बहू! ये मत भूलो भगवान सब देख रहा है! – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“हमें अफसोस है लाख कोशिश कर के भी हम आपकी पत्नी को बचा नहीं सके”!आपरेशन थियेटर से निकल कर डाक्टर ने मुंह से मास्क उतार कर रमन से कहा!

रमन हक्का बक्का सा कभी मां कमला जी को तो कभी अपनी दस साल की बेटी मानू को देख जमीन पर धम्म से बैठ गया!और मानू को छाती से चिपका फफक कर रो पड़ा! 

उसकी तो जैसे दुनिया ही उजड़ कर रह गई! 

रमन नीमा और मानू के साथ अपनी छोटी सी गृहस्थी में बहुत खुश था!

कमला जी नीमा को बिलकुल अपनी बेटी की तरह रखती!बदले में नीमा भी उनको अपनी मां से भी बढ़कर मानती!

आस पड़ोस वाले उनके संबंधों की मिसाल देते नहीं थकते थे!कोई बाहर वाला देखता तो यही समझता कि वे दोनों सास बहू नहीं बल्कि मां बेटी हैं!

उन दोनों के प्यार भरे रिश्ते की वजह से रमन के घर में सुख शांति और सौहार्द का वातावरण था!

नीमा के देहांत को लेकर सब लोग यही कह रहे थे कि रमन के घर को किसी की नजर लग गई! ऐसा घर तो विरलों का होता है!

कमला जी अक्सर बीमार रहती थी फिर भी यथासंभव प्रयास करती कि रमन और मानू को नीमा की कमी किसी हालत न अखरे! उन्हें किसी तरह की कमी न हो!

रमन जो नीमा के बगैर एक पल भी रह नहीं पाता था उसके जाने के बाद टूट सा गया था!नीमा ही थी जो उसकी छोटी से छोटी जरूरत का ख्याल रखती!रमन के बिना कहे ही वह समझ जाती उसे क्या चाहिए! 

मानू तो मां के जाने से जैसे सहम सी गई थी!वह गुमसुम सी रहने लगी थी!हंसी तो जैसे पूरे घर से गायब ही हो गई थी! घर में जहां सब हर वक्त खुशी के ठहाके गूंजा

 करते अब मातम का सन्नाटा पसरा था!

बेचारी कमला जी ही जैसे तैसे अपना दुख भूल कर रमन और मानू को नीमा की यादों से बाहर निकालने की कोशिश करती!

मानू तो बच्ची थी खेल खिलौनों से बहल भी जाती पर रमन चाहकर भी नीमा को भुला नहीं पा रहा था!

नीमा अपने मां-बाप की इकलौती संतान थी!

अपनी लाडली बेटी का गम उनसे सहन नहीं हो रहा था!

मानू की हालत देख कर वे उसे अपने साथ ले जाना चाह रहे थे पर रमन ने यह कहकर मना कर दिया कि अपनी नीमा की आख़री निशानी को वह अपने से कभी अलग नहीं करेगा!

कहावत है जाने वाले के साथ कोई नहीं जाता!कितना भी प्रिय हो धीरे धीरे ज़िन्दगी की रफ्तार अपने पुराने ढर्रे पर आ जाती है!

मानू अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गई! कमला जी की बीमारी बढ़ती जा रही थी!घर की देखभाल में उन्हें दिक्कत होने लगी थी!

अड़ोसी पड़ोसी और रिश्तेदार रमन पर जोर डालने लगे और समझाने लगे कि अभी उसकी उम्र ही क्या है वह जवान है ,पहाड़ सी ज़िन्दगी अकेले कैसे कटेगी!वंश का वारिस भी तो होना चाहिए!

दूसरा ब्याह हो जाऐगा तो मानू को मां मिल जाऐगी , रमन का अकेलापन दूर हो जाऐगा उसका घर बस जाएगा और मां भी बुढ़ापे में चैन की दो रोटी खा सकेंगी!

रमन बहुत पशोपेश में था!यह सोचकर कि दूसरी बीवी पता नहीं कैसी हो ।वह अपनी नीमा की जगह किसी और को कैसे देगा!

सबसे ज्यादा उसे मानू की फिक्र थी!सौतेली मां अगर मानू को मां का प्यार ना दे पाई और मानू दुखी रही तो वह कैसे सहन कर पाएगा! वह किसी हालत दूसरे ब्याह को तैयार नहीं था!

कुछ दिन और बीते

कमला जी की बीमारी और मानू की बढ़ती उम्र देख कर रमन बेमन से ही सही ब्याह को राजी हो गया!

नीमा की दूर की मौसी की बेटी नैना से रमन का ब्याह हो गया!

नैना दुहाजू से ब्याह के लिए किसी हालत राजी नहीं थी पर पैसे के लालचवश उसके मां-बाप ने उसे समझा बुझाकर राजी कर लिया!

रमन के घर आकर उसे सबसे ज्यादा चिढ़ मानू और कमला जी से थी!वह रमन के दिल पर एकछत्र राज करना चाहती थी!

घर में मानू और कमला जी की मौजूदगी उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी!

रमन को अपने प्रेम के जाल में फंसाकर अपनी अदाओं के लटके झटके दिखाकर उसने जल्दी ही उसे अपने काबू में कर लिया!

रमन की पीठ पीछे वह कमला जी और मानू से बहुत बुरा व्यवहार करती!

कमला जी के मौन को वह उनकी कमजोरी समझ उन्हें भी बुरा भला सुनाने में न चूकती!

उन्हें कभी भूख लगती तो तड़क कर कहती”बुढिया के पैर कबर में लटके हैं पर चटोरापन नहीं जा रहा!थोड़ी देर हो जाएगी तो मर नहीं जाएगी!

मानू खाना मांगती तो नैना घुड़क कर कहती”जाने इसका पेट है या कुंआ हर वक्त बस खाना खाना!काम की ना काज की !

कभी वह मानू के हाथ पर गर्म चिमटा लगा देती कभी बेलन मार देती!कभी गुस्से से बाल खींचती तो कभी कान ऐंठ देती!

कमला जी कभी मानू को बचाना चाहती तो नैना उन्हें भी धमका देती यह कहकर कि कल से खाना बंद कर दूंगी तो दादी पोती मरना भूखी!

कमला जी का रमन के सिवा कोई सहारा नहीं था!ना ही आजीविका का साधन!वे मजबूर थीं!

हर बार वह मानू को डराती कि पापा से शिकायत करोगी तो अनाथालय भिजवा दूंगी या स्कूल जाना छुड़वा दूंगी!पड़ी रहना घर में!

रमन के घर में घुसते ही उसके तेवर बदल जाते!वह मुंह में चाशनी घोलकर ऐसे बातें करती कि रमन सोच भी नहीं सकता कि नैना उसकी मां और बेटी के ऊपर कोई अत्याचार कर सकती है!

रमन के सामने वह जताती मानो सारा घर का काम उस बेचारी को अकेले करना पड़ता है!

नैना हर वक्त इसी फिराक में रहती किसी तरह मानू को रमन की नज़रों से गिरा दे और तंग आकर वह कमला जी और मानू को गांव भेज दे!जहां कमला जी अपने पति के साथ रहती थीं!

मानू की चप्पल टूट गई थी उसे चप्पल लेने को पैसे चाहिए थे !मानू ने रमन से पैसे मांगे तो नैना ने रमन के सामने कहा वह मानू को दिलवा देगी!फिर वह चुप लगा गई! उसने मानू को घुड़का

एक दो दिन चप्पल ना पहनेंगी तो पैरों में छाले तो ना पड़ जाऐंगे!

ला दूंगी चप्पल! 

रात को नैना ने चुपके से रमन की जेब से सौ रुपए का नोट निकाल कर मानू के बैग में रख दिया!

जिससे मानू रमन की नज़रों में गिर जाए! 

मौके की बात थी कि कमला जी ने उसे देख लिया!उस वक्त वे डरके मारे चुप रहीं!

सुबह जब मानू स्कूल जाने को निकली तो नैना ने रमन को बताया कि नैना के पैसा देने से पहले ही मानू ने रमन की जेब में से सौ रुपए चुरा लिये क्योंकि मानू को नैना पर विश्वास नहीं था कि वह उसे चप्पल दिलाएगी. 

मानू ने चोरी की यह सुनते ही रमन गुस्से से आगबबूला हो उठा!उसने आव देखा ना ताव!एक झन्नाटे दार चांटा मानू के कोमल से गाल पर जड़ दिया!मानू के गोरे गाल पर रमन की पांचों उंगलियों के निशान उभर आए! 

मानू पर झूठा इल्ज़ाम कमला जी से सहन नहीं हुआ!वे गुस्से से तमतमा कर बोली”बहू ये मत भूलो कि भगवान सब देखता है”!आज तक मैं मानू पर होते हर जुल्म को बर्दाश्त करती आई थी !पर अब नहीं !आज तुमने उस बच्ची पर उसके ही पिता का हाथ उठवा दिया! जिसे किसी ने कभी फूल से भी नहीं छुआ था!जो उसे जान से ज्यादा प्यार करता था!

मैने खुद तुम्हें मानू के बैग में नोट रखते हुए देखा!

 “नैना!हमने तुम्हें हर सुख सुविधा दी!अपनी नीमा की जगह तुम्हें रखा!

बढ़िया से बढ़िया कपड़े गहने दिये!बदले में तुमने हमें ही घर से बेघर करना चाहा”

पहले दिन से ही हम दोनों तुम्हारी आँख की किरकिरी थे मैं जानती हूँ! घर की सुख शांति की वजह से मैं चुप रहती!पर अब पानी सर से ऊपर चला गया!

कमला जी ने रमन को एक एक करके अपने और मानू पर नैना द्वारा किये अत्याचारों को बताया.

मानू की पीठ पर छड़ी के निशान और चिमटे से जलाऐ हाथ दिखाए! 

कमला जी की बातें सुनकर और मानू का हाल देख कर रमन की आँखें खुल गई! उसने दुखी और शर्मिन्दा होकर कमला जी के पांव पकड़ लिये और मानू को गले से लगा कर उससे बार बार माफी मांगने लगा!वह अपने हाथों और सर को को दीवार से बार-बार पटकने लगा!

 वह गुस्से से तिलमिला उठा और नैना का हाथ पकड़कर उसे घर से बाहर ढकेल कर बोला “अब इस घर में तेरी कोई जगह नहीं! जाओ अपने माँ-बाप के पास! मैं तुम्हें घर जोड़ने के लिए लाया था ना कि घर तोड़ने के लिए! मैं ही पागल था जो मेरी आँखों पर तेरे झूठे प्यार की पट्टी बंध गई थी!

मैं तुझे तलाक दे दूंगा!पर तेरी वजह से देवी जैसी मां और अपनी फूल सी बच्ची को दुखी नहीं करूंगा”!

सुधी पाठक आप बताइए रमन को क्या करना चाहिए था!

कुमुद मोहन 

स्वरचित-मौलिक

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