हर साल गर्मी की छुट्टियों में हम बच्चों के साथ कहीं ना कहीं घूमने जाते थे और इस बार हमने शिमला जाने का प्लान बनाया। शिमला का नाम आते ही मुझे याद आया कि वहां मेरी कॉलेज की बेस्ट फ्रेंड सुहानी भी रहती है। मैंने अपने पति से कहा, “हम शिमला जाएंगे तो तो मैं अपनी बेस्ट फ्रेंड सुहानी के घर भी जाऊंगी लेकिन उसे फोन करके नहीं बताऊंगी बिल्कुल सरप्राइज दूंगी।
हम शिमला पहुंच चुके थे पहले तो हमने चार-पांच दिनों तक शिमला और उसके आसपास के इलाके को घुमा फिरा फिर लौटने के आखिरी दिन हमने सोचा कि सुहानी से चलकर मिल आते हैं।
सुबह-सुबह ही हम सुहानी के घर पहुंच चुके थे घंटी बजते दरवाज़ा उसके पति ने खोला ,मैं जल्दी से अंदर जाकर चिल्लाने लगी सुहानी कहाँ हैं ,बाहर आओ ना। जब मैं अंदर जा रही थी तो सुहानी के पति ने कुछ बोला तो था ,पर कहते है ना, जो ज्यादा अजीज होते है उनसे मिलने के लिये हम दूसरों को अनदेखा कर जाते है। शिवानी अपनी धुन में एक कमरे से दूसरे कमरे में घुमने लगी कि तभी उसकी नजर एक तस्वीर पर पङी। वो एक पल को उस तस्वीर को देखकर अनदेखा कर दी और जोर से चिल्लाई – नहीं,ऐसा नही हो सकता है।
फिर वो सोफे के पास आकर चुपचाप बैठ गई । वो उस तस्वीर को देखकर अनदेखा कैसे कर दे। तभी सुहानी के पति प्रताप उसके पास आकर बोले अब नहीं रही तुम्हारी सहेली सुहानी। घर में घुसते ही सुहानी पति के सर पर बाल नहीं दिखें तो विनोद(शिवानी के पति) ने पूछा बालों को क्या हुआ और वो धीमे शब्दों में बोले वाइफ नहीं रही …यही वो बात शिवानी बिना सुने अंदर चली गई थी। अब वक्त था ये जानने का कि अचानक ये हुआ कैसे? बस उनके पति इतना ही बोले बहुत बीमार हो गई थी और अपने अंतिम समय में आपसे बात करना चहती थी पर आपलोगों का फोन ही नहीं लग रहा था, हमने बोला फोन तो पास में ही था फिर क्यो नही लगा। फिर हमें अचानक याद आया कि उन दिनों हम भारत से बाहर भ्रमण पर गये हुये थे,और जो नम्बर उनके पास था उससे बाहर बात नहीं हो सकती थी। जिस उल्लास के साथ शिवानी अपनी सुहानी को मिलने आई थी वो सब काफूूूर हो गया ।