दरवाजा ध्यान से बंद करना – श्वेता अग्रवाल
“मम्मा खजला(चावल के पापड़) दो ना।” अंशुल अपनी मम्मा रीमा से कह रहा था। “खजले नहीं है,अंशुल। खत्म हो गए हैं।” “मुझे नहीं पता। मुझे तो खजला खाना है। दादी ने इतने सारे खजले तो दिए थे।” अंशुल जिद करते हुए बोला। “हाँ,दिए तो थे पर दिन में तीन- तीन बार ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर सब … Read more