अपना घर अपना ही होता है – तृप्ती देव   : Moral Stories in Hindi

गर्मियों की दोपहर थी। सूरज की किरणें तपती धरती को आग के गोले में बदल रही थीं। आंगन में बैठी सुमित्रा बाई के चेहरे पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं, पर उनके चेहरे पर एक संतोष की मुस्कान थी। आज उनका बेटा, रवि, जो शहर में नौकरी करता है, कई महीनों बाद घर लौट … Read more

“सास का समर्थन” – तृप्ति देव   : Moral Stories in Hindi

एक शहर मे ,शर्मा परिवार एक संयुक्त परिवार था, जहां तीन पीढ़ियाँ एक ही छत के नीचे हंसी-खुशी रहती थीं। और परिवार का दिल, आंगन  में था, जहां हर सुबह की चाय से लेकर रात के खाने तक सब कुछ साझा होता था। पूरा परिवार बैठ के  सुख दुख साझा करते थे। उसी परिवार में  … Read more

झूठी शान में कैसा मान ? – तृप्ति देव : Moral Stories in Hindi

जितनी बड़ी चादर हो, उतने ही पैर फैलाना बुद्धिमानी है।बहु ! हा मां! लेकिन लड़केवाले तो अमीर हैं। तो क्या हुआ? बहु! जो सच है, जो सहज-सरल और वही वास्तविक है, वही बयान करना चाहिएं। कल पूरा परिवार अपने यहां आने वाले है। मां! ठीक है । हा !है जैसे वैसे रहेगें।   बेटी के संस्कार … Read more

गृहलक्ष्मी – त्रुपती देव  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : गृहिणी ही परिवार का   आत्मा हें l पुरे परिवार की माला  की सूत्रधार  हें l गृहिणी हैं तो संसार,हेंl अपनी तकलीफों का , पेटारा एक कोने में रख कर पूरे परिवार का  ध्यान रखती. ,अलग अलग भूमिका में अपना कर्तव्य निभाती  है !कोई त्यौहार छुट्टियों में भी नही करती … Read more

ममता – तृप्ति देव : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : माँ  ममता की मुरत है  तो सासु माँ  जीवन की सुरत हैl हैलो मां कैसे हो आप ? में ठीक हूं। तुम कैसे हो ? बेटा ! मां में भी ठीक हूं।  भैया भाभी सुबह ही निकल गए । शाम तक उन लोग भी  घर पोहच जाएंगे । फिर तुम्हे … Read more

झाड़ू मारना – तृप्ति देव : Moral Stories in Hindi

निधी के घर पूजा थी । रोज थोड़ी तयारी चल रही थी ।शादी के बाद पहिली बार पूजा का आयोजन था । मोहले वाले ,कुछ परिवार के लोग ,आस पड़ोस के सबकी लिस्ट में नाम लिख रही थी । इतने में निधी ने अपनी सासू मां से पूछा मां कमला चाची को बुलाए? कोन कमला … Read more

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