तिरस्कार कब तक? – सुदर्शन सचदेवा : Moral Stories in Hindi

काली है ! लेकिन संस्कारी है! गौरी होती तो , कितनी सुंदर दिखती ! शादी मुश्किल है- रंग थोडा़ हलका होता तो जल्दी बात बन जाती  | सुनते सुनते माया बड़ी हुई है , नाम से कोई नहीं पुकारती, बस कोई कोयल कोई काली कमली बुलाती हैं | पर वो हंसती है सिर्फ दिखाने के … Read more

ऋण चुकाना ! – सुदर्शन सचदेवा : Moral Stories in Hindi

अर्जुन एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता था | दिन रात मेहनत करके उसको प्रमोशन  भी मिल गया | उसकी तरक्की देखकर उसके माता पिता  खुश होते और आशीर्वाद देते | माता पिता  अकेले गांव में रहते थे |  धीरे धीरे अर्जुन काम में इतना व्यस्त हो गया कि मां पापा से बात करना कम … Read more

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