तिरस्कार कब तक – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

सुमेधा सुबह सुबह अपने घर पहुंच गयी थी ।रात भर की सफर से थक कर चूर हो गई थी ।घर में कुछ सामान तो पहले से था लेकिन दूध लाना पड़ेगा।चाय पीने की आदत है तो जुगाड़ करने के लिए जुट गयी ।बगल में ही गाय का खटाल था।जाकर दूध लाना है ।दूध लाकर चाय … Read more

“मन की गाँठ – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

“मेरी रचना मन की गाँठ में पांच पात्र हैं जिनके मन की गाँठ खुल नहीं रही ।आगे देखते हैं क्या होता है ।इस कहानी में राघव जी उनकी पत्नी सीमा,उनका बेटा विनय उसकी पत्नी विभा और एक शादी शुदा बेटी रीना है ।पहले राघव जी की सुनते हैं—मेरा बेटा विनय बहुत अच्छा और आज्ञाकारी है।मैं … Read more

समझौता अब नहीं – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

मीता दुबली पतली ‘नाजुक सी प्यारी लड़की ।पढ़ाई मे ठीक ठाक ।पिता को बहुत मन था बेटी डाक्टर बने।लेकिन पैसे की कमी और हालात के चलते यह सपना पूरा नहीं हो सका। ग्रेजुएट हो गई तो शादी की तैयारी होने लगी ।बहुत जगह बात चलती और फिर खत्म हो जाती ।कहीं पैसे की मांग ‘कहीं … Read more

“स्वार्थी संसार ” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

कल रात मैंने नींद की बहुत सारी गोलियां खा ली।थोड़ी देर बाद जोरों की प्यास लगी, एक हिचकी आई और पिंजरे का पंछी उड़ गया ।मै अब उन्मुक्त आकाश की ओर जा रही हूँ ।मेरा शरीर निर्जीव हो कर पड़ा है ।सुबह घर के लोग आकर देखेंगे तो हाय तोबा मचेगी, फिर रोने धोने का … Read more

दिखावे की जिंदगी – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

रमा कान्त जी अकेले चले जा रहे थे ।मंजिल का कोई अता-पता नहीं है ।पत्नी एक महीने पहले ही गुजर गयी है ।दो बेटे हैं ।शादी शुदा ।अपनी गृहस्थी में मगन ।जब नौकरी में थे तभी पत्नी सरला के बहुत कहने पर एक छोटा सा आशियाना बना लिया था ।साधारण पोस्ट पर ही थे वह। … Read more

आँसू बन गये मोती – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

दो साल बीत गए ।तुम चली गई थी ।हमेशा के लिए ।ईश्वर को यही मंजूर था ।तब से मै लगातार आँसुओ के समंदर में डूबती इतराती रही ।जीने का कोई मतलब नजर नहीं आता था क्या करें?कैसे जिएं? जिंदगी एकदम नीरस हो गई थी ।न खाने का होश था न सोने की सुधि थी।कहीं आना … Read more

एक फैसला आत्म सम्मान के लिए – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

आज फिर आफिस में त्याग पत्र दे आया ।घर पहुंचा तो किरण ने सवाल किया “इतनी जल्दी आ गये सुबोध, बात क्या है “?”हाँ आज फिर नौकरी छोड़ दिया ” आत्म सम्मान के लिए ही यह फैसला किया है ।नहीं बेच सकता मै अपना आत्म सम्मान ।” पर हुआ क्या “? बताओ भी? चीफ मैनेजर … Read more

बड़ी बहू – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

 मै आरती, बी ए में थी सिर्फ उन्नीस साल की।बड़ी बहू बनकर अपने ससुराल आ गई ।सुना था अच्छे लोग हैं, छोटा परिवार है ।पिता जी साधारण पोस्ट पर थे।साधारण लेनदेन करके बेटी को विदा कर दिया ।आर्थिक स्थिति चाहे बहुत अच्छी न रही हो पर माता पिता का प्यार, दुलार बहुत मिला । इस … Read more

“टूटते रिश्ते जुड़ने लगे” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

।हमारे घर में इतनी अधिक मेल मिलाप थी कि लोगों को मिसाल दी जाती थी कि देखो,फलाँ के घर कितना अच्छा परिवार है, कितनी मेल मिलाप है ।पर अचानक न जाने किसकी नजर लग गई कि सबकुछ गड़बड़ हो गया ।समीर दो भाई और दो बहन थे।सम्मिलित परिवार में सबकी रसोई एक ही थी। जब … Read more

पैसे का गुरूर – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

हमारे मुहल्ले में सप्ताह में दो दिन हाट लगता था।मंगल और शुक्रवार को ।हमलोग अक्सर हाट से एक हफ्ते की सब्जी खरीद लेते थे।उसदिन मंगल वार था और मेरे पति आफिस से खाने के लिए दोपहर में आये तो कहा “लाओ थैला और पैसे, सब्जी ले आता हूँ ।अभी ताजी ताजी सब्जी मिल जायेगी ।मैंने … Read more

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