अनुराधा का रो रो कर बुरा हाल हो रहा था। नर्स बार बार समझा रही थी कि आप इसतरह से चिल्लाईए नहीं, आपके चीखने चिल्लाने से आपके टांको पर जोड़ पड़ेगा और उसके टूटने का खतरा हो सकता है। कल रात मे अनुराधा को ऑपरेशन से बच्चा हुआ,उसके पति अजय ने बच्चे को गोद मे लिया और उसे देखकर वह बहुत ही खुश था।फिर वह बच्चे को नर्स को देकर दवा लाने तथा अपने
ससुराल मे बच्चा होने की खबर देने बाहर चला गया। अनुराधा उस समय बेहोश थी, इसलिए उसने बच्चे को अभी नहीं देखा था।अजय ने फोन करके अपने ससुर जी को बताया कि आपको नाती हुआ है। आप माँ को लेकर सुबह तक आ जाइये क्योंकि मै यहाँ अकेले संभाल नहीं पाउँगा। बच्चा ऑपरेशन करके हुआ है इसलिए बच्चे के साथ अनुराधा को भी अभी बहुत देखभाल की जरूरत है।
अजय अपने माता पिता की इकलौती संतान है। उसके पिताजी कि मृत्यु बहुत पहले ही हो गईं थी। अजय उस समय बहुत ही छोटा था। उनका घर गाँव मे था,परन्तु उसके पिताजी दिल्ली मे एक प्राइवेट कम्पनी मे गार्ड का काम करते थे।अजय के दादाजी ने पिता की मृत्यु के बाद उन्हें घर चलने के लिए
कहा था पर अजय की माँ ने सोचा कि एक तो गाँव मे पढ़ाई लिखाई का माहौल नहीं है, दूसरे वहाँ पर औरतो को पर्दा करना होता है, वो घर से बाहर नहीं निकल सकती। बूढ़े दादाजी आखिर कितना बोझ उठाएंगे। यहाँ रहूंगी तो मेहनत मजदूरी करके कैसे भी बेटा को पढ़ा लिखा दूंगी तो कल वह एक
अच्छा आदमी बन जाएगा,यह सोचकर उन्होंने ससुर जी से कहा कि बाबूजी यदि आपकी आज्ञा हो तो मै यही रहकर अजय को पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाना चाहती हूँ।बाबूजी ने कहा तुम्हे जो सही लगे वह करो बहू, हमें तो बस अपने पोते के सही पालन पोषण से मतलब है। अच्छा बहू हम आते
जाते रहेंगे, कुछ जरूरत होंगी तो खबर करना, यह कहकर अजय के दादा- दादी गाँव चले गए। उसके बाद अजय की माँ ने दिनरात मेहनत मजदूरी करके अपने बेटे को पढ़ाया, बेटे ने भी माँ की लाज रखी और वह हमेशा अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हुआ। उसके दादाजी कभी स्वयं तो कभी गाँव के किसी के हाथ अपने खेत का फ़सल इनलोगो के पास भेज दिया करते, माँ बेटा भी साल मे एकबार
छठ मे घर जरूर जाते। बुरा समय व्यतीत हुआ, अजय का चयन बैंक मैनेजर के पद पर हो गया। माँ की तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था, दादा – दादी भी बहुत खुश हुए। कुछ दिनों बाद बैक के एक पार्टी मे एक सीनियर अधिकारी की अजय से भेट हुई। यह जानकर की यह बिहार से है उन्होंने उसके परिवार वालो के बारे मे पता लगाया। वे भी बिहारी ही थे जो बहुत पहले से दिल्ली मे ही बस गए थे।
अब वे अपनी बेटी के लिए वर खोज रहे थे उनकी खोज अजय से मिलकर समाप्त हो गईं। उन्होंने अजय की माँ से मिलकर रिश्ता पक्का कर दिया और कुछ दिनों बाद अजय और अनुराधा का विवाह हो गया।अनुराधा दिल्ली मे पली बढ़ी थी,उसके माता पिता बैंक अधिकारी थे, वह कभी गाँव नहीं गईं
थी क्योंकि उसकी माँ भी दिल्ली की ही थी और वे गाँव जाना पसंद नहीं करती थी। अनुराधा को अपनी सास गाँव की गँवार लगती थी। उसे उन्हें अपनी सहेलियों से मिलाने मे शर्मिंदगी महसूस होती थी। छठ मे जब गाँव जाने की बात हुई तो उसने अपने जाने से तो मना कर ही दिया अजय को भी नहीं
जाने दिया। अजय की माँ ने बार बार कहा की बहू मै तुमसे आँचल पसारकर भीख माँग रही हूँ सिर्फ इस बार तुम दोनों चल चलो, आगे से कभी नहीं कहूंगी।मैंने छठी मैया से मनत किया है कि अगली बार बेटा बहू के साथ अरग दूंगी। पर वह नहीं मानी। अजय के कुछ भी कहने पर दहेज केस करने का भय दिखा देती।थक हार कर अजय ने अकेले ही माँ को गाँव भेज दिया।पूजा के बाद जब माँ के
आने की बात हुई तो उसने कहा, माँ को अब गाँव मे ही रहने दो, यदि माँ को लाए तो मै घर छोड़कर चली जाउंगी, केस करूंगी तो अच्छा झेलोगे। आज एक वर्ष से माँ गाँव मे थी।अजय ने जब पोता होने की खबर माँ को दिया तो वह ख़ुशी से रोते हुए बोली छठी मईया मेरे पोते को आबाद रखे। मै अभागन तो पता नहीं उसे देख भी पाऊँगी कि नहीं। यह बात अजय को चुभ गईं और सुबह जब अनुराधा को
होश आया तो उसने अजय को उदास देखा तो उसे अजीब लगा, उसने अजय से अपने बच्चे के बारे मे पूछा। अजय ने कहा बेटा हुआ है पर तुम तो जानती ही हो, मै यहाँ अकेले हूँ तो तुम्हारे घर फोन करने गया और जब आया और बच्चे को देखना चाहा तो नर्स ने कहा कि बच्चा तो मैंने आपकी पत्नी के पास सुला दिया था। वही होगा,पर बच्चा नहीं मिल रहा है। तुम चिंता मत करो मैंने पुलिस को खबर कर
दिया है बच्चा मिल जाएगा। यही सुनने के बाद से अनुराधा लगातार रोए जा रही थी अस्पताल के कर्मचारियो को कुछ समझ नहीं आ रहा था। रोते रोते बोलने लगी हे छठी मईया मुझे माफ कर दो।
मै आँचल फैलाकर आपसे भीख मांगती हूँ। मुझे मेरा बेटा वापस दे दो। तभी डॉक्टर राउंड पर आए और पूछे क्या हुआ यह लेडी क्यों रो रही है?अभी अनुराधा कुछ कहती उसके पहले अजय ने कहा कुछ नहीं सर दर्द हो रहा है बस। अनुराधा अजय का मुँह देखने लगी, अजय ने कहा जिस बेटा को
तुमने अभी तक देखा भी नहीं है उसके लिए इतना दर्द। सोचो उस माँ पर क्या बीत रही होंगी जिसने अपने बेटे को अपने खून पसीने की कमाई से तीस वर्ष तक पाला पोषा और आज तुम उसकी मालकिन बन बैठी हो और उस औरत को उससे मिलने नहीं देती।अनुराधा को अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने अजय से कहा सही कहा तुमने मैने माँ जी के बारे मे कभी इसतरह से सोचा ही
नहीं। तुम आज ही गाँव जाओ और उन्हें लेकर आओ। मै उनसे माफ़ी माँगकर उनका पोता उन्हें सौप दूंगी। माँ है इस बेटी की गलती को नादानी समझ कर माफ कर देंगी। फिर हम छठ मे गाँव जाकर पूजा करेंगे।
लतिका पल्लवी
मुहावरा — आँचल फैलाना