मैं आपकी बेटी जैसी हूं – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

आज फिर राधा जी ने ठीक से खाना नहीं खाया तभी उनका उदास चेहरा देखकर उनकी बहू रागिनी बोली मां जी क्या बात है तीन-चार दिन से आप ना ही ठीक से खाना खाती है और बहुत उदास रहती है l अगर तबीयत ठीक नहीं है तो डॉक्टर के पास चलते हैं l मैं बोली … Read more

नया रिश्ता – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

भोपाल के कमलापति रेलवे स्टेशन पर सौरव अपना ट्रॉली बैग लेकर जल्दी से ट्रेन में चढ़ा क्योंकि ट्रेन चलने को तैयार थी l बाहर बहुत गर्मी थी एक में आकर उसने थोड़े सुकून की सांस ली l वह अपनी सीट पर बैठ गया और सामान सेट करने लगा l रात्रि के 9:00 बज रहे थे … Read more

परिवार की इज्जत – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

विवाह मंडप में बैठे पंडित जी बार-बार कह रहे थे की फेरों का समय हो गया है कन्या को लाइए l कन्या को लाने में देरी हो रही थी l सक्षम दूल्हा बना मंडप में बैठा दुल्हन का इंतजार कर रहा था “ थोड़ी देर बाद साक्षी की मां सक्षम की मां गीता देवी कन्या … Read more

सम्मान – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

सुहाग सेज पर बैठी नेहा सुनहरे सपने देख रही थी और पति के आने का इंतजार भी कर रही थी l बाहर मेहमानों की चहल-पहल थी l थोड़ी देर बाद बाहर शांत माहौल होने पर उसका पति नीरज कमरे में आता है l नीरज नेहा का घूंघट उठा कर उसका चेहरा देखते ही रह जाता … Read more

इतना गुमान ठीक नहीं परिस्थितियों मौसम की तरह कब रंग बदल ले l – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

मेरा घर और मेरी जेठानी का घर दोनों थोड़ी ही दूरी पर थे आता है जब भी हम घर के कार्यों से फुर्सत में होते तो दो-चार दिन में कभी वह मेरे पास आ जाती और कभी मैं उनके घर चली जाती l हम दोनों बैठकर बातें करते l मैं तो सभी तरह की बातें … Read more

तोहफा राखी का – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

अवनी लोन में बैठी हुई चाय पी रही थी की फोन की घंटी बजी उसने देखा उसकी सहेली नेहा का फोन था l अवनी ने फोन उठाया और बोली हेलो आज कैसे मेरी याद आ गई सब खैरियत तो है l नेहा बोली की सब ठीक है परंतु तू यह बता तेरी ननंद का नाम … Read more

क्यों ना करूं अपनी किस्मत पर नाज – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

कहां मर गई सीमा सौतेली मां ने कर्कश आवाज में कहांl यह बर्तन पड़े हुए हैं उन्हें कौन साफ करेगाl अपने हाथ में ली हुई किताब तकिए के नीचे छुपा कर सीमा चुपचाप जाकर बर्तन साफ करने लगी l बर्तन साफ करके हाथ सुखा रही थी कि उसकी मां विमला देवी ने फिर से आवाज … Read more

हम दोस्त बनकर रहेंगे – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

आशा और रजनी लखनऊ के एक पार्क की हरी घास पर बैठे एक दूसरे को अपलक निहार रहे थे l शाम का सूरज अपनी लालिमा से अनुपम छटा बिखेर रहा था l आकाश रजनी की सुंदर छवि को अपनी आंखों में जीवन भर के लिए बस लेना चाहता था l रजनी भी आकाश की मनमोहक … Read more

पराजित – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

रामकिशन जी आज फिर मकान को सुरुचि पूर्ण ढंग से सजा रहे थे l रंगीन और सुंदर परदे , नई-नई कलाकृतियां और सोफे को अलग तरीके से व्यवस्थित कर रहे थे l नाश्ते में मिठाई नमकीन बिस्कुट के साथ घर की बनी हुई चीजों को भी रखा था l भोजन भी स्वादिष्ट और अच्छा हो … Read more

बहू का दर्द – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

घर के सभी सदस्यों के खाना खाने के बाद था कि हरि सोनाली अपने लिए खाना परोसने जाती है l परंतु उसने देखा रोटी के डिब्बे में दो ही रोटियां हैं और सब्जी तो बिल्कुल भी नहीं है l 3:00 बज चुके थे भूख जोर से लगी थी इसलिए वह सब्जी के बर्तन से रोटियां … Read more

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