” बच्चे तो बच्चे ठहरे” – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

नियति दुनिया की नज़र मे एक बेहतरीन पत्नी ( जो अपने पति को एक गिलास पानी भी खुद से ना लेकर पीने दे ) एक बेहतरीन माँ ( जो अपने बच्चों पर बिना क्रोध किये उनकी बेहतर परवरिश करती

है ) । जब भी कोई मेहमान घर आता नियति की तारीफ करते नही थकता कि वो कितना अच्छा खाना

बनाती है , साथ ही घर भी कितने अच्छे से रखती है जबकि उसका पति उसकी कोई मदद नही करता । उसका पति विकास मुस्कुराते हुए सबको तारीफ करते देखता और नियति खुद पर इतराती रहती ।

नियति का बड़ा बेटा जो कक्षा पहली मे पढ़ता था उसे लोगो के साथ ज्यादा घुलना मिलना पसंद नही था वो ज्यादातर अपने कमरे मे रहता अब उसकी छोटी बेटी भी स्कूल जाने लगी थी । जबसे स्कूल जाना शुरु किया तबसे वो बातूनी बहुत हो गई थी । हालाँकि नियति उसे समझा कर रखती थी कि घर

की बातें बाहर नही करते पर थी तो आखिर बच्ची ही भूल जाती थी । आज विकास के ऑफिस से कुछ लोग खाने पर आए थे । सजी धजी नियति सबको शान से खाना परोस रही थी ।

” यार विकास तू कितना लकी है भाभी जी घर के साथ साथ खुद को भी कितने अच्छे से मेंटेन करती है ऊपर से इतना स्वादिष्ट खाना वाह भाभी मजा आ गया !” खाना खाते हुए उसका एक दोस्त बोला ।

” सच मे भाभी काश हमारी बीबियों को भी ऐसा खाना बनाना , घर संवारना आता होता !” दूसरा दोस्त उसकी हां मे हां मिलाता बोला।

” पर अंकल घर की सफाई तो पापा करते है !” तभी विकास की बेटी तोतली भाषा मे बोली जिसे सुन सब दोस्त हैरान हो विकास को देखने लगे ।

” नही वो दरअसल मैं खाना बना रही थी तो विकास ने सफाई मे थोड़ी हेल्प कर दी मेरी !” नियति एकदम से बोली।

” पर मम्मी खाना तो पापा होटल से लाए है आप तो तैयार हो रहे थे !” उसकी बेटी फिर बोली । नियति और विकास ने अपना सिर पीट लिया । नियति जो झूठी शान के लिए खुद को  सुघड़ गृहिणी बना पेश

करती थी और विकास पत्नी को खुश रखने के लिए झूठ बोलता था वो सब राज़ आज उन्ही की बेटी ने उगल दिये । नियति बेटी को आँख दिखाने लगी।

” लगता है यार तेरी स्थिति तो हमसे भी खराब है !” एक दोस्त हँसते हुए मजाक मे बोला तो बाकी सब भी हँसने लगे।

हालाँकि बात कोई बड़ी नही थी पर उस दिन के बाद विकास पत्नी की झूठी तारीफ नही कर सकता और नियति भी बेवजह अपनी शान नही बघारती अब क्योकि आजकल के बच्चे कोई राज़ रहने ही नही देते सब उगल देते है ।

संगीता अग्रवाल

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