नाराज – स्वाती जितेश राठी : Moral Stories in Hindi

बस बहुत हुआ अब ओर नहीं ना एक शब्द  ना एक और दायित्व   कुछ नहीं । कुछ नहीं करेंगे अब मेरे माँ पापा  किसी के लिए भी सिवाय नानी माँ के  क्योंकि  वो उनकी जिम्मेदारी है जो उन्होंने अपने पूरे मन से ली है और सच्चे मन से निभा भी रहे है।पर आप लोग … Read more

कड़वाहट – स्वाती जितेश राठी : Moral Stories in Hindi

सुधा  कितने वर्षों बाद आज गांव आई थी। बड़े पापा का पचहत्तरवां जन्मदिन  जो था! आखिर बड़े पापा ने ही सारे परिवार को एक सूत्र में बांध रखा था। पूरा परिवार इक्ट्ठा हुआ था। पूरे बयालीस लोगों का परिवार! हर तरफ हंसी ठठे की आवाज़, छोटे छोटे बच्चों को खेलता देखकर सुधा को अपना बचपन … Read more

कीमत – स्वाती जितेश राठी : Moral Stories in Hindi

जहां कभी बच्चों की किलकारियां गूंजती थी, जहां कभी पायल की झंकार सुनाई पड़ती थी ….. आज वो घर अकेला, जर्जर खड़ा है।  अपने मायके के घर के बाहर आँगन में खड़ी वान्या यही सोच रही थी कि एक समय था जब यहाँ उसकी और भाई की  हँसी,  मस्ती और लड़ाईयाँ गूँजा करती थी। पापा … Read more

रोते रोते बस अपनी किस्मत को कोसे जा रही थी – स्वाती जितेश राठी : Moral Stories in Hindi

नन्हीं खुशबू का एक ही सपना था। उसे पहाड़ पर चढ़ना था लेकिन व्हीलचेयर पर बैठी खुशबू ये भी जानती थी कि ये सपना कभी पूरा नहीं होगा। लेकिन वो सपने ही क्या जो पूरा होने की ज़िद ना करे……रात दिन एक ही सोच कैसे करूँ अपना सपना पूरा। जुझारू तो बचपन से थी पर … Read more

“क्यों ना करूँ मैं अपनी किस्मत पर नाज – स्वाती जितेश राठी : Moral Stories in Hindi

आज कोरियर से वेदा के लिए एक पार्सल आया। उसमें एक कार्ड था जिसपर धन्यवाद लिखा था, एक खूबसूरत सा पैन, एक कोरी किताब और एक पैकेट चाय का मसाला था। वेदा समझ ही नही पा रही थी कि ये किसने भेजा होगा। चाय के मसाले की खुशबू पहचानी सी थी। किताब में सिर्फ  इतना … Read more

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