नज़र का चश्मा – शुभ्रा बैनर्जी

“अरे वाह!बहन जी,आपने तो कमाल कर दिया।अपने इकलौते बेटे के लिए ऐसी बहू चुनकर लाईं हैं,कि बुढ़ापा तर जाएगा आपका।दिखती तो बड़ी भोली हैं आप,पर बहू के मामले में आपने बाजी मार ली।अरे ,हमने भी ऐसी ही बहू के सपने देखे थे,पर क्या करें?सब किस्मत की बात है।”  सुमित्रा जी को अपनी बेटी की सास … Read more

परिचय – शुभ्रा बैनर्जी

“सुशीला ,वाह!!!क्या कचौरियां बनाईं हैं तुमने।मुंह में डालते ही मानो घुल गईं।अब हम समझे,कि तुम हमारी तरह होटल में किटी पार्टी क्यों नहीं करती।अरे,जब इतने कम पैसों में घर में ही खाने की व्यवस्था हो जाती है, तब फालतू में पैसे बहाने की क्या जरूरत?मानना पड़ेगा भई तुम्हें।आम के आम ,गुठलियों के दाम।” पिंकी की … Read more

राधा स्वामी सदन – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

“राधा !ओ राधा, कभी तो एक बार में सुन लिया करो।चालीस साल हो गए हमारी शादी को।दुनिया कहां से कहां पहुंच गई, पर तुम जैसी की तैसी रह गई।एक तुम्हीं चलाती हो गृहस्थी इस दुनिया में।कमाल है भई।”  राधा को पति का यूं चिढ़कर ताने मारना बड़ा भाता था। जानबूझकर सुनती नहीं थी एक बार … Read more

मैं भगोड़ा नहीं – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

आज अदालत में नितिन और रोमी के केस की सुनवाई थी।रोमी की तरफ से पति और ससुराल के ऊपर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था।एक मध्यम वर्गीय परिवार के इकलौते बेटे ने, शादी के समय कभी सोचा भी नहीं था कि कुछ ही महीनों में उसके परिवार को यह दिन भी … Read more

मंझली बहू – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

चार बेटों की मां,मुग्धा देवी कठोर अनुशासन प्रिय महिला थीं।उनकी मर्जी के बगैर घर में पत्ता भी नहीं हिलता था।पति के जाने के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी बड़े बेटे शुभ के कंधों पर आ गई थी।अपनी कमाई से ही संयुक्त परिवार का खर्च वहन करता था वह।मंझले बेटे के साथ गुरु दर्शन को गईं,मुग्धा … Read more

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