संकल्प – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi
सप्तपदी का मुहूर्त आधी रात के बाद ही था।परी बहुत थकी लग रही थी।नींद से बोझिल आंखें से जब भी मुझपर पड़तीं,वही सवाल पूछतीं।नज़रें चुराकर कहीं और देखने लगता। बार-बार घड़ी देख रहा था,तभी शशांक के पिता जी ने आकर कंधे पर हांथ रखकर कहा”संकल्प जी, घबराहट हो रही है?मैं समझ सकता हूं। मैंने भी … Read more