नज़र का चश्मा – शुभ्रा बैनर्जी
“अरे वाह!बहन जी,आपने तो कमाल कर दिया।अपने इकलौते बेटे के लिए ऐसी बहू चुनकर लाईं हैं,कि बुढ़ापा तर जाएगा आपका।दिखती तो बड़ी भोली हैं आप,पर बहू के मामले में आपने बाजी मार ली।अरे ,हमने भी ऐसी ही बहू के सपने देखे थे,पर क्या करें?सब किस्मत की बात है।” सुमित्रा जी को अपनी बेटी की सास … Read more