अपना घर अपना ही होता है – तृप्ती देव   : Moral Stories in Hindi

गर्मियों की दोपहर थी। सूरज की किरणें तपती धरती को आग के गोले में बदल रही थीं। आंगन में बैठी सुमित्रा बाई के चेहरे पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं, पर उनके चेहरे पर एक संतोष की मुस्कान थी। आज उनका बेटा, रवि, जो शहर में नौकरी करता है, कई महीनों बाद घर लौट … Read more

“सास का समर्थन” – तृप्ति देव   : Moral Stories in Hindi

एक शहर मे ,शर्मा परिवार एक संयुक्त परिवार था, जहां तीन पीढ़ियाँ एक ही छत के नीचे हंसी-खुशी रहती थीं। और परिवार का दिल, आंगन  में था, जहां हर सुबह की चाय से लेकर रात के खाने तक सब कुछ साझा होता था। पूरा परिवार बैठ के  सुख दुख साझा करते थे। उसी परिवार में  … Read more

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