मम्मी , यह भाभी ने मुझे हरा सलवार – सूट क्यों पकड़ा दिया ?? मैंने तो आपसे कहा था ना मुझे गुलाबी सुट ज्यादा पसंद आया हैं , नेहा अपनी मां मीना जी से बोली !!
मीना जी बोली – अरे , तो तेरी भाभी से तू गुलाबी सुट भी मांग ले , तेरी भाभी की इतनी हिम्मत थोड़ी हैं कि तुझे मना कर दे , आखिर तू इस घर की बेटी हैं , तुने जिस चीज पर हाथ रखा हैं मैंने तुझे वह चीज दिलवाई हैं , तू क्यूं फिक्र करती हैं ??
नेहा खुश होकर अपनी भाभी निशा के कमरे में चली गई , देखा तो निशा कुछ साडियां अलमारी में जमा रही थी !!
नेहा बोली निशा भाभी नई साडियां खरीदी हैं क्या ??
निशा बोली नहीं नेहा दीदी , यह साडियां मेरे मायके वालों ने दी हैं तो बस इसे ही अच्छे से रख रही थी !!
इतनी सुंदर साडियां देखकर नेहा के मन में फिर से लालच आ गया , वह बोली भाभी आपके पास तो बहुत साडियां हैं , इनमें से एक साड़ी मुझे दे दो !!
निशा कभी अपनी ननद नेहा को किसी चीज के लिए मना नहीं करती थी !!
नेहा जो भी मांगती दे देती मगर यह साडियां निशा के मायके से आई थी और अब तक निशा ने एक बार भी पहनी भी नही थी , मन तो बहुत हुआ कि कह दे कि नेहा दीदी , मां ने बडे प्यार से भेजी हैं मुझे यह साडियां और मैंने एक बार भी पहनी तक नहीं हैं मगर उसे सासू मां के वह शब्द याद आ गए जो निशा की शादी के बाद उससे कहे गए थे कि निशा जब तक हम जिंदा हैं , हमारी बेटी नेहा को कभी यह अहसास ना हो कि अब यह घर उसका नहीं हैं , वह जो भी तुमसे मांगे उसे बेझिझक दे देना , तुम तो जानती हो बड़े लाड प्यार से पाला हैं हमने हमारी बेटी नेहा को , बस इसी बात का फायदा नेहा ने जमकर उठाया !!
नेहा निशा की हर चीज पर अपना हक जमाने लगी !! कभी निशा की साडियां , कभी निशा के महंगे – महंगे सूट और एक बार तो नेहा ने खडे खडे निशा के कानों में से आर्टिफिशियल झूमके तक उतरवा दिए यह कहकर कि उसे यह झूमके बहुत अच्छे लगे !! आज भी निशा शापिंग करने गई थी तो दो सलवार सूट लेकर आई थी एक अपने लिए और दूसरा नेहा के लिए !! नेहा हरे रंग का सलवार सूट तो ले चुकी थी मगर अब उसे वह गुलाबी सूट भी चाहिए था जो निशा ने रखा था इसलिए वह निशा के कमरे में आई थी मगर वहां उसकी नजर निशा की साड़ी पर पड़ गई जिसे मांगने में नेहा ने बिल्कुल संकोच ना किया और निशा ने उसे अपनी मायके से आई हुई साड़ी भी दे दी , यहीं सोचकर कि घर की बहन बेटी को कभी किसी चीज के लिए मना नहीं करना चाहिए , अब कहीं जाकर नेहा के मन को सुकुन मिला !!
दो दिन बाद नेहा पुरे एक महिने मायके में रहकर अपने ससुराल वापस जानेवाली थी इसलिए निशा उसे विदाई में देने सामान बाजार से ले आई थी !! जब भी नेहा अपने मायके आती निशा उसके स्वागत से विदाई तक कुछ कमी ना रखती फिर भी उसके जाने के बाद मीना जी बहू निशा को कुछ ना कुछ ताना दे ही देती कि उसकी बेटी की आवभगत में यह कमी रह गई थी !!
निशा कुछ ना कहती क्योंकि वह वैसे भी इस घर में प्रेम विवाह करके आई थी !!
मीना जी का बेटा आलोक और निशा साथ में एक ही कॉलेज में पढ़ते थे जहां उन दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया था !!
निशा के घरवाले तो शादी के लिए तैयार थे मगर आलोक की मम्मी मीना जी को मनाने में आलोक को बहुत पापड़ बेलने पड़े थे !! आलोक और निशा भागकर शादी नहीं करना चाहते थे इसलिए आलोक ने अपनी पूरी मेहनत लगा दी थी मीना जी को इस शादी के लिए मनाने !! बहुत मिन्नतों के बाद मीना जी इस शादी के लिए तैयार हुई थी , आलोक और निशा की शादी के बाद भी घर में राज मीना जी का ही चलता !! निशा एक पढी लिखी और समझदार लड़की थी वह किसी का दिल दुःखाना नहीं चाहती थी इसलिए घर में अपनी सास और ननद की मनमानियों पर भी कभी आवाज ना उठाती !!
आज नेहा अपने ससुराल वापस जाने के लिए कमरे में पैकिंग कर रही थी और निशा नेहा की फरमाईश पर रसोई में आलू – भिंडी की सब्जी , चने की पुडी , पराठे और गाजर का हलवा तैयार कर रही थी !! निशा ने नेहा को रास्ते में ले जाने के लिए भी पराठे , आचार और सब्जी पैक कर दिए थे जिसे लेकर निशा नेहा को कमरे में देने पहुंची !!
नेहा बोली भाभी आपने मुझे साड़ी तो दे दी मगर उस पर मैचिंग ब्लाउज और पेटीकोट देना भूल गई !!
निशा बोली – दीदी , वह तो अलग से खरीदना पड़ेगा , अगर आप कल याद करती तो मैं कल आपके लिए मैचिंग ब्लाउज और पेटीकोट ले आती !!
नेहा बोली कोई बात नहीं भाभी , साड़ी तो मैं अभी लेकर जा रही हुं मगर आप मैचिंग ब्लाउज और पेटीकोट लेकर रखिएगा , मैं अगली बार आऊंगी तब ले जाऊंगी !!
निशा कभी अपने मायके में अपनी भाभी से कुछ नहीं मांगती थी , उसका मानना था कि कोई अपनी पसंद से कुछ खरीदकर अगर लाकर दे दे तो अलग बात हैं मगर मांगकर लेना कभी सही नहीं होता मगर यहां नेहा को देखकर निशा यह बात समझ चुकी थी कि मांगने वाले का कभी पेट नहीं भरता , उसे कितना भी दे दिया जाए फिर भी वह इंसान मांगता ही रहेगा !!
नेहा के मायके से चले जाने के बाद मीना जी बहू निशा से बोली मेरी आंखो के आगे तो तुम मेरी बेटी का मान रख लेती हो मगर जब मैं नहीं रहूंगी तब क्या तुम अपना भाभी होने का फर्ज क्या इसी तरह निभा पाओगी ??
निशा बोली – मम्मी जी , अब तक आपकी बेटी को कभी कोई शिकायत का मौका नहीं दिया हैं तो आगे भी नहीं दूंगी !!
इसी तरह अब साल पर साल बीत रहे थे और नेहा ने एक बेटे को जन्म दिया और निशा ने एक बेटी को !!
इसी बीच निशा के माता पिता भगवान को प्यारे हो गए थे !!
वहां दूसरी ओर नेहा के सास ससुर बहुत ज्यादा बीमार रहने लगे थे क्योंकि उन दोनों की उम्र हो चली थी जिस कारण नेहा हर समय चिढ़चिढ़ी रहने लगी थी !!
उसने घर में हर काम के लिए बाई लगा रखी थी मगर उसे हर समय इस बात का मलाल रहने लगा था कि उसके सास ससुर की बीमार हालत के कारण वह कहीं घूमने नहीं जा पा रही हैं , उनके कारण उसे घर जेल जैसा लगने लगा था !!
वह अपने पति विनोद से बोली विनोद क्यूं ना हम दोनों अपनी अलग गृहस्थी बसा ले ??
विनोद बोला – नेहा , मैं अपने माता-पिता का इकलौता बेटा हूं , अगर मैं उनकी सेवा नहीं करूंगा तो कौन करेगा ??
नेहा बोली – मैं कुछ नहीं जानती, मुझे बस यहां से ले चलो , हम कहीं अगल-बगल ही दूसरा फ्लैट ले लेते हैं ताकि वक्त वक्त पर इनको भी देखने आते रहेंगे !!
विनोद बोला- नेहा दूसरा फ्लैट लेने जितने पैसे नहीं है मेरे पास !!
यह सुनते ही नेहा ने ना आव देखा ना ताव , तुरंत अपनी मां मीना जी को फोन लगाकर झटपट सारी बात बताई !!
मीना जी बोली – तू क्यों चिंता करती है बेटी , तेरी भाभी के माता-पिता ने उसके नाम पर पुश्तैनी जमीन कर रखी है , तेरी भाभी के माता-पिता तो अब इस दुनिया में है नहीं, और वैसे भी तेरी भाभी क्या करेगी उस पुश्तैनी जमीन का ?? तेरी भाभी की वह पुश्तैनी जमीन बेचकर यहां शहर में तेरे लिए तेरे ससुराल के बगल में ही फ्लैट खरीद लेंगे जिससे तेरी गृहस्थी भी अलग हो जाएगी और जमाई बाबू बीच बीच में अपने माता पिता को भी देखने जा पाएंगे !! वैसे भी तूने तेरे घर खाना बनाने वाली हैं , कामवाली बाई सब काम को लगा रखी हैं वे लोग तेरे सास ससुर की सेवा कर लेंगे , तू अपनी गृहस्थी अलग कर और अपनी जिंदगी आराम से जी ले , तु अपनी लाईफ अभी नहीं इंजाय करेगी तो कब करेगी ?? धीरे धीरे तेरी भी तो उम्र हो चली हैं !!
मैं अभी की अभी बहू से बात करती हूं कि उसकी जमीन बेचकर वह सारे रुपए तुम्हें दे दे ताकि तुम यहां नया फ्लैट खरीद पाओ !!
नेहा अपनी मां की बात सुनकर खुश हो गई और तपाक से बोली मां मुझे पता ही था तुम मेरी समस्या का कोई ना कोई हल निकल ही दोगी !! मां तुम बहुत अच्छी हो !!
मीना जी ने अपनी बहू निशा को आवाज लगाई और बोली निशा मैं जानती हूं तुम एक बहुत अच्छी भाभी हो और आज फिर से तुम्हें अपने अच्छी भाभी होने का फर्ज अदा करना है !!
नेहा अपने ससुराल से अलग अपनी गृहस्थी बसाना चाहती हैं तो हम चाहते हैं कि तुम गांव की अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर वह रुपए नेहा को दे दो ताकि वह शहर में अपने लिए नया फ्लैट खरीद सके !!
यह सुनकर निशा दंग रह गई और सोचने लगी सलवार सूट और साड़ी की मांग रखने वाली ननंद की नजर आज उसकी पुश्तैनी जमीन पर भी पड़ गई !!
निशा करारा जवाब देते हुए बोली – मां अगर नया फ्लैट ही खरीदना है तो वह जमीन बेचकर मैं ही नया फ्लैट खरीद लेती हूं और अपनी गृहस्थी अलग कर देती हूं !!
अगर आपकी बेटी ससुराल वालों के साथ मिलजुल कर नहीं रहना चाहती है तो मैं भी यहां ससुराल में आप लोगों के साथ क्यों रहूं ??
मीना जी गुस्से में बोली बहू तुम्हारा दिमाग खराब हो गया हैं क्या और क्या कमी है तुम्हें यहां ??
निशा बोली – तो आपकी बेटी को क्या कमी है उसके ससुराल में ?? बस यही ना कि उसके सास ससुर बुजुर्ग हो चले हैं और बीमार रहने लगे हैं जिसकी वजह से आपकी बेटी कहीं घूमने नहीं जा पाती !!
मैंने आप दोनों मां बेटी की बातें सुन ली थी , आप कह रही थी एक बार फ्लैट हो जाए तो अपने पति पर दबाव डालकर तुम दोनों उस फ्लैट में शिफ्ट हो जाना !!
मम्मी जी आपको शर्म आनी चाहिए अपनी बेटी को ऐसी सलाह देने के लिए !!
कल के दिन क्या आप बीमार नहीं पड़ेंगी ?? तब मैं और आलोक अगर आपके साथ ऐसा करेंगे तो क्या आप सहन कर पाएंगी ??
एक तो आप अपनी बेटी को गलत सलाह दे रही है , उपर से मेरी जमीन भी बिकवाना चाहती हैं !! मम्मी जी अपनी बेटी को जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना मत सिखाइए और मेरी जमीन बेचने के सपने देखना छोड़ दीजिए , वह जमीन हैं कोई सलवार सूट या साड़ी नहीं जो निकालकर दे दिया जाए !! मम्मी जी अब तक मैंने रिश्तों की मर्यादा रखी इसका मतलब यह नहीं कि आप मुझसे मेरा सब छिनती जाएंगी !!
बहु से करारा जवाब पाकर मीना जी चुप हो गई और अब उसके सामने कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाई मगर मन ही मन में बड़बड़ाने लगी इससे तो मेरी बेटी की खुशियां ही देखी नहीं जाती, जलती हैं मेरी बेटी से तभी तो नया फ्लैट खरीदकर नहीं देना चाहती !!
शाम को नेहा ने अपनी मां को फोन किया और बोली मम्मी भाभी से बात हो गई ?? रुपए का इंतजाम हो तो जाएगा ना ??
मीना जी बोली – अरे तेरी भाभी तो नालायक निकली बेटा , उसने जमीन बेचने से मना कर दिया है और अब तू वहीं ससुराल में रह वर्ना कहीं ऐसा ना हो कि तेरी देखादेखी में तेरी भाभी भी अपनी गृहस्थी अलग कर दें और मुझे यहां बुढ़ापे में अकेले दिन गुजारने पड़े !!
यह सुनकर नेहा उदास हो गई क्योंकि वह अपनी मां के भरोसे ही तो अपनी गृहस्थी अलग करने चली थी !!
नेहा को अब अपने ससुराल वालों के साथ ही दिन गुजारने पड़ रहे थे जो सही भी था !!
दोस्तो , मीना जी बहुत दोहरे चरित्र की स्त्री थी जो बेटी को तो अलग गृहस्थी बसाने का ज्ञान देती थी और अपनी बहू को अपने सारे कर्तव्य निभाने का ज्ञान देती थी !!
कुछ ऐसी ही स्त्रियों की वजह से उनकी बेटी और उनके बेटे दोनों का घर खराब हो जाता है !!
दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया जरूर बताएं तथा ऐसी ही अन्य रचनाएं पढ़ने के लिए हमारे पेज को फॉलो अवश्य करें !!
आपकी सहेली
स्वाती जैंन
#रिश्तों की मर्यादा