बहू के मायके से आए लडडू !! – स्वाती जैंन : Moral Stories in Hindi

सुनीता जी ने पुरी रसोई छान मारी मगर उन्हें कहीं बेसन का डिब्बा नजर नहीं आया , उनके पति मुकेश जी को बारिश के मौसम में पकोडे खाने का बहुत मन कर रहा था , वे बाहर बरामदे में बैठे पकोड़ो और चाय का इंतजार कर रहे थे !!

सुनीता जी को याद आया कि पिछली बार उन्होंने बहू रीना से पूछे बिना बेसन की कड़ी बना दी थी , तब रीना ने उन्हें गुस्से में कह दिया था – मम्मी जी आप जानती हो आपके बेटे निखिल और मुझे कड़ी बिल्कुल पसंद नहीं फिर आपने खाने में कड़ी क्यों बना दी ?? ना रीना खुद कभी कड़ी बनाती , ना बनाने देती

और अब तो शायद बेसन का डिब्बा भी कहीं छुपा दिया था रीना ने ताकि मैं उससे बिना पूछे  कभी कुछ ना बनाऊं , सुनीता जी का मन तो किया कि रीना के कमरे में जाकर पूछ ले कि बेसन का डिब्बा कहां पड़ा है मगर आज रविवार था

और रविवार को रीना दस बजे से पहले कभी उठती नहीं थी !! रीना का कहना था कि उसके बेटे राहुल और पति निखिल की रविवार को छुट्टी होती हैं तो मैं जल्दी उठकर क्या करूं ??

कहीं रीना फिर से गुस्सा ना कर लें यही सोचकर सुनीता जी उसके कमरे में उसे जगाने नहीं गई और चाय के साथ बिस्किट लेकर वे बाहर आ गई !!

मुकेश जी बिस्किट देखकर बोले – अरे भाग्यवान !! घर में बेसन खत्म था क्या ??

सुनीता जी बहु की कोई भी बात मुकेश जी से नहीं बताती थी !! सुनीता जी बोली हां शायद तभी तो बिस्किट लेकर आ गई !!

रीना दस बजे उठी और अपने और पति के लिए चाय और बेटे के लिए दूध बनाने लगी !!

अचानक से उसकी आवाज आई मम्मी जी !! यहां आईए जरा किचन में !! मैंने यहां बिस्किट का एक पैकेट रखा था वह कहां गया ??

सुनीता जी बोली- बहू घर में नमकीन , खाखरा कुछ भी नहीं था तो हम लोगो ने  चाय के साथ वह बिस्किट का पैकेट खा लिया !!

रीना आंखें बड़ी करके बोली – अब राहुल क्या खाएगा ?? उसको दूध के साथ बिस्किट बहुत पसंद हैं आपको पता हैं ना ?? आप लोग मुझसे बिना पूछे किसी भी चीजों को हाथ मत लगाया करो !!

सुनीता जी से भी आज रहा ना गया और वे बोली – बहू, तुम तो ऐसे बात कर रही हो जैसे मैं किसी ओर की रसोई में खड़ी हुं खैर गुस्सा मत करो , मैं तुम्हारे ससुर जी से कहती हुं वे अभी नए बिस्किट के पैकेट ले आएंगे !!

सुनीता जी ने झटपट मुकेश जी से बाजार से बिस्किट के पैकेट मंगवा दिए और बहू को लाकर रसोई में दे दिए !!

रीना बोली – मैंने फ्रिज में सारी सब्जियां रखी हैं आप फटाफट सब काट लिजिए , आज मेरे मायके वाले सब लोग खाने पर आ रहे हैं !!

मेरे भाई – भाभी , मेरी बहने सब लोग आ रहे हैं , अब इतने सारे लोग आ रहे है तो आप मेरी सहायता करेंगी तो फटाफट काम हो जाएगा, मैं नहाकर आती हुं तब तक आप सारी सब्जियां कांट देना , आटा लगा देना और घर की सफाई कर देना !!

सुनीता जी बोली – बहू , तुम्हें तो पता है मेरे घुटनों में दर्द रहता है , मैं इतने सारे काम अकेले नहीं कर पाऊंगी और मेरा नहाकर भी हो गया है , नहाने के बाद मुझसे घर की सफाई नहीं हो पाएगी !!

मेरी साड़ी भी गंदी हो जाएगी तो मुझे फिर से नहाना पड़ेगा !!

रीना बोली – मम्मी जी आप भी क्या बच्चों जैसी बात करती हैं ,मैं तो पुरे घर की साफ सफाई कर लेती हुं फिर भी मजाल कि मेरा दुपट्टा भी गंदा हो !!

रीना इसी तरह बात बात में सुनीता जी को टोक देती थी !! घर का सारा काम भी करवा लेती और उन पर अपना वर्चस्व भी कायम रखती !! कभी दो लब्ज सास की तारीफ में नहीं निकालती , बस उन्हें हमेशा कोसती रहती !! उसे तो बस मौका चाहिए होता सास को चार बात सुनाने का !! रीना अपने आप को कुछ ज्यादा ही होशियार समझती थी और सास को बेवकूफ !!

सुनीता जी तो रीना को अपनी बेटी जैसा रखती थी , निखिल उनका इकलौता बेटा था !! उन्हें कोई बेटी नहीं थी इस बात का मलाल उन्हें हमेशा रहा था इसलिए वे बहू को बेटी जैसा प्यार देती थी , रीना की सारी गलतियां वह माफ कर देती थी , आज बहू के मायके वालो के आने की खुशी में सुनीता जी भी बहुत खुश थी !!

जैसा कि बहू कहकर गई थी उन्होंने फटाफट सारी सब्जियां काट दी , आटा भी गूंथ लिया और किचन का पुरा स्लैब साफ कर दिया फिर मुकेश जी से बोली आप मिठाई ले आईए , रीना के मायके वाले आ रहे हैं !!

मुकेश जी का कपड़ों का बहुत बड़ा बिजनेस था , धीरे धीरे निखिल भी वही बिजनेस संभालने लगा !! लगभग दो साल से मुकेश जी ने दुकान पर जाना एकदम बंद कर दिया था और पुरा बिजनेस अकेले निखिल ही देखता था !!

लगभग दोपहर के एक बजे बहू के मायके वाले आ गए , वे लोग बहुत सारे उपहार भी साथ लाए थे और साथ ही रीना की मां ने उसके लिए गोंद , मेवे और बादाम से बने लड्डू भी भेजे थे !! सभी को खाना खिलाने के बाद रीना अपने मायके वालों को लेकर अपने कमरे में चली गई और वे लोग वहां बातें करने लगे !!

सुनीता जी किचन का सारा बचा हुआ काम अकेले कर रही थी जिस वजह से उनके घूटने और कमर बहुत दर्द करने लगी , सारा काम निपटाकर वे थोड़ी देर अपने कमरे में आराम करने चली गई !!

थोड़ी देर बाद रीना आई और बोली मम्मी जी चाय का समय हो गया है , आपके हाथों की अदरक वाली चाय बहुत अच्छी होती हैं !! 

सुनीता जी से उठा भी नहीं जा रहा था मगर जैसे – तैसे उन्होंने उठकर चाय बनाई और वे रीना के कमरे में सभी को चाय देने पहुंची !!

चाय पीकर रीना के मायके से आए लडडू के डबबे में से सुनीता जी ने दो लड्डू उठा लिए , रीना चाय के कप किचन में रखने आई तो उसने देखा कि डब्बे में से दो लड्डू गायब हैं , उसने तुरंत सुनीता जी को आवाज लगाई !!

सुनीता जी जो कि हाथ में लडडू लिए अपने कमरे में भी नहीं पहुंची थी वह लड्डू लिए वापस आई तो रीना ने उनके हाथ से लड्डू छिनकर कहा कि यह मेरी मां ने मेरे लिए भेजे हैं , उनसे मैंने कहा था कि मेरी कमर में दर्द रहता हैं , यह आपके लिए नहीं हैं !!

सुनीता जी रीना का ऐसा रवैया देखकर हैरान रह गई , रीना के सभी मायके वाले उसके कमरे से सुनीता जी को चोर निगाह से देख रहे थे !!

सुनीता जी अपने आप को अपमानित महसूस कर रही थी !!

उन्हें भी ऐसा महसूस हो रहा था मानो वह कोई चोर हो , रीना उन्हें अपमानित कर अपने कमरे में जा चुकी थी !!

यहां सुनीता जी का रो रोकर बुरा हाल था !!

मुकेश जी से सुनीता जी के यह आंसू छिप ना पाए और उन्होंने सुनीता जी से पूछा क्या हुआ हैं भाग्यवान ??

सुनीता जी बोली मैंने हमेशा रीना की सारी गलतियां माफ की हैं मगर आज का यह अपमान बर्दाश्त नहीं हो रहा !! मैंने क्या क्या नहीं किया बहू के लिए , काम करते करते कमर और घूटने बहुत दर्द कर रहे थे इसलिए उसके मायके से आए दो लड्डु उठा लिए !! क्या मेरा इतना भी हक नहीं था कहकर वह फिर रोने लगी !!

मुकेश जी भी बहु के स्वभाव के बारे में जानते थे !! थोड़ी देर बाद जब रीना सुनीता जी से बोली – मम्मी जी सभी लोग शाम का खाना भी खाकर जाएंगे , आप रसोई में तैयारियां करिए , मैं आती हुं !!

मुकेश जी बोले – बहु , जब तुम्हारे मायके से आए दो लडडू सुनीता जी नहीं खा सकती तो तुम्हारे मायके वालों के लिए काम क्यों करें ?? तुम ही पुरा खाना बनाओगी अकेले , सुनीता जी नहीं आएंगी !!

रीना यह सुनकर दंग रह गई !!

अब रीना को सारा काम अकेले करना पड़ा , रात के एक बजे तक रीना काम करती रही , जिस वजह से उसकी कमर में जोरों का दर्द होने लगा !!

दूसरे दिन रीना रसोई में आई तो उसने देखा कि सुनीता जी ने बहुत सारे गोंद , मेवे और बादाम के लडडू बनाए थे जो कि मुकेश जी ने बनवाए थे !!

मुकेश जी बोले – मैंने अपनी जमी जमाई दुकान बेटे को सौंप दी उसका मतलब यह नहीं हैं कि सुनीता और मैं तुम लोगो पर आश्रित हो चुके हैं , अब तक मैं चुप था क्योंकि मैं बेटे – बहु का सम्मान करता था मगर अगर बदले में सम्मान ना मिले तो हमें भी अपना रूप दिखाना आता हैं !! वक्त से डरो बहू , आज जो वक्त हमारा हैं कल तुम्हारा भी होगा !!

रीना अपने किए पर बहुत शर्मिंदा थी !!

दोस्तों , कभी भी बुढे मां पिता को हल्के में ना ले , वे तुम्हारी खुशियों की वजह से अगर चुप हैं तो इस बात का कभी फायदा ना उठाए और उन्हें भरपुर सम्मान दे !!

आपकी इस कहानी को लेकर क्या राय है कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए !!

आपकी सहेली

स्वाती जैंन

#वक्त से डरो

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