बिदाई – डाॅ उर्मिला सिन्हा  : Moral Stories in Hindi

   परिस्थितियों का अंधड़ कुछ ऐसा चला कि गौरी का मायके एकप्रकार से छुट ही गया। माता-पिता थे नहीं। भाई विदेश जा बैठा वहीं विवाह कर बच्चों  के साथ रहने  लगा। न कभी आया न बुलाया। राखी बजरी का कोई सवाल ही नहीं। कभी कभार फोन करता और संक्षिप्त वार्तालाप कर फोन रख देता।     “यहां हमलोग … Read more

मायका – डाॅ उर्मिला सिन्हा  : Moral Stories in Hindi

  आज बेटियां दिवस के शुभ अवसर पर सभी बेटियों बहुओं और बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं… प्रस्तुत है मेरी रचना,”मायका”!     जैसे जैसे मायके की गलियां नजदीक आ रही थी नीलू की धड़कनें तेज हो गई थी।बगल में बैठे दूल्हे राजा कुछ अचकचाये से थे। दरअसल नीलू का विवाह पलास के साथ दस दिनों पहले शहर के … Read more

असली संपत्ति – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

भरा-पूरा परिवार…एक-दूसरे की परवाह  करने वाले लोग। थोड़े में ही खुश होने वाले… उपरवाले से डरनेवाले परिवार में भूचाल सा आ गया जब घर की बडी़ बहू ने अपने हिस्से की मांग की।     यह परिवार चार भाइयों और तीन बहनों का था। तीनों बहनों की शादी हो चुकी थी और वे अपनी घर-गृहस्थी में मस्त … Read more

वह हरी साडी़ – डाॅ उर्मिला सिन्हा  : Moral Stories in Hindi

सावन का रिमझिम प्रारंभ हुआ… तन-मन भींगा-भींगा…हरी-भरी धरती संग उल्लसित जनसमुदाय।  इधर सावन महीने में सावन महोत्सव मनाने की तैयारी महाविद्यालय में चल रही थी। सभी को हरे रंग की साडी़   चूड़ियाँ  हाथों में मेंहदी लगाकर जाना था।उससे संबंधित  शिक्षिकायें और छात्रायें बडी़ जोर-शोर से तैयारी  कर रही थी। हमलोगों ने छात्राओं के लिये … Read more

मूंगा की लाली – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

आकाश में चांद रजत थाल के समान लटका हुआ है…उज्जवल धवल चांदनी चहुंओर फैली हुई है…मूंगा के आंखों में सुनापन…नींद कोसों दूर…     भविष्य का पता नहीं….बेमुरव्वत वर्तमान… और अतीत में उलझा बावडा़ मन…  बाल-विधवा …मूंगा.. न नैहर में कोई न ससुराल में…आगे नाथ न पीछे पगहा…    दुसरों का सेवा-टहल कर उसने अपनी आधी उम्र व्यतीत … Read more

गिले शिकवे – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

नीले स्वच्छ आसमान में ढलते सूरज की पीले सेन्दुरी किरणों का सम्मोहन। ऊंचे-ऊंचे हरे घने  वृक्ष ,घनी झाड़ियां, घोंसले में लौटते चिड़ियों का तीव्र शोर अपनी ओर खींच रहा था। इस दिलकश वातावरण के खिंचाव में हरीश यूं ही इस ओर बढ़ता चला गया।     जब व्याकुल मन कहीं नहीं बंधे तो उसे प्रकृति के गोद … Read more

सुबह का भूला – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

हैरान परेशान… पूजा ने घर में घुसते ही हंगामा मचा दिया, ” आखिर कबतक बर्दाश्त करुं। घर का काम मैं करुं, पैसे कमाकर मैं लाऊं… बच्चे मैं पालूं, तुम्हारे मां-बाप की सेवा करुं और तुम मुझे आंखें तरेरो” नन्हे  बच्चे सहम गये। वृद्ध सास-ससुर  पूजा के इस रोज के नाटक को चुपचाप देखते रहे।  सोफे … Read more

बहन की शादी – डाॅ उर्मिला सिन्हा’ : Moral Stories in Hindi

“जरी जरी मेरी साड़ी सलमा सितारा जरी सड़िया पहन मैं छत पर गई थी गरी गरी मेरी साडी़ सजना के दिल में गडी़। “ झूमर गाती महिलाएं  … रमा को अपना पति यश याद आ गया। ढोलक पर थाप देती ललनाओं की मंडली… गाने के धुन पर नाचती… बहु बेटियां… संपूर्ण घर आँगन में विवाहोत्सव … Read more

मेरा खत – डाॅ उर्मिला सिन्हा Moral Stories in Hindi

प्यारी सखी,  मधुर स्मृति।   आज वर्षों बाद मैं तुम्हें पत्र लिख रही हूं। याद है  जब हम छुट्टियों में अपने अपने घर चले जाते थे तब ये चिट्ठियां  ही हमारा सहारा होती थी। हम कभी डाक से या कभी किसी हरकारे के हाथों एक-दूसरे को कुशलक्षेम भेजती।    उस कागज के टुकड़े में कितना कुछ … Read more

मेरे हमसफ़र – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

तपती दोपहरी में घर से निकलना अपनेआप को लू-लहर के चपेटे में झोंक देना है। मुग्धा ने दुपट्टा खींचकर मुँह कान ढंकने का असफल प्रयास किया। न एक रिक्शा न कोई सवारी…।  वह लगभग दौड़ती हुई आगे बढी़। घर यहाँ से डेढ-दो किलोमीटर ही है लेकिन… भीषण गर्मी से सड़कें वीरान है। आज से कुछ … Read more

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