बहू बनी सहारा – सुनीता माथुर

मां जल्दी से तैयार हो जाओ आपको कार से मंदिर ले चलती हूं आज तो शरद पूर्णिमा है आपको मंदिर जाना अच्छा लगता है ना—– अंजू बोली हां—— साक्षी बहू  लेकिन तुम्हें समर्थ को होमवर्क भी करवाना है,—– वो यू.के.जी में आ गया है दिन भर काम करके भी तुम थक गई होगी और शाम … Read more

रिटायरमेंट – सुनीता माथुर

प्रियांशी बैंक मैनेजर थी आज बहुत खुश थी उसका रिटायरमेंट था बैंक के सभी लोगों ने रिटायरमेंट की पार्टी की तैयारी कर रखी थी प्रियांशी के पति विकास भी बहुत खुश थे क्योंकि—- वह भी पहले बैंक में ही डायरेक्टर थे और 2 साल पहले ही—— रिटायर्ड हो गए थे! सोचा था प्रियांशी के रिटायर्ड … Read more

कर्मों का फल – सुनीता माथुर

बहुत समय पहले एक गाँव में हरिदास बहुत ही मेहनती किसान था लेकिन स्वभाव से बहुत आलसी था जब मौसम आता, तो वह बीज तो बो देता, मगर समय पर सिंचाई और निराई-गुड़ाई नहीं करता हरिदास के बचपन का दोस्त गोपी भी इसी गांव में रहता था और उसके पास ही उसका खेत था लेकिन—— … Read more

 अपनों की पहचान -सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

सुष्मिता 2 साल पुराने अपने ख्यालों में खो जाती है—- कितना अच्छा समय था पति समीर बैंक मैनेजर थे और रिटायर्ड होने में अभी 2 साल ही बाकी थे उनकी हार्ट अटैक से मृत्यु हो जाती है, समीर मेरे साथ-साथ अपने बेटे शशांक  और बेटी शालिनी का बहुत ध्यान रखते थे रिटायर्मेंट के पहले ही——- … Read more

झूंठा दिखावा – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

मीनल जब भी अपनी सहेली राखी के घर जाती राखी मीनल को नया- नया सामान बड़े चाव से दिखती देखा आज—– मैंने नया बेड खरीदा, पुराना टीवी वेंच दिया, नया टीवी बड़ा वाला खरीद लिया! कई बार तो राखी मीनल से कहती है—-अरे तुम्हारे पास तो साड़ी भी नहीं है—- देखो मैं 5000 की 10,000 … Read more

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