मोहन की नयी नयी शादी हुई थी, उसकी पत्नी उर्मिला घर मे सभी के साथ बड़े प्यार से रहती थी। मोहन के घर वाले भी उर्मिला को बड़ा प्यार करते थे, सब कुछ बहुत बढ़िया चल रहा था। फिर उर्मिला कुछ दिन के लिए अपने मायके रहने के लिए गई।
और जब वो बापिस आई तो उसके व्यवहार मे आश्चर्यजनक परिवर्तन था, उसका सबसे बात करने का तरीका अब पहले जैसा बिल्कुल नही था।
अब वो मोहन के परिवार को बिल्कुल भी पसन्द नही करती थी। बात बात पर लडाई झगड़े करती थी। वो अब मोहन के परिवार से अलग रहना चाहती थी। सब उसका ऐसा व्यवहार देखकर हैरान थे।
दरअसल मोहन की सास कांता देवी ने ही अपनी बेटी उर्मिला को यह सब सिखा कर भेजा था, की अगर वो मोहन के साथ उसके परिवार से अलग रहेगी तो मोहन का सब कुछ उसका होगा। और वो सिर्फ अपने और मोहन के लिए खाना बनायेगी न की पूरे परिवार के लिए। बस यही सब बातों ने उर्मिला को उकसा दिया था।
एक दिन मोहन घर पर नही था तो उर्मिला और उसकी सास के बीच कुछ बहस हुई जो बड़े झगड़े मे बदल गई जिसमे उर्मिला ने अपने मंसूबो को मोहन के परिवार को बता दिया की वो अब उनके नही रहना चाहती बल्कि मोहन को साथ लेकर उनसे कहीं दूर रहना चाहती है।
इतना सुनते ही पुरा परिवार दंग रह गया, मोहन की माँ तो जैसे बेसुध हो गयी। थोड़ी देर बाद जब उसे होश आया तो उसने हाथ जोड़कर उर्मिला से ऐसा न करने को कहा।
मोहन की माँ ने कहा की तुम मेरे बेटे को मुझ से अलग मत करो मोहन मेरा इक्लौता बेटा है, एक माँ को बेटे से अलग करने का पाप तुम मत करो। नही तो कल को तुम्हारी औलाद भी होगी वो भी तुम्हारे साथ ऐसा ही करेगी क्योंकि ” बहु यह मत भूलो भगबान सब देखता है “।
अपनी सास को इस तरह अपने बेटे के लिए रोता बिलखता देख उर्मिला को अपनी गलती का एहसास हो गया वो समझ गयी की वो कितना बड़ा पाप करने जा रही थी। फिर उर्मिला ने अपनी सास के चरणों को स्पर्श करके अपनी गलती की क्षमा पूरे परिवार से मांगी। और फिर पुरा परिवार खुशी खुशी एक साथ रहने लगा।
“जस संधू”