अपने मन की सुनना – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi
“ ओह माँ जी, ये बहूजी भी ना, मजाल है किसी काम को हाथ लगा ले, नाशते के बर्तन तक नहीं उठाती, और कमरा कितना बिखरा पड़ा है, सारे कपड़े पंलग पर फैला दिए” नौकरानी रामी काम भी कर रही थी और बुड़बुड़ा भी रही थी। सुषमा सामने ही बाहर चारपाई पर बैठी मेथी साफ … Read more