बहु को बेटी मानो राज मिलेगा – सरिता सिंह : Moral Stories in Hindi

एक शादी के कार्यक्रम में राजन की श्रद्धा से मुलाकात हुई…. श्रद्धा पीले रंगका सलवार पहले सहेलियों को मेहंदी लगा रही थी लंबे खुले बालों के बीच कुंदन जैसा चमकता हुआ चेहरा एक अलग ही अभावी खेल रहा था यह दुल्हन की सहेली थी…

दुल्हन यानी की राजन के मां की लड़की… श्रद्धा का ऐसा जादू राजन पर हुआ की बस उसने ठान लिया की किसी भी हाल में पीले सूट वाली लड़की ही चाहिए…. राजन ने जब यह बात मां को बताई तो  लीलावती को पता नहीं क्यों यह अच्छा नहीं लगा…

क्योंकि श्रद्धा एक चंचल लड़की है पूरी शादी में कूदफान कर रही थी… जब बेटे राजन ने श्रद्धा से शादी की जिद पकड़ी, तो उन्होंने लाख समझाया, “मैं तेरे लिए गऊ जैसी बहू लाऊंगी, जो तेरे पांव दबाए, पूजा करे और मेरी सेवा में लगी रहे।”

लेकिन राजन था की जिद पकड़े हुए… राजन के पिताजी ने भी कहा कि इसमें क्या हर्ज है अगर श्रद्धा की शादी राजन से होजाए… लीलावती कर पकड़ के बैठ गई और बोली मेरी तो दुनिया ही लूट जाएगी बेटा हाथ से निकल गया… बड़े भारी मन से शादी तो तय हो गई लेकिन लीलावती खुश नहीं थी… सारे दान दहेज रस्मो रिवाज से शादी हुई थी लेकिन…

लीलावती के मन में कहीं न कहीं यह खटक रहा था कि श्रद्धा और राजन का प्रेम विवाह हुआ है…. लड़के ने जिद करके शादी की है” बहू हमेशा मुझ पर राज करने का प्रयास करेगी” … लीलावती बड़बड़ करते… गुस्से में लाल पीली हो रही थी..

श्रद्धा कुछ भी करती लीलावती हमेशा उसे उल्टा ही समझती अभी सप्ताह भर ही बीते थे… लीलावती ने गलतियां निकालना शुरू किया… ससुर शंभूनाथ जी ने अपनी पत्नी को समझाया “लीला, ज़माना बदल गया है, बहू को बेटी मानो, राज मिलेगा।”

पर लीला देवी का गुस्सा सातवें आसमान पर था।

श्रद्धा घर में आई तो पहले दिन से ही लीलावती को लगा जैसे उसकी सत्ता को चुनौती मिल गई हो। चाय भी अपनी मर्ज़ी से बना रही इलायची वाली जबकि पूरे घर में मां के हाथ की अदरक वाली चाय बनती थी।पूरी में अजवाइन भी नही डालती । छोटे बड़े का कोई लिहाज नहीं … बिना पूछे बराबर सोफे पर बैठ जाती…शाम को राजन श्रद्धा के साथ लॉन में बैठकर हँसता, बातें करता, जो पहले लीलावती के साथ करता था। अब यह सब लीलावती के गले से नहीं उतर रहाथा 

एक दिन लीलावती ने गुस्से में कहा, “मैंने सोचा था बहू मेरे पांव दबाएगी, लेकिन यह तो उल्टा मुझे ही पांव दबा रही है!”

#हाय राम! मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई…

मैं अभी से इतना नहीं सह पाऊंगी तुम लोगों ने इसे सर पर चढ़ा रखा है, मैंने तो समझा था कि यह मेरी बेटी बनकर रहेगी लेकिन मुझे नहीं पता था यह ऐसी वाली बेटी बनेगी जो अपनी है साथ से पाटीदारी करेगी.. पहले तो मेरा बेटा मुझसे छीन लिया उसे पर अपना एक अधिकार कर लिया और अब अपने घर में भी मुझे मेहमान की तरह महसूस होताहै….

श्रद्धा ने सास की ये बातें सुनी तो पहले तो उसे थोड़ा अजीब सा लगा लेकिन श्रद्धा एक उलझी हुई लड़की थी.. मुस्कुराई और बोली, “अम्मा, जब आपने इतना सहा, तो अब आपकी सेवा मेरी जिम्मेदारी है। आपकी शिक्षा और पालन पषण ने राजन को अच्छा इंसान बनाया, अब मेरा फर्ज़ है आपको वही सुकून देना।”

मैं भी आपको अपनी मां की जैसे समझता हूं इसीलिए अधिकार से घर में रहती हूं अगर आपको लगता है कि मैं मेहमान की तरह रहूं तो जैसा आप चाहेंगी अब वैसा ही होगा…

लीलावती चुप रह गईं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि श्रद्धा की बात का जवाब वह कैसे दे और जाने श्रद्धा क्या करने वाली है उसके साथ…. श्रद्धा ने राजन से  मां की पसंद और नापसंद पूछी…. मां के लिए श्रद्धारात में हल्दी वाला गर्म दूध लेकर आई पहले तो लीलावती को डर लग रहा था की पता नहीं इस दूध में क्या मिलाया होगा कहीं…

कुछ मिला कर तो नहीं दे रही मुझे लीलावती बोली…

एक काम कर बहुत तो इसे खुद पी ले…

श्रद्धा ने चुपचाप मां की बात मानकर दूध खुद पी लिया…. अगले दिन से वह दो गिलास लेकर आती एक में दूध और एक गिलास खाली और आधा दूध मां  को देती और आधा खुद पी लेती….. लीलावती कोई भी चीज  बिना उसको खिलाए नहीं खाती…

शुरू शुरू में तो राजन को यह सब बहुत अजीब लगा लेकिन श्रद्धा ने कहा कि अगर मन की इसमें खुशी है तो कोई बात नहीं धीरे-धीरे उनका वक्त लगेगा मुझे समझने में-धीरे लीलावती और  श्रद्धा में अच्छी दोस्ती हो गई ….

दोनों साथ मिलकर सास बहू के सीरियल देखती … दुख सुख में श्रद्धा लीलावती का ख्याल रखती और श्रद्धा के बीमार होने पर लीलावती श्रद्धा का ख्याल रखती .

टीवी पर सीरियल चल रहा था .. और सास अपनी बहू को डांट रही थी… चाय पीते पीते लीलावती  ने कड़क आवाज में बोला… श्रद्धा कल से चाय में तुलसी भी डाल देना…

श्रद्धा को लगा अब क्या हुआ ? कहीं ऐसा तो नहीं की सास बहू  का सीरियल देखते मां का मन बदल गया हो… क्या हुआ मम्मी जी आप आप नाराज क्यों हो रही हैं?.. मैं कल से क्यों अभी  तुलसी वाली चाय बनाकर लाती हूं… अरे! नाराज क्या होना तू तो जादूगरनी है  ऐसे बहू तो किस्मत वालों को मिलती है।”

अगर सबको ऐसी बहू मिल जाए तो सास बहू के सीरियल बंद हो जाएंगे….. और दोनों सास बहू मिलकर हंसने लगी…

सास-बहू की नोक झोंक अब प्यारी तकरार में बदल चुकी थी।

लेखिका सरिता सिंह 

गोरखपुर उत्तर प्रदेश 

पिता मदन लाल 

#हायराम! मेरी तो तकदीर ही फूट गई थी जो ऐसी बहू मिली.

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