देवी बहुत सुलझी हुई सुंदर और सुशील ग्रहणी थी देवी के मां-बाप बचपन में ही गुजर गए थे अपने मां के पास रहती थी मामा ने अच्छा लड़का देखकर जल्दी ही शादी कर दी थी।
जब ससुराल गई तो ससुराल में धीरे-धीरे काम करती थी..
बहु जल्दी से नाश्ता बनाकर लेकर आ जाओ ..देवी ने इतना ही सुनते ही जैसे ही कढ़ाई चढ़ाई और कढ़ाई का तेल गिर गया।
पीछे से सास आ गई और चिल्लाने लगी तुम्हें इतना भी नहीं बनता.. देवी डर जाती थी।
मामा के यहां भी मामी हमेशा चिल्लाती रहती थी थोड़ी देर बाद देवी ने पतीले में दूध गर्म करने रखा।
और जैसे ही दूध गर्म करने रखा और कुछ काम में लग गई और दूध सारा बह गया।
सास ने जैसे ही देखा तो कहा कैसी बहू में लेकर आई हूं एक काम यह ढंग से नहीं करती है।
सास इतना देखकर गुस्से में आ गई और कहा कि आज मेरे किचन से तुम बाहर हो जाओ!!
लेकिन देवी नहीं मानी और फिर से दूसरे काम करने लगे सास ने कहा कि जा तू झाड़ू और पूछा ही कर..
तुझे कुछ भी काम नहीं तरीके से आता है देवी की कम उम्र में शादी हो गई थी।
और इस कुछ भी चालाकी नहीं आती थी धीरे-धीरे वह काम करना सीख ही रही थी।
कभी रोटियां जल जाती तो कभी सब्जी जल जाती या देखकर सास को बहुत गुस्सा आता था।
और एक दिन कहने लगी कि तेरे मां-बाप तो है नहीं और मामा ने कुछ दिया नहीं है ।
तू मेरा इतना नुकसान करती रहती है मेरा बेटा सुबह से शाम तक कितनी मुश्किल से कमा कर लेकर आता है।
और तू सभी सामान बर्बाद करने में लगी रहती है देवी अपने कमरे में दौड़ कर गई और जोर-जोर से रोने लगी।
कुछ देर बाद फिर से सास ने आवाज दी कि आज मैं तुझे भाजियां सुधारना सिखा देती हूं ।
और सास धूप में बैठ गई भाजी लेकर धीरे-धीरे देवी आंसू पूछ रही थी।
और काम कर रही थी एक दिन सास बाथरूम में गई और फिसल गई घर में कोई नहीं था ।
सास ने चिल्लाया देवी देवी मुझे उठाओ देवी तुरंत दौड़ कर गई ।
और धीरे-धीरे करके सास को पलंग पर आकर लिटाया और घबराकर अपने पति नितिन को फोन किया।
नितिन दौड़ लगाकर घर आया और डॉक्टर के पास तुरंत ले गया सास की तबीयत बहुत खराब हो गई ।
उनका पैर फ्रैक्चर हो गया लगातार देवी ने उनकी बहुत सेवा की एक पल भी उन्हें अकेला नहीं छोड़ती थी ।
सुबह से लेकर शाम तक कभी खिचड़ी बनाना कभी दलिया बनाना …और घर वालों को खाना खिलाना।
कभी सास उल्टा सीधा बोल भी देती थी तो देवी पलट कर कभी जवाब नहीं देती थी।
और उनके साथ हमेशा बैठी रहती थी कभी उनके लिए टीवी चालू कर देती थी और कभी गाने उनको सुना देती थी।
आज सुबह सवेरे जब देवी नहा धोकर पूजा करके सास के पास बैठकर दलिया खिला रही थी तभी उसने एक सुंदर सा भजन गया उसका भजन सुनकर सभी लोग अचंभित रह गए।
और उसको बहुत तारीफ मिली अब हर दिन देवी एक भजन और एक गाना सभी को सुनाती थी।
उसकी आवाज इतनी मधुर और मीठी थी कि कई बार तो पड़ोस में रहने वाली आंटी भी आकर सुनने लगती थी ।
एक दिन देवी ने अपनी सास को बताया कि वह पहले संगीत सीखा करती थी… और सिखाया भी करती थी छोटे-छोटे बच्चे उसके पास संगीत सीखने आते थे लेकिन अब उसके बाद तो सब कुछ छूट गया।
उसकी आवाज बहुत ही मधुर और मीठी थी पड़ोस में रहने वाला एक छोटा बच्चा अब उसके पास संगीत सीखने आने लगा।
धीरे-धीरे करके चार-पांच बच्चे उसके पास संगीत सीखने आने लगे पहले तो उसने कहा कि मुझे समय नहीं रहता है।
लेकिन आज पड़ोस के लोग उसके पीछे पड़ गए कि नहीं अब तुम्हें संगीत सिखाना पड़ेगा ।
और सास की परमिशन बाद में मिली क्योंकि वह तो जस्ट ऐसी ही सीख रही थी।
और उन्होंने कहा देवी तुम अपनी संगीत क्लास फिर से स्टार्ट कर सकती हो.. मुझे कोई ऑब्जेक्शन नहीं है।
सुबह से शाम तक अपना पूरा काम करके फिर उसने 2 घंटे की संगीत क्लास शुरू कर दी।
अब सास का नेचर बिल्कुल ही बदल गया देवी का पूरा साथ देने लगी ।
और हर काम में जो देवी की गलतियां निकलती थी अब उसे प्यार से सब कुछ समझने लगी।
एक दिन एक स्कूल से उसके लिए ऑफर आ गया संगीत सिखाने के लिए।
उस स्कूल में एक एनुअल फंक्शन था उसके लिए देवी को एक गीत तैयार करना था।
एक गीत तैयार करने के लिए अच्छी खासी वह रकम देने वाले थे..
जब यह बात देवी ने अपनी सास को बताई..तो उन्हें कुछ देर सोचा और फिर हांमी भर दी।
देवी का खुशी का ठिकाना नहीं था और उसने एनुअल फंक्शन में बहुत अच्छा गीत तैयार कराया।
बहुत तारीफ मिली और सास ने भी उसका माता चुम्मा और देवी ने आशीर्वाद लिया और कहा की आगे भी आप हमें आपका आशीर्वाद चाहिए।
बस ऐसे ही आगे बढ़ते जाऊं सास ने कहा कि मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।
तुम इसी तरह से तरक्की करते रहो और आज देवी संगीत की दुनिया में अपना नाम रोशन कर रही है।
विधि जैन