तिरस्कार कब तक – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

मैं मधु छोटे से मध्यम वर्गीय परिवार की बहु पत्नी और मां हूं… वर्तमान में यही मेरी पहचान है… कभी साल दो साल पर दो दिन के लिए मायके जाती हूं तो लगता है मैं भी किसी की बेटी हूं बहन हूं… ब्याह कर ससुराल की दहलीज पार की उसी पल से मान स्वाभिमान इच्छा … Read more

मन की गांठ – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

    आज का दिन मेरी जिंदगी का बेहद खूबसूरत और यादगार दिन है… आज मेरे बेटे राज की शादी है… मेरे घर में चांद सी दुल्हन आएगी… खुशी के साथ साथ डर भी लग रहा है… क्या बहु मेरे साथ खुश रहेगी… एक हीं बेटा है.. बहु को बेटी बना कर रखूंगी… ख्यालों को झटक कर … Read more

औलाद के मोह के कारण वो सब कुछ सह गई – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

उफ्फ सुबह सुबह भाई ने ये बुरी खबर दी… दुर्गा चाची एक महीने से सदर अस्पताल में भर्ती थी… आज सुबह चार बजे उनका देहांत हो गया… मैं दुःखी हो गई… चाय का कप किचेन में रखकर बालकनी में आकर बैठ गई… तभी मां का फोन आया… बिट्टी मन दुःखी मत करो… दुर्गा बहन जी … Read more

दिखावे की जिंदगी – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

रोटरी क्लब में आज सर्वश्रेष्ठ जोड़े को खूबसूरत ड्रेसिंग वाले महिला पुरुष को प्रतियोगिता के आधार पर पुरस्कार मिलने वाला है… मयंक और मै दोनों अच्छे से तैयार होकर बाकी जोड़ों की तरह बेस्ट पेयर चुने जाने की उम्मीद लिए गए थे… मन में अनगिनत झंझावात समेटे कभी कभी #दिखावे की जिंदगी #को जीते हुए … Read more

आंसू बन गए मोती – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

नया नोहर बानी कनिया   पियवा धरावे हंसुआ ए रामा चईत  हो मासे……गांव की प्यारी सी भोर सुबह भी नहीं हुई थी… चार बज रहे थे…कानों में चैता का मधुर स्वर मनु के  मन मस्तिष्क को झंझोर गए… दरवाजा खोल कर बाहर निकल आई… महुआ के पेड़ से आ रही मादक खुशबू उफ्फ….. काश कि … Read more

स्नेह का बंधन – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

कल तक अम्मा के चेहरे पर बड़ी सी बिंदी सिंदूर की गाढ़ी रेखा लाल चूड़ियों से भरी कलाई पैर में पायल बिछिया और महावार और सीधे पल्ले की कभी लाल पीली हरी साड़ी उनके मुख मंडल की आभा को द्विगुणित कर रही थी, आज दस दिनों तक जीवन मृत्यु के बीच चलने वाली रस्साकसी में … Read more

एक फैसला आत्मसम्मान के लिए – वीणा सिंह   : Moral Stories in Hindi

सोचा महिला दिवस की शुरुआत घर के नजदीक खुले वृद्धाश्रम में जाकर उनलोगों को कुछ पसंद का खिला कर, थोड़ा वक्त उनके साथ गुजार कर क्यों न किया जाए… सुबह की चाय पीकर नाश्ते के पैकेट के साथ निकल गई वृद्धाश्रम.. अक्सर जाते रहने के कारण सब से पहचान सी हो गई थी… मेरे जाते … Read more

कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

कुंभ जाने की बातें रोज सरोज अपने पति से करती… आस पड़ोस रिश्तेदार सभी जा चुके हैं.. अजी हम दोनों हीं अभागे हैं जो अब तक नहीं जा पाए.. रमेश बोलता चले तो जाए पर मईया का क्या करें.. सरोज अपनी सास को कोसने लगती बुढ़िया मरती भी नहीं है…. हमे खा कर दुनिया से … Read more

बड़ी बहु – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

मैं शुभा परिहार परिवार की बड़ी बहु.. शादी के कितने साल गुजर गए इसकी गवाही मेरे चेहरे की सलवटें और बालों में आई सफेदी घुटने की तकलीफ और बहुत सी बीमारियां चीख चीख के देती है.. गिनने लायक जीवन के गुजरे वर्ष कहां थे जो याद रखती.. कोमल भावनाएं आत्मसम्मान इच्छाएं सब कुछ तो# बड़ी … Read more

अनकहा दर्द – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

कितनी कोशिश करती हूं पर ये आंसू निकल हीं आते हैं…. पति की बेरूखी और सपाट व्यवहार को बर्दाश्त करती रही बच्चे मुझे समझेंगे पर बच्चे भी….                       बचपन में मां मुझमें और छोटे भाई में फर्क करती थी तो मासूम मन रो उठता…. छोटे भाई राजन को बहला फुसला कर मलाई वाली दूध पिलाती, मेरे … Read more

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