अटैची में ज़िन्दगी – सुनीता मिश्रा : Moral Stories in Hindi

टैक्सी, जैसे ही घर के सामने आकर रुकी, कुसुम की आँखों में बादल तिर आए। ये कोई नयी बात नहीं,बादल और कुसुम की आँखें,दोनों में बहनापा हो गया है। घटना और परिस्थितियों से  सामना होते ही दोनों आपस में प्रगाढ़ आलिंगन कर लेतीं हैं। घर के बाहर चारों तरफ  कुछ जंगली पेड़ पौधे और  घास … Read more

दो बच्चों की माँ – सुनीता मिश्रा : Moral Stories in Hindi

नयी बहू की मुँह दिखाई का कार्यक्रम चल रहा था, मधुर, ससुराल में रिश्तेदारों से घिरी हुई थी,तभी उसके मोबाईल की रिंगटोन बजी। “भाभी मोबाईल उठा लीजिए , शायद आपकी मम्मी का फोन हो।”ननद ने फोन उसके हाथ में दे दिया।”हाँ बहुरिया, बात कर लो। माँ को फिकर होगी।”ददिया सास ने मधुर के सिर पर … Read more

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