बहू ने ना कहना सीख लिया था – स्वाती जैंन :

 Moral Stories in Hindi

मम्मी , भाभी से बोल देना कि कल ऑफिस से छुट्टी ले ले , मेरे घर पर कल मैंने अपनी कुछ खास सहेलियों को बुलाया हैं , भाभी आएंगी तो मुझे मदद मिल जाएगी और वैसे भी मुझे मेरी सहेलियों के साथ बैठना पड़ेगा तो रसोई भाभी संभाल लेगी !!

रमा जी बोली – राशि कल ऑफिस से छुट्टी ले लेगी और क्या ??

 राशि ने घर में कदम रखते हुए मां बेटी की बातें सुन ली !!

राशि ऑफिस से अभी आई ही थी उसने देखा कि घर में सभी लोग समोसे खाते हुए चटकारे लेकर बातें कर रहे थे मगर राशि को देखते ही सभी एकदम से चुप हो गए !!

सास रमा जी बोली आ गई राशि !! जा फटाफट मुंह हाथ धो ले और डिनर बनाने की तैयारी कर , तुम इतनी देरी से ऑफिस  से आती हो इसलिए हम लोगो ने तो बाहर से मंगवाकर समोसे खा लिए इसलिए अब भूख थोड़ी देर शांत रहेगी !! तुम्हारी ननद संजना को वापस उसके घर भी जाना हैं इसलिए जरा जल्दी खाना बनाओ और हां चाय की चुस्कियां लेने सोफे पर मत बैठ जाना , पहले काम पर लग जाना !!

राशि को भी बहुत तेज भूख लगी थी , वह बोली – मम्मी जी मेरे लिए समोसा नहीं रखा हैं क्या ??

रमा जी बोली – एक तो देरी से घर आती हो और उस पर भी चाहती हो कि हम तुम्हारे लिए भी नाश्ता मंगवाकर रखें !! यह मेरा घर है कोई धर्मशाला नहीं समझी और तुम इस घर की बहू हो कोई महारानी नहीं !! मैंने गिनकर ही समोसे मंगवाए थे , सारे खत्म हो गए !!

राशि के ससुर जी मनोहर जी को अपनी पत्नी के दवारा कहे शब्द बुरे लगे मगर वे कुछ बोल नहीं पाए !!

राशि कपड़े चेंज करने अपने कमरे में जाने लगी तो रमा जी बोली अब कमरे में ज्यादा देर मत लगा देना , जल्दी बाहर आ जाना और सुनो कल तुम्हारी ननद की कुछ सहेलियां आ रही हैं उसके घर तो तुम्हें उसके घर खाना बनाने जाना होगा इसलिए ऑफिस की छुट्टी ले लेना !!

मम्मी जी , मैं बार – बार ऑफिस की छुट्टी नहीं ले सकती , पिछले सप्ताह भी दीदी के घर मेहमान थे जिस वजह से आपने मुझे छुट्टी लेने कहा था और मुझे ऑफिस की छुट्टी के बाद बॉस से जो डांट सुननी पड़ती हैं उसका हर्जाना तो आप लोगो को नहीं भुगतना पड़ता ना !! तनख्वाह मुफ्त की नहीं मिलती , ढेरो काम करने पड़ते हैं ऑफिस में और वैसे भी मुझे कल तक एक जरूरी फाईल सब्मिट करनी हैं , मैं छुट्टी नहीं ले पाऊंगी !!

रमा जी बोली – बहुरिया , यह ऑफिस का रौब मुझे मत दिखाओ !! घर परिवार तो संभालना ही पड़ता हैं , ससुराल वालों को किसी चीज के लिए मना नहीं कर सकती तुम !! उतने में उनकी बेटी संजना भी आकर बोली – हां भाभी !! ससुराल वालो को अपनी तनख्वाह मत गिनाओ , खाना बनाना और सबको प्यार से खिलाना तो एक लड़की को करना ही पड़ता हैं चाहे कितनी भी मोटी तनख्वाह हो उसकी , ससुराल वालों को तो खुश रखना ही पड़ता है !!

बीच में रमा जी बोली – कल के दिन तुझे जरूरत होगी तो तेरे काम भी तेरी ननंद ही आएगी समझी !!

राशि कमरे में आई और सर पकड़कर बैठ गई , पति अनिल जो कि लेपटॉप पर काम कर रहा था बोला क्या हुआ बहुत थक गई हो क्या ?? 

राशि बोली – अनिल तुम मम्मी को समझाते क्यों नहीं ?? एक तो मैं इतनी थ कीहारी ऑफिस से आई , मुझे चाय नाश्ता तो पूछना दूर उल्टा उन्होंने मुझे चार बातें सुना दी , उपर से अब कल ऑफिस से छुट्टी लेने बोल रही हैं क्योंकि दीदी के घर उनकी सहेलियां आ रही हैं !!

शुभम अपने काम में बहुत व्यस्त था बोला अरे यार !! तुमने फिर मम्मी की बातो को दिल से लगा लिया !! अब तुम घर की बहु हो तो रिश्तेदारी तो तुम्हें निभानी ही पड़ेगी ना और तुम जानती हो मैं तुम्हारी तरफ से मम्मी से कुछ नहीं कह सकता वर्ना मुझे मम्मी के मुंह से जोरू का गुलाम सुनना पड़ जाएगा वह अलग !!

राशि की आंखों से आंसू टपक पड़े और वह सोचने लगी – घर में खाना भी मैं बनाऊं , ऑफिस भी मैं जाऊं और रिश्तेदारियां भी मैं ही निभाऊं जैसे कि मैं इंसान नहीं कोई रोबोट हुं !!

उतने में रमा जी की आवाज आई अभी तक क्या कर रही हो राशि कमरे में ?? डिनर कब बनेगा ?? हम लोगों को फिर से भूख लग गई हैं !!

राशि ने सोच लिया अब उसे क्या करना हैं !! आंखों में आंसू लिए राशि बाथरूम में गई और खुब सारे पानी से अपना मुंह धोया !! ऑफिस के कपड़े बदलकर उसका फेवरेट पिंक कलर का सूट पहना , बाल बनाए , थोडी सी पिंक लिपस्टिक लगाई , माथे पर बिंदी लगाई फिर पुरे आत्मविश्वास के साथ बाहर निकली , उसने एक नजर शुभम पर डाली पर अनिल ने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी वह बाहर आकर सोफे पर बैठ गई और बोली मम्मीजी आज मैं बहुत थक गई हुं , आपने जिस तरह समोसे बाहर से मंगवाए थे वैसे ही खाना भी बाहर से मंगवा दीजिए और हां इस बार खाना मेरे लिए भी आना चाहिए !!

रमा जी बोली – बहु , एक तो ऑफिस से देर से आती हो और फिर खाना भी बाहर से मंगवाने बोलती हो , हम तुम्हारे नौकर नहीं है समझी जाओ और खाना बनाओ चुपचाप !! कोई खाना बाहर से नहीं आएगा , खाना तो घर का ही खाएंगे सभी लोग !!

मम्मी जी मैं आज बहुत थक गई हुं , अगर आप लोगों को घर का खाना खाना हैं तो खाना बना लिजिए , मैं मेरे लिए खाना बाहर से आर्डर कर देती हुं राशि बोली !!

रमा जी गुस्से में बोली अनिल , यह देख तेरी पत्नी क्या बोल रही हैं ?? जबान कुछ ज्यादा ही लंबी हो गई हैं इसकी !!

अनिल के कुछ बोलने से पहले ही मनोहर जी बोले – भाग्यवान , क्यूं बात का बतंगड बना रही हो ?? एक दिन बाहर से खाना खा लेंगे तो कोई पहाड़ नहीं टूट जाएगा !!

अनिल भी पिता का साथ पाकर बोला – मम्मी , क्यूं खाने पीने पर इतना तमाशा लगा रखा हैं ?? अभी समोसे भी तो बाहर से मंगवाकर ही खाए थे ना , आज खाना बाहर जाकर खा लेते हैं !!

रमा जी अपनी बात पर अटल रहते हुए बोली – कल वैसे भी इसे छुट्टी लेनी हैं !! मैं कुछ नहीं जानती खाना तो घर पर ही बनेगा !!

राशि ने अपना अगला निशाना मारा और बोली – कल क्यूं म्ममीजी !! मैं अब हमेशा के लिए ही छुट्टी ले लेती हुं , कल से रोज घर पर दो वक्त का खाना बनाऊंगी और सभी के यहां रिश्तेदारी निभाऊंगी यही चाहती हैं ना आप !!

यह सुनते ही रमा जी की आंखें चौंधियां गई और वे बोली यह क्या कह रही हो बहू ?? तुम लोगो ने इतना बड़ा घर लेकर रखा हैं ,लोन पर कार लेकर रखी हैं !! तुम्हारे ससुर जी भी रिटायर्ड हो चुके हैं उनकी पेंशन से उतना खर्चा थोडी चलेगा , घर के कितने सारे खर्चे हैं , तुम अगर नौकरी छोड़ दोगी तो मेरा बेटा अकेले कैसे सब मैनेज करेगा ??

राशि आराम से सोफे पर बैठी हुई थी , सास की बात सुनकर आत्मविश्वास से बोली मम्मी जी मेरी कमाई तो कभी आपके लिए महत्वपूर्ण थी ही नहीं तभी तो आप मुझ पर इतना रौब झाड़ती हैं और अगर मेरी कमाई इतनी ही महत्वपूर्ण हैं तो मुझे सहयोग कीजिए !! मैं भी जब ऑफिस की छुट्टी लेती हुं मुझे भी वहां डांट पड़ती हैं , मेरे उपर भी वहां काम का प्रेशर होता हैं इससे अच्छा तो मैं हमेशा के लिए वहां से छुट्टी लेकर घर का सारा काम करूं ताकि आप ही शायद मुझसे खुश हो जाए !! अभी तो इतना सारा काम करने के बावजूद भी आप मुझसे खुश नहीं हैं !!

राशि की बात सुनकर रमा जी के हाथ पांव फूलने गए क्योंकि वे जानती थी बेटे बहू की संयुक्त कमाई से ही घर के सारे खर्चे निकलते हैं और इतनी सारी सुख – सुविधाएं भी मिलती हैं !!

 बहू की मोटी सैलेरी हाथ से जाते देख रमा जी अपनी बेटी संजना से बोली संजना तेरे घर तेरी सहेलियां आ रही हैं तो तू उनकी व्यवस्था देख लेना , उसके लिए बहू को ऑफिस से छुट्टी लेने की क्या जरूरत है ?? मैं भी तेरी बातों में आ गई थी !!

बहू , तुम्हें ऑफिस से छुट्टी लेने की कोई जरूरत नहीं , तुम मन लगाकर ऑफिस का काम करो और जब तक बहुत जरूरी ना हो मैं तुम्हें ऑफिस से छुट्टी लेने नहीं बोलूंगी रमा जी धीरे से बोली !!

राशि बोली – नहीं मम्मी जी !! मेरा ऑफिस छोड़ना ही बेहतर होगा क्योंकि मुझे ऑफिस से आने में बहुत बार देरी हो जाती हैं जिस वजह से खाना बनाने में भी देरी हो जाती हैं और फिर आपके ताने अलग से सुनने पड़ते हैं इससे अच्छा तो मैं घर पर ही बैठु !!

रमा जी बोली – बहु , अभी तो मेरे हाथ-पाव कम कर रहे हैं , तुझे देर हो जाएगी तो मैं खाना बना लूंगी मगर तू ऑफिस मत छोड़ बस !!

मनोहर जी और अनिल मंद मंद मुस्कुरा रहे थे !! आज राशि में नहले पर दहला मारा था !! राशि बोली मम्मी जी मैं एक महिना ओर ऑफिस का काम करके देख लेती हूं , अगर इस बीच कुछ भी गड़बड़ हुई तो मैं रिजाइन कर दूंगी !!

रमा जी बोली – कुछ गडबड़ नहीं होगी बहू देख लेना फिर मनोहर जी को इशारा करके बोली आप जल्दी से खाना आर्डर कर दीजिए , बहू को भी भूख लगी होगी और हां संजना तु हम सबके लिए चाय बना तेरी भाभी के लिए अदरक वाली बनाना , वो बिचारी कितना थक जाती हैं !!

संजना मुंह फुलाकर सबके लिए चाय बनाने चली गर्ड , अब उसे भी समझ आ गया था कि वह अपनी भाभी का ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर सकती !! खैर राशि को इस बात की खुशी थी कि उसने ना कहना सीख लिया था !! ससुराल वालो की गलत बातो को सहकर वह भी बहुत तनावग्रस्त हो चुकी थी लेकिन आज उसे अपने इस तनाव से आजादी मिल चुकी थी !! 

दोस्तों , अधिकतर घरों में आज भी बहुओ का यही हाल है ,घर में सभी लोग जब तक एक दूसरे को सहयोग ना करें तब तक घर का माहौल ठीक नहीं हो सकता !

आपको राशि का फैसला कैसा लगा कमेट में जरूर बताए !!

आपकी सहेली

स्वाती जैंन

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