मोह का अटूट बंधन – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 96

पूरे एक साल के बाद अर्पिता आ रही थी मायके,बेटी(रितु) के संग।आने की जानकारी देते हुए फोन पर बताया था अर्पिता ने रीना को”भाभी,रितु के साथ आ रहीं हूं मैं।चार दिन रुकेंगें हम।वापसी में मां को भी अपने साथ लेकर आऊंगी।अब तो अच्छी तरह चल लेती हैं वो।रितु ने पिछले साल वादा ले लिया था … Read more

समझदार बच्चे,नासमझ मां – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 87

राखी की हम उम्र ननद (सुजाता) ने फोन पर बताया कि वह अपनी बेटी के साथ आ रही है।राखी की शादी के समय वह कुंवारी थी।ससुराल में आकर वही एक सच्ची सहेली बनी थी।राखी और सुजाता की खूब पटती थी। ससुराल में सास-ससुर और पति के साथ सामंजस्य बिठाने में,सुजाता ने अपनी भाभी की बहुत … Read more

समझदार मां – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T104516.742

रघु को रति बहुत पसंद आई थी। इंस्टाग्राम पर परिचय हुआ।सुंदरता के साथ-साथ कुशाग्र बुद्धि की भी धनी थी,रति। ग्रेजुएशन में चार गोल्ड मिले थे, यूनिवर्सिटी से।पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद अच्छी कंपनी में नौकरी कर रही थी।रघु भी इंडियन नेवी में पोस्टेड था।परस्पर परिचय होने पर दोनों ने महसूस किया कि वे एक दूसरे को … Read more

भरोसे के आंसू – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 44

उम्र चेहरे पर झुर्रियां ला सकती है,काया ढीली कर सकती है, नज़र कमजोर कर सकती है,पर आंखों में छिपे आंसुओं को खत्म नहीं कर पाती।ये आंसू सिर्फ खुशी या दुख के नहीं होते,बल्कि भरोसे के भी होतें हैं। ख़ुद पचास पार कर चुकी ,शुभा को ही अब जल्दी थकान होने लग रही थी।ज्यादा काम पड़ … Read more

महिला -दिवस – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T211239.414

बड़े चाव से अपने इकलौते बेटे मनुज के लिए मानसी को पसंद किया था,सुषमा ने।देखने में सुंदर,और सजातीय तो थी ही, पढ़ी-लिखी भी थी।मानसी की चंचलता ने मन मोह लिया था सुषमा का।मनुज ने तो पहले ही कह दिया था”देख -परख कर आप ही लाना अपनी बहू।बाद में मुझे ना घसीटना दोनों की कलह में।मुझे … Read more

कुंभ की यात्रा का सौभाग्य – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T104905.495

शुभा पिछली बार अर्ध कुंभ स्नान का पुण्य प्राप्त कर चुकी थी।पति की तबीयत ठीक नहीं थी,तब। कॉलोनी में रहने वाली राठौर भाभी से बातों-बातों में जाने की इच्छा जाहिर की थी शुभा ने।अगले ही हफ्ते टिकट बुक हो गया था उसका उनके परिवार के साथ। प्रयागराज दर्शन के साथ-साथ काशी विश्वनाथ जी के दर्शन … Read more

पति के जाने का दुख साझा होता है – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 36

चार साल होने वाला था कल अमित को गए।भाग्य की विडंबना थी कि अमित की लाड़ली छोटी बहन के पति भी पिछले साल चल बसे हार्ट अटेक से। छोटी ननद ने फोन पर बताया था” भाभी,जीजाजी नहीं रहे।”सुनकर सन्न रह गई थी सुमन।दिल की बीमारी तो थी उन्हें,पर इतनी जल्दी चलते-फिरते चले जाएंगे,सोचा नहीं था … Read more

आंख से गिरना – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 40

मधु के बेटे की नई -नई शादी हुई थी।शादी का सारा इंतजाम नमिता(,बेटी),ने किया था। निमंत्रण पत्र से लेकर बग्गी,कपड़े, मेकअप,खाना सब नमिता अपनी देखरेख में बनवा रही थी।आखिर उसके इकलौते दो साल बड़े भाई की शादी जो थी।मधु सारा दिन नमिता -नमिता करती रहतीं,और नमिता मिनटों में सब काम निपटा रही थी।घर की पहली … Read more

सम्मान – शुभ्रा बैनेर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T211239.414

आज विधि की शादी तय हुई थी।रागिनी अपनी बेटी की शादी तय होने की खुशी में ,एक बड़ी पार्टी देना चाहती थी।आखिर सहेलियों को भी तो पता चले। पार्टी की बात सुनकर विधि ने तपाक से पूछा”पापा को बुलाएंगी ना आप?”तिलमिला उठी थी रागिनी। झिड़कते हुए कहा “पापा,पापा बस पापा।तुझे मुझसे कोई मतलब ही नहीं … Read more

प्रेम में लांछन ना लगे – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 96

नित्या का मन किसी काम में नहीं लग रहा था। रह-रहकर सिद्धांत की याद आ रही थी। कहने को कह तो दिया था कि अब कभी बात ना करे,पर उसके मैसेज का इंतजार भी किया कल पूरा दिन। कुछ दिनों की ही जान- पहचान थी,वो भी औपचारिक।उसकी चार पंक्तियों की शायरी पढ़कर बड़ा अच्छा लगता … Read more

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