रत्नगर्भा – उषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

     वह बड़ी बेचैनी से महसूस कर रही थी। आंखों से नींद कोसों दूर थी। फिर धीरे से उठी और पास के स्टूल पर रखे जग से गिलास में पानी लेकर पिया। फिर लेट गई। बार-बार उसके करवट बदलने से सुमित की आंख खुल गई । उसने पूछा-” क्या हुआ नीमा, तबीयत तो ठीक है ना … Read more

ये कैसा रिश्ता – उषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

    हर वक्त उसकी आवाज कानों में गूंजती रहती थी घर पहुंचते ही वह ऐसे चिल्लाता था जैसे किसी के स्वागत का सारा जिम्मा उसका हो।           मुझे याद आने लगा वह दिन , जब मै  कॉलेज से आकर बैठी थी उसी समय  चिंकी ने आकर कहा -दीदी देखो आज हम लोग आपके लिए कुछ लाये हैं … Read more

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