कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगीं – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi
आज फिर पीहू रोते रोते बड़ी मुशकिल से सोई। मानसी भी सोना चाहती थी, लेकिन नींद भी तो आए। करवटें बदलते बदलते जब बदन दुखने लग गया तो उठ खड़ी हुई। रसोई में जाकर पानी पिया। समय देखा तो रात का एक बज चुका था। हर तरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ था, लेकिन मानसी के अंदर … Read more