साक्षी अब बड़ी हो चली थी मां-बाप को साक्षी की बहुत टेंशन हो रही थी पढ़ने लिखने में ज्यादा मन लगता नहीं था साक्षी का उससे कोई काम बोलो तो वह ज्यादा इंटरेस्ट से काम करती नहीं थी मां-बाप को टेंशन थी कि ससुराल में जाकर वह कैसे रहेगी और क्या करेगी साक्षी को घूमने फिरने का बहुत शौक पार्टी अटेंड करना उसका एक शौक बन गया था
मम्मी शीला हमेशा साक्षी को डांटती रहती थी कि बेटा अच्छे से पढ़ाई कर लोगी तो नौकरी अच्छी मिल जाएगी अच्छा काम आओगे और फिर तुम घूमने फिरने में इंटरेस्ट ले लेना लेकिन साक्षी के दिमाग में कुछ भी नहीं घुसता था वह हमेशा मेकअप करने तैयार होने और पार्टी में जाने के लिए तैयार रहती थी और अपने दोस्तों से कहती थी
कि चलो आज हम सब मिलकर होटलिंग करने चलते हैं और उसके दोस्तों को भी यह सब बता था साक्षी के पापा की ज्यादा सैलरी नहीं दी लेकिन वह अपनी बेटी को कभी भी दुखी नहीं देख सकते थे और वह भी साक्षी को पैसा दे देते थे शीला यह देखकर बहुत दुखी होती थी एक दिन साक्षी की बुआ घर पर आई
और एक अच्छा सा रिश्ता लेकर आ गई शीला सुनकर बहुत खुश हुई और लड़के वालों को उन्होंने घर पर बुला लिया लेकिन साक्षी उसे समय बाहर गई हुई थी जब वह घर पर आई तो उसने देखा बहुत सारे मेहमान घर में बैठे हुए हैं शीला ने इशारों में कहा कि जा बेटा अच्छे से तैयार होकर आज तभी साक्षी ने कहा कि मैं अभी तो बाहर से आ रही हूं मतलब मैं तैयार हूं
फिर मैं क्यों किसी के लिए तैयार हूं शीला ने फिर भी गुस्से से आज दिखाई और साक्षी अपने बेडरूम में चली गई हल्का सा सूट पहनकर बाहर आई और लड़के वाले उसे देखते ही रह गए उन्होंने साक्षी को एक ही बारे में पसंद कर लिया और रिश्ता पक्का हो गया कुछ ही महीना में साक्षी की शादी हो गई जब ससुराल साक्षी गई उसका बहुत अच्छे से स्वागत किया गया
अच्छा बड़ा घर था साक्षी की शादी लोकल हुई थी उसका मायके आना जाना शुरू हो गया वापसी उसकी सारे दोस्त फिर से मिल गए शीला साक्षी को हमेशा समझती रहती थी कि ज्यादा मायके मत आया करो देखो तुम्हारी इज्जत सम्मान सब ससुराल में ही है साक्षी को यह बात बहुत बुरी लगती थी और मम्मी से कहती थी कि आप चाहती हो कि मैं मायके नहीं हूं
और बहुत लड़ाई झगड़ा करती थी साक्षी का पति सीधा-साधा कभी रोक-टोक नहीं करता था लेकिन साक्षी की स मीना को साक्षी का इस तरह से बार-बार मायके जाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था साक्षी मायके के बहाने आती और अपने दोस्तों से मिलती-जुलती रहती थी शीला हमेशा समझती थी कि बेटा काम किया करो घर में अकेली स कितना काम करेंगे
और उनके मन में आ जाएगा कि मैं तुम्हें बिगाड़ रही हूं और यह सब तो गलत हो जाएगा ना तब भी साक्षी को कुछ समझ में नहीं आता था एक दिन साक्षी के पति मनोज की बहुत तबीयत खराब हो गई लेकिन उसी दिन साक्षी की बेस्ट फ्रेंड का बर्थडे था और उसने बड़ी होटल में पार्टी रखी थी साक्षी ने बहाने बनाकर और ससुराल से मायके की ओर आ गई और यह कह कर आई
की मम्मी ने आज मेरा निमंत्रण किया है साक्षी की स मीना को यह बात समझ में आ गई की कोई बहाने बनाकर यह जा रही है साक्षी जो सुबह 12:00 से निकली शाम को 8:00 बजे आई तब शीला को पता चला कि यह झूठ बोलकर अपनी बेस्टी के साथ घूमने गई है शीला ने उसे बहुत डांट लगाई और कहां की तुम अब ससुराल से कभी बिना बताए झूठ बोलकर नहीं आओगे
मनोज की तबीयत दिन पर दिन खराब होती जा रही थी उसे एडमिट करना था लेकिन साक्षी को उसकी तबीयत का कुछ भी ध्यान नहीं रहता हमेशा फोन पर बात करती रहती थी एक दिन चावल चढ़कर भूल गई और चावल सारा जल गया लेकिन उसने अपना फोन नहीं रखा वहां पर मनोज आवाज दे रहा था
कि साक्षी मेरी दवाइयां तुम ला दो मुझे खानी है तब भी उसको कुछ असर नहीं पड़ा और साक्षी की सास को गुस्सा आ गया और उन्होंने बिठाकर साक्षी को समझने की कोशिश की लेकिन साक्षी को एक भी बात उनकी समझ में नहीं आ रही थी और उसने कहा मम्मी मुझे जितना काम करना होता है मैं कर लेती हूं आगे का काम आप देख लिया
करो तभी मीणा को गुस्सा आ गया और कहां साक्षी बहुत तुम यह मत समझो भगवान सब कुछ देख रहा है आज तुम्हारा पति बीमार है और तुम घूमने फिरने की बात करती रहती हो हमेशा मोबाइल पर लगी रहती हो शादी के बाद थोड़ी तो समझदारी से कम लिया करो यदि तुम समझदार हो जाओगी तो तुम्हारा घर परिवार अच्छे से चलेगा सास ससुर तुम्हारी कब तक हेल्प करेंगे
साक्षी को यह बात बहुत बुरी लगी और उसने कहा कि मम्मी मैं अपने पति का खाती हूं आपका नहीं खाती हूं तभी मीणा ने कहा तुम कितनी बहस करती हो मेरे से तुम मेरे साथ थोड़ा सा काम में हाथ बात लगी तो तुम बहुत कुछ सीख जाओगे साक्षी को मीणा की समझाएं बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी और मनोज से कहती थी कि तुम हमेशा बीमार रहते हो 5 दिन हो गए
तो मैं बीमार होते यदि तुम इसी तरफ से पलंग पर पड़े रहोगे और मम्मी मुझे सुनती रहेगी तुम एक दिन में तुम्हें छोड़कर यहां से चली जाऊंगी तब मनोज ने कहा कि मैं उनकी तरफ से क्षमा मांगता हूं ठीक है तुम्हें जो काम करना है करो वरना तुम अपनी मर्जी के मालिक हो लेकिन साक्षी को एक दिन अपने किए पर पछतावा होने लगा
और उसने सोचा कि यदि मैं यहां से चली जाऊंगी और मेरी मां ने भी मुझे मायके से निकाल दिया तो फिर मैं क्या करूंगी मुझे तो वैसे भी किसी काम में मन नहीं लगता और उसने सोचा कि अब मैं ज्यादा आउटिंग घूमने फिरने से अच्छा है
मैं भी मम्मी के साथ काम काम में हाथ बटालिया करूंगी अब चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े मैं अब बड़ी हो चली हूं और मुझे भी समझदारी दिखानी चाहिए इस तरह से साक्षी ने अपने आप में बदलाव किया और घर में भी उसकी इज्जत सम्मान होने लगी
लेखिका : विधि जैन