अपनों का साथ – सुनीता परसाई, : Moral Stories in Hindi

रोहन माता-पिता का इकलौता दुलारा बेटा था।माता-पिता खेती करके गुजारा करते थे।जमीन थोड़ी-थोड़ी बेचकर हर साल उसकी इंजीनियरिंग कालेज की फीस जमा करते थे।इसी आशा से कि चार साल बाद सब ठीक हो जायेगा। बेटा होनहार था ।पढ़ाई समाप्त होने के पहले ही उसे अमेरिका में अच्छी नौकरी मिल गयी। माता- पिता ने सोचा विदेश … Read more

पुरस्कार – सुनीता परसाई ‘चारु’ : Moral Stories in Hindi

सुगना अपनी  नातिन का हाथ थामे उसे शहर के जूडो-कराटे स्कूल लेकर जा रही थी।वह हमेंशा हाथ में डंडा रखकर चलती थी।गाँव में उसे सब ‘डंडे वाली अम्मा’ कह कर बुलाते थे। रास्ते में सब्जी की दुकान देखकर सुगना को याद आया, कैसे उस दिन वह डण्डा लेकर दौड़ी थी। एक दिन एक ग्राहक उसकी … Read more

सुरक्षा – सुनीता परसाई ‘चारु’ : Moral Stories in Hindi

सुगना अपनी  नातिन का हाथ थामे शहर के जूडो-कराटे स्कूल लेकर जा रही थी।वह हमेंशा हाथ में हंटर रखकर चलती थी।गाँव में उसे सब हंटर वाली अम्मा कह कर बुलाते थे। रास्ते में सब्जी की दुकान देखकर सुगना को याद आया, कैसे उस दिन वह डण्डा लेकर दौड़ी थी। एक दिन एक ग्राहक उसकी दुकान … Read more

error: Content is Copyright protected !!