लतिका – सुधा भार्गव : Moral Stories in Hindi

हाँ ,उसका नाम लतिका ही था । उसकी तरह न जाने इस जग में कितनी भरी पड़ी हैं जो लता बनने से पहले ही लताड़ दी जाती हैं या अपना इस्तेमाल करने के लिए खुद विवश हो उठती हैं।  उसके साथ तो कुछ यू हुआ –तीन भाइयों वाली वह बहन थी । पिता प्रकाश की … Read more

आश्चर्य पर आश्चर्य – सुधा भार्गव : Moral Stories in Hindi

  मेरे छोटे बेटे को आश्चर्य पर आश्चर्य देने की आदत है। उसकी पत्नी भी उसका खूब साथ देती है। अचानक झोली में आन पड़ी खुशियों का भार सँभालना कभी कभी मुश्किल भी हो जाता है। पर इतना अवश्य है कि एक अरसे तक आश्चर्य के सम्मोहन से रोम -रोम पुलकायमान रहता है।   मुझे अच्छी तरह … Read more

आखिर माँ जो हूँ – सुधा भार्गव : Moral Stories in Hindi

मैं अपने छोटे से परिवार में बहुत खुश थी। एक बेटा 17 वर्ष का व बेटी 10 वर्ष की  जो अपने भाई पर जान छिड़कती थी । सब अपने –अपने कार्यों के प्रति सजग और शांत ।  पिछले कुछ दिनों से शहर मे पाकिटमारी के एक गिरोह की चर्चा हो रही थी । जिसमें ज़्यादातर … Read more

दिमाग की खिड़कियाँ – सुधा भार्गव : Moral Stories in Hindi

“रानी ओ रानी …अरे  कहाँ ग़ायब हो गई।”  गहरी सांस  लेने के बाद फिर कर्कश आवाज —”  “अरी कान में तेल डाल कर बैठी है क्या !लगे निगोड़ी को  सुनाई देना ही।बंद हो गया है।”  “माँ  चिल्लाओ मत। सोमवार को मेरी परीक्षा है मुझे बहुत काम  है।”   “परीक्षा गई तेरी भाड़ में ।अपनी किताब समेट!भर  … Read more

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