बड़ी बहू भी अब बोलने लगी है – मंजू ओमर :  Moral Stories in Hindi

अरे, कमला कुछ सुना तुमने , क्या हुआ साबित्री बहन।आज विमला की बड़ी बहू ने ऐसा जवाब दिया कि मैं तो सुनकर ही दंग रह गई। पहली बार उसके मुंह से ऐसी आवाज सुनी नहीं तो विमला की बड़ी बहू तो गऊ है गऊ।सीधी साधी ‌सी चुपचाप सारे घर का काम करती है और क्या मजाल कि सास ससुर को कोई जवाब दे दे। अच्छा पर, आज ऐसा क्या कर दिया विमला ने कि बड़ी बहू को ज़वाब

देना पड़ गया।अरे विमला के छोटी बहू के मायके से पोते के होंने पर बहुत सारा सामान आया था वो सब मुझे दिखा रही थी,और कहने लगी छोटी बहू के यहां से तो बहुत सामान आता है पर , बड़ी बहू के यहां से आजतक मेरे लिए एक साड़ी तक नहीं आई।इतने में विमला की बड़ी बहू संजना चाय नाश्ता लेकर आ गई । उसने सब‌ सुन लिया और कहने लगी हां आंटी छोटी बहू नेहा के यहां से तो बहुत

सामान आता है क्योंकि वो बड़े बाप की बेटी है ।और‌ मम्मी जी आपको तो पहले ही पता था कि मेरे घर से कुछ नहीं आएगा । फिर भी आप मुझ गरीब को अपने घर की बहू बनाने को तैयार थी । आपने कहा था मुझे तो संस्कारी लड़की चाहिए और कुछ नहीं चाहिए । ग़रीब  है तो क्या मेरे घर में ईश्वर की दया से कोई कमी नहीं है।और मैं जबसे इस घर में आई हूं ससुराल को अपना घर समझा ,और सास

ससुर को अपना मां बाप।तन मन से पूरी तरह इस घर के लिए समर्पित रही हूं ।सबकी जरूरतें पूरी करती हूं।सारी जिम्मेदारी यां सही से निभाती हूं । लेकिन जबसे छोटी बहू घर में आई है मेरे और छोटी में तब से बात बात में बराबरी की जाती हैं।मैं मां जी की इज्जत करती  हूं ,इस घर को अपना समझतीं हूं ।सबको मान सम्मान देती हूं । लेकिन अब मुझे जबरदस्ती बोलने को मजबूर किया जाता है।

                विमला और नरेन्द्र जी का एक सुखी परिवार था दो बेटे थे मनीष और आशीष ।रेडिमेड गारमेंट्स का बिजनेस था ।काम बहुत फैला हुआ था तो दोनों बेटे भी उसी में काम करते थे।घर में आर्थिक स्थिति मजबूत थी किसी चीज की कोई कमी न थी।अब अपने बड़े बेटे मनीष के लिए विमला जी लड़की तलाश कर रही थी। तभी विमला को अपनी ननद कावेरी के यहां जाना पड़ा । ननदोई जी

का देहांत हो गया था । विमला की ननद कावेरी उम्र में विमला से बड़ी थी । ऐसे दुख के घड़ी में विमला को तीन चार दिन रूकना पड़ा। वहां एक 24,25 साल की सुंदर , सलोनी सी हंसमुख सु लड़की वहां आए मेहमानों का खूब अच्छे से ख्याल रख रही थी। उसके मधुर व्यवहार ने विमला को

अपनी तरफ आकर्षित कर लिया था।जब ननद के यहां का तीन दिन का काम खत्म हो गया तो विमला ने कावेरी से पूछा दीदी ये लड़की कौन‌ है  जो भाग भागकर इतना काम कर रही है और सबका इतना ख्याल भी रख रही है।अरे भाभी ये मेरे ससुराल की तरफ के तुम्हारे ननदोई के फूफा जी थे उन्हीं के बेटे की बेटी है संजना।बेचारी बड़ी अभागी है । पैदा होते हुए मां छोड़कर चली गई।अब पिता जी ने

इसके दूसरी शादी कर ली है ।ये बेचारी अपने सौतेली मां  के तानों से दुखी रहती है। बाकी सर्वगुण संपन्न है हर काम में होशियार है , मधुर व्यवहार है और बहुत प्यारी भी । अब तो यही इच्छा है कि एक अच्छे से घर में इसकी शादी हो जाए । बेटी सुख से रहे बड़े दुख झेले हैं इसने। विमला को अपने बड़े बेटे मनीष के लिए लड़की की तलाश थी ।उसका मन संजना को बहू बनाने को मचलने लगा ।

            आज विमला ने ननद कावेरी से कहा तुम संजना के घर बात करो मैं संजना को अपनी बहू बनाना चाहती हूं। लेकिन भाभी आपके घर में तो रूपए पैसे की कमी नहीं है आपको तो एक से बढ़कर एक लड़की मिलेगी क्या इस गरीब सी लड़की को अपनी बहू बनाना चाहती है वो लोग तो

आपके मुकाबले में कुछ भी नहीं है। नहीं दीदी मुझे कुछ नहीं चाहिए बस संजना चाहिए। मुझे तो एक सर्वगुण संपन्न लड़की चाहिए दहेज नहीं।और वो सबकुछ मुझे संजना में दिखाई दे रहा है।आप संजना के घर बात करें । कावेरी ने संजना के घर बात की तो वो तो झट से तैयार हो गए।उनको कोई आपत्ती हो सवाल ही नहीं उठता था।

             और फिर धूमधाम से संजना और‌ मनीष की शादी हो गई। शादी में जो भी आया संजना की तारीफ करते नहीं थकता था बहुत सुंदर बहू है तुम्हारी विमला। विमला फूली नहीं समाती थी बहू की तारीफ सुनकर। संजना थी भी तारीफें क़ाबिल। धीरे धीरे संजना ने ससुराल में सबका दिल जीत लिया।सबका खूब अच्छे से ख्याल रखती ।पूरा घर संभाल लिया था ।मनीष के तो जैसे दिल में बसती थी संजना।हर तरफ संजना ही संजना होता रहता था।

                    अब आशीष की शादी का समय आ गया था। उसके लिए लड़की देखी जाने लगी । लेकिन आशीष एक दिन घर आकर बोला कि मुझे नेहा पसंद है मैं उससे शादी करना चाहता हूं। नेहा एक बड़े बाप की बेटी थी। विमला को कोई परेशानी नहीं थी इस शादी से । हां हो गई शादी के लिए। फिर बड़े धूमधाम से खूब सारे दहेज के साथ शादी हो गई। नेहा के घर आते ही घर का माहौल बदलने

लगा।वो एक अमीर बाप की बेटी थी तो घर के कामों में उसका कोई इंट्रेस्ट नहीं था ।वो तो बस बाहर घूमना फिरना और शापिंग करना यही सब था।और जब भी बाहर जाती विमला जी के लिए भी गिफ्ट लेकर आती ।कभी साड़ी तो कभी मेकअप का महंगा महंगा आइटम लेकर आती जिससे विमला

उससे बहुत प्रभावित होती। धीरे धीरे विमला का झुकाव नेहा की तरफ ज्यादा होने लगा। विमला हर समय नेहा नेहा करके उसके आगे पीछे घूमने लगीं। लेकिन संजना एक समझदार लड़की थी वो इन सब बातों पर ध्यान ही न देती थी वो तो बस अपनी जिम्मेदारी अच्छे से पूरी करती रहती थी।उसका मन गिफ्ट वगैरह से विचलित नहीं होता था क्योंकि संजना अभावों में पलकर बड़ी हुई थी।

                संजना के एक बेटी थी तीन साल की और अब नेहा प्रेगनेंट थी ।तो उसने नौ महीने बाद एक बेटे को जन्म दिया।अब बच्चा जब सवा महीने का हो गया तो कुआं पूजन का कार्यक्रम रखा गया ।एक पार्टी का आयोजन हुआ विमला के घर पर । नेहा के मम्मी पापा ने खूब सारा सामान भेजा नेहा के घर पर । सभी लोग बहुत खुश थे। मुहल्ले पड़ोस का कोई भी आता विमला जी को बधाई देने तो

विमला खूब उत्साह से नेहा के घर से आई सारी चीजें दीखाती।और आज पड़ोस की कमला भाभी विमला के घर आई थी तो उनको ही सारा सामान दिखा रही थी । तभी बोल पड़ी छोटी के यहां से तो बहुत सारा सामान आता है बड़ी बहू के यहां से तो आज तक एक चिंदी का टुकड़ा भी नहीं आया।सुघड़ और समझदार संजना इधर कुछ दिन से घर में अपने और नेहा के बीच भेदभाव देख रही थी।

और आज तभी विमला जी की बातें सुनकर संजना बीच में बोल पड़ी। मांजी आपको तो पता ही था कि मैं एक गरीब घर से हूं और मेरे घर से कुछ नहीं आएगा ।और ये बात उसी समय आपको बता दी गई थी आप तब भी शादी को तैयार थी।और ये कहा था कि मुझे संजना के सिवा कुछ नहीं चाहिए। फिर आज इतने बरसों बाद ऐसी बात क्यों की जा रही है कि संजना के यहां से कुछ नहीं आता ‌आपको पता है न हमारे घर की स्थिति।

               तभी विमला जी को अपनी गलती का अहसास हुआ ,माफ़ कर देना संजना नेहा के घर से आया इतना सारा सामान देखकर मेरा दिमाग खराब हो गया था । पैसे रूपए से क्या होता है पैसा तो अपने घर में भी है । लेकिन जिस तरह से तुमने घर संभाला हुआ है और जो मान सम्मान तुमसे मिलता है वो काबिले तारीफ है संजना ।अब आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा बेटा ।तुम तो इस घर की जान हो ।अब कभी भी तुम्हारे लिए कुछ ग़लत नहीं बोला जाएगा। यदि बड़े समझदारी से काम लें तो छोटे को बीच में बोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।। फिर कोई न कहेगा कि बड़ी बहू भी बोलने लगी।और संजना को विमला जी ने गले से लगा लिया।

मंजू ओमर 

झांसी उत्तर प्रदेश 

22 अगस्त 

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