कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगीं – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

आज फिर पीहू रोते रोते बड़ी मुशकिल से सोई। मानसी भी सोना चाहती थी, लेकिन नींद भी तो आए। करवटें बदलते बदलते जब बदन दुखने लग गया तो उठ खड़ी हुई। रसोई में जाकर पानी पिया। समय देखा तो रात का एक बज चुका था। हर तरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ था, लेकिन मानसी के अंदर … Read more

बस, अब बहुत हुआ – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    “ओफ्फ हो, ये महुआ को भी आज ही बीमार होना था”    खनक आटा गूथंते गूथंते बुदबुदाई।      आटे की और ध्यान दिया तो दूध उफनते उफनते बचा और उसे तो याद भी नहीं कि कूकर कब से गैस पर चढ़ा रखा है। लगता है आलूओं का तो पानी के अंदर ही भुर्ता बन गया होगा। अब … Read more

लाड प्यार की भी एक सीमा होती है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 इतवार को घर में सब  देर से उठते है तो निशा भी कुछ देर बिस्तर पर पड़ी रही, परंतु नींद तो उसे आ नहीं रही थी, उठ कर बैठ गई। पतिदेव मानव  एक्सियन के पद पर थे, किसी बात की कमी नहीं थी। इकलौता बेटा आर्यन मां बाप की आंखों का तारा,  पढ़ रहा था। … Read more

अपने- पराये – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

आफिस से लौटकर प्रतीक फ़्रेश हुआ, एक बड़ा सा मग काफी बनाई , हीटर और टीवी चलाया और धप्प से रज़ाई में घुस कर फ़ायर स्टिक पर अपने मनपंसद प्रोग्राम का आंनद लेने लगा। सब कुछ कितना बदल गया है। कम्पयूटर, मोबाईल, वाई- फ़ाई आदि ने तो दुनिया ही बदल दी। अब टीवी को ही … Read more

अब तो पड़ जाएगी न तुम्हारे कलेजे में ठंडक – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

समय की पुकार, पर्यावरण की संभाल-      “ सुरेखा, तुम्हें कितनी बार समझा चुकी हूं कि गीला और सूखा कूड़ा अलग अलग रखा करो , और कितना पानी बर्बाद कर देती हो बर्तन साफ करते समय, जब ना जरूरत हो तो नल बंद कर दिया करो, और देखो पोछां लगाते समय सारे घर के पंखे चला … Read more

और उसूल बदल गए – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

सुबह से तीन बार माँ का फ़ोन आ चुका था, लेकिन राशि बात नहीं कर सकी। जाहिर है, सुबह सुबह काम ही इतने होते है कि किसी से बात करनी तो क्या ढ़ग से बैठ कर एक कप चाय पीने की भी फ़ुरसत नहीं होती। पराग को आफिस और शान को स्कूल भेजकर ही वो … Read more

शुभ विवाह- एक परीक्षा – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 “ बेटा आरव – देखो तो ये शादी के कार्ड, कितने सुंदर है”, हेमा ने एक फाईल को आरव के आगे रखते हुए कहा।“        हर मां की तरह हेमा को भी इकलौते बेटे की शादी का चाव था। बेटी हिना की शादी तीन साल पहले हो चुकी थी तो जैसे घर सूना ही हो गया … Read more

ऋण चुका दिया – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

शामली का मोबाईल जब रात के दो बजे बजा तो वो समझ गई कि भारत से उसकी परम मित्र रूही का फोन ही होगा। वैसे तो उसे भारत से न के बराबर फोन आते है, कोई है ही नहीं तो फिर फोन कौन करेगा। जो नाममात्र के रिश्ते हैं वो तो बहुत पहले ही छूट … Read more

एक कप चाय – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

प्रीतो एक गिलास चाय लाना अभी लाती हूँ माँजी  बिंबोली एक घंटे से चाय का इंतजार कर रही थी. लेकिन प्रीतो के पास भी वही रटा रटाया उत्तर था.वो भी क्या करे. सुबह का समय किसी को स्कूल जाना तो किसी को आफिस. किसी का रूमाल ग़ायब तो किसी को टाई नहीं मिल रही. एक … Read more

बहुत कुछ होते हुए भी पैसा सब कुछ नहीं – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

     नीमा की शादी अपने ही शहर में विराट से हुई तो उसे मां बाप से दूरी का ज्यादा अहसास नहीं हुआ। दोनों घरों में ज्यादा दूरी भी नहीं थी। नौकरी भी वहीं पर थी, विराट का आफिस तो पूना में था लेकिन ज्यादातर काम आन लाईन हो जाता या फिर वो मार्कटिंग में रहता। ससुराल … Read more

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