अपने मन की सुनना – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

     “ ओह माँ जी, ये बहूजी भी ना, मजाल है किसी काम को हाथ लगा ले, नाशते के बर्तन तक नहीं उठाती, और कमरा कितना बिखरा पड़ा है, सारे कपड़े पंलग पर फैला दिए” नौकरानी रामी काम भी कर रही थी और बुड़बुड़ा भी रही थी।        सुषमा सामने ही बाहर चारपाई पर बैठी मेथी साफ … Read more

स्वाभिमान बाकी है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

        इंदु और रितेश को इस “ खुशी” नामक वृद्धआश्रम में आए लगभग दो महीने हो गए थे। ये एक ऐसा आश्रम है जिसमें वो हर सुख सुविधा है, जो वैसे तो हर एक को लेकिन विशेष तौर पर उम्रदराज लोगों को चाहिए।आज के जमाने में बहुत कम लोग या कह लो बच्चे बुजुर्गों की समस्याएं … Read more

अपनों की पहचान – विमला गुगलानी :

मुसीबत में ही असली चेहरा दिखता है      इनाया, शांतनु और अभिषेक , दो दो साल के अंतराल में पैदा हुए तीनों भाई बहन माँ रेवती और पिता आलोक की जान थे। लड़ते , झगड़ते , रूठते, मानते लेकिन फिर एक हो जाते।बचपन होता ही इतना प्यारा है,दुःख सुख सांझे, कुछ पता नहीं घाटा, नफा क्या … Read more

कभी हार नहीं मानना – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    अजी सुनते हो, जंयत ने तो हमारी नाक कटवा दी, दूसरी बार भी उसका बैंक का पैपर क्लीयर नहीं हुआ, और वो देखो, तुम्हारा भतीजा रोनित , पिछली बार रह गया था लेकिन इस बार क्लर्क की नौकरी मिल गई। आज जब जिठानी मिठाई का डिब्बा देने आई तो बड़ी अकड़ में थी, मेरी तो … Read more

झूठ हमेशा झूठ ही रहेगा – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

   “जाओ मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी, रोज रोज की चिक चिक से तंग आ चुकी हूं मैं, जब भी पूछो, कल बात करता हूं, कल बात करता हूं, पता नहीं तुम्हारा ये कल कब आएगा”, विभा ने    पुनीत से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा        “ बस सिर्फ एक हफ्ता और दे दो, ये बात … Read more

कभी न कभी तो पोल खुलती है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 बारात आ गई, बारात आ गई”, यह सुनकर मेहमान बारात के स्वागत के लिए होटल के बाहर के गेट की तरफ चल पड़े। वैसे ज्यादा लोग थे भी नहीं। बहुत करीबी 25-30 रिशतेदार या खास दोस्त ही रहे होगें और लड़के वालों की तरफ से तो इतने भी नहीं थे। दस बारह ही थे, बाकी … Read more

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगीं – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

आज फिर पीहू रोते रोते बड़ी मुशकिल से सोई। मानसी भी सोना चाहती थी, लेकिन नींद भी तो आए। करवटें बदलते बदलते जब बदन दुखने लग गया तो उठ खड़ी हुई। रसोई में जाकर पानी पिया। समय देखा तो रात का एक बज चुका था। हर तरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ था, लेकिन मानसी के अंदर … Read more

बस, अब बहुत हुआ – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    “ओफ्फ हो, ये महुआ को भी आज ही बीमार होना था”    खनक आटा गूथंते गूथंते बुदबुदाई।      आटे की और ध्यान दिया तो दूध उफनते उफनते बचा और उसे तो याद भी नहीं कि कूकर कब से गैस पर चढ़ा रखा है। लगता है आलूओं का तो पानी के अंदर ही भुर्ता बन गया होगा। अब … Read more

लाड प्यार की भी एक सीमा होती है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 इतवार को घर में सब  देर से उठते है तो निशा भी कुछ देर बिस्तर पर पड़ी रही, परंतु नींद तो उसे आ नहीं रही थी, उठ कर बैठ गई। पतिदेव मानव  एक्सियन के पद पर थे, किसी बात की कमी नहीं थी। इकलौता बेटा आर्यन मां बाप की आंखों का तारा,  पढ़ रहा था। … Read more

अपने- पराये – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

आफिस से लौटकर प्रतीक फ़्रेश हुआ, एक बड़ा सा मग काफी बनाई , हीटर और टीवी चलाया और धप्प से रज़ाई में घुस कर फ़ायर स्टिक पर अपने मनपंसद प्रोग्राम का आंनद लेने लगा। सब कुछ कितना बदल गया है। कम्पयूटर, मोबाईल, वाई- फ़ाई आदि ने तो दुनिया ही बदल दी। अब टीवी को ही … Read more

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