कल ,आज और कल! – वर्षा गर्ग : Moral Stories in Hindi

New Project 97

 ” पिताजी ! आप फिर आज स्कूल में धोती पहनकर क्यों आये थे? मेरे सभी दोस्त मज़ाक बनाते हैं। इससे तो अच्छा था मुझे किसी हिन्दी मीडियम स्कूल में ही पढ़ने भेजते।” “अरे रे बबुआ! इतना गुस्सा काहे करते हो,अबकी बार शहर से एक पतलून ले आयेंगे और पूरे साहब बनकर स्कूल में आयेंगे, ठीक … Read more

डॉक्टर बेटी की समझदारी – वर्षा गर्ग : Moral Stories in Hindi

New Project 48

डॉक्टर साहब का नाम उनके कस्बे में बहुत इज्ज़त और आदर से लिया जाता था। चालीस वर्षों से उनकी प्रैक्टिस का डंका बजता था। लोग उनकी ईमानदारी और ज्ञान की प्रशंसा करते नहीं थकते थे। लेकिन समय के साथ, उनकी प्रैक्टिस धीमी होने लगी। पहले जहां दिनभर में बीस-तीस मरीज आते थे, अब पांच-छह मरीज … Read more

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