लिए सोने चली गईं।
वाक्य —जब तुम माँ बनोगी तब पता चलेगा
लतिका पल्लवी