रत्नगर्भा – उषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi
वह बड़ी बेचैनी से महसूस कर रही थी। आंखों से नींद कोसों दूर थी। फिर धीरे से उठी और पास के स्टूल पर रखे जग से गिलास में पानी लेकर पिया। फिर लेट गई। बार-बार उसके करवट बदलने से सुमित की आंख खुल गई । उसने पूछा-” क्या हुआ नीमा, तबीयत तो ठीक है ना … Read more