वापस लौट आओ तुम.. – वीणा   : Moral Stories in Hindi

 हाय .आँटी. मैं तरन्नुम, सरला आँटी ने भेजा है मुझे। ओह.. हाँ, मैंने कहा था सरला को। एक्चुअली मेरा पोता है अरमान ,उसकी देखभाल के लिए जरूरत थी मुझे किसी की। पाँच साल का है,दो साल पहले उसकी माँ की एक एक्सीडेंट में डेथ हो गई थी…उसी एक्सीडेंट में मेरी भी स्पाइनल इंजरी हो गई … Read more

जीने का मकसद – वीणा : Moral Stories in Hindi

बनारस स्टेशन के एक कोने में बैठ पार्वती काकी ज़ार ज़ार रोए जा रही थी कि तभी पवन की नजर उन पर पड़ी। वह पास जाकर पूछा– क्या हुआ काकी,क्यों इतना रोए जा रहे हो? कुछ खो गया का? रोते रोते ही काकी ने कहा – सब कुछ तो खो ही गया है बिटवा। जब … Read more

जे किसी से कम है का – वीणा : Moral Stories in Hindi

मौसी –माँ कहाँ है? ..दिख नहीं रही। पता नही..अभी तो कुछ देर पहले  तो यहीं थी। ये दीदी…तुमने देखा क्या माँ को..कहीं नहीं दिख रही, तब से ढूंढ रहा हूं। नीरज परेशान सा था। तभी शोर होने लगा..जल्दी आओ सब। पंडित जी घृतढारी के लिए कह रहे हैं। मुहूर्त हो गया है।  तभी किसी ने … Read more

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