बड़ों का साया – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

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हर्षा नाम के अनुरूप एक बहुत ही मस्त , खुश रहने वाली, सौम्य साधारण नैन-नक्श गेहूंआ रंग की संस्कारी लड़की थी।उसका ये मस्त स्वभाव ही उसकी मम्मी की चिन्ता कारण था। जैसे -जैसे वह बड़ी हो रही थी उनकी चिंता यह सोचकर बढ़ रही थी कि ससुराल में कैसे निभा पायेगी। सामने वालों को यदि … Read more

अपना सम्मान कराना भी एक कला है – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

दिव्या एवं प्रियंक बचपन से अपनी मां को दादी,बुआ एवं पापा द्वारा प्रताड़ित होते देख बड़े हुए थे। पापा बहुत अधिक गुस्सेल एवं पुरुषोचित दंभ से  भरे हुए थे। उनके सामने मम्मी का व्यक्तित्व बहुत ही बौना था।एक स्त्री एवं उनकी पत्नी होने से उनका अस्तित्व, पहचान सिर्फ पापा से ही थी। पापा की पत्नी, … Read more

एक था नंदू……… – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

नंदू एक बरह बारह वर्षीय सातवीं कक्षा का छात्र था।वह मेहनती मेधावी अनुशासनप्रिय था।हमेशा कक्षा में प्रथम आता था जवकि  वह  साधनों के अभाव में पढ़ाई कर रहा था कारण वह निर्धन परिवार से था। उसकी मां दूसरों के घरों में झाड़ू पोंछा करके उसे पाल रही थी। उसका पिता शराबी था जो मेहनत मजदूरी … Read more

मोहभंग – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

रागी एक सुन्दर मेधावी सर्व गुण संपन्न छात्रा थी इसी कारण वह स्कूल, कॉलेज में टॉपर रहती आईं थी। कॉलेज में अन्य गतिविधियों में भी वह बढ़-चढ़कर भाग लेती और कई ईनाम एवं शील्डस उसके कमरे की शोभा बढ़ा रहे थे।वह बहुत ही मिलनसार,सरल स्वभाव की थी एवं अपने साथीयों की मदद करने को तत्पर … Read more

अन्त हीन जिम्मेदारीयां – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

सुनो मीता मैं एक बात सोच रहा हूं कि मेरी सेवा निवृत्ती में केवल दो ही बर्ष शेष हैं फिर सारा समय हमारा ही होगा। खूब घूमेंगे फिरेंगे जीवन भर की कमी पूरी करेंगे। अभी तक तो हम अपने लिए जी ही कहां पाए। शादी के बाद पहले भाई-बहन की जिम्मेदारी मेरे ही कंधों पर … Read more

जुड़ाव से अलगाव तक – शिव कुमारी शुक्ला    : Moral Stories in Hindi

माधवी जी अभी अभी अपनी भतीजी यानी कि जेठजी की लड़की की शादी  से लौटीं थीं। उनका मन बड़ा ही खिन्न था कारण वहां पर जो व्यवहार उनके एवं उनके परिवार के साथ किया गया वह अत्यंत दुखद एवं नकारात्मक था।परायों की तरह किया गया व्यवहार उन्हें अन्दर तक कचौट गया। उनका घर करीब पन्द्रह … Read more

बेटी बना कर रखूंगी – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

कहते हैं  ताली एक हाथ से नहीं बजती, दोनों हाथों का उपयोग करना जरूरी होता है ठीक वैसे ही सिर्फ बहू से ही बेटी बनने की उम्मीद करना एक असफल प्रयास है क्योंकि जब तक पूरा परिवार उसे बेटी नहीं  मान लेगाऔर बेटी के समान ही उससे व्यवहार नहीं करेगा तब तक बहु-बहु ही रहेगी … Read more

गंतव्य की ओर बढ़ते कदम – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

शालिनी  बैठी  सोच रही थी कि कबतक मैं इसी तरह मार खाती रहूंगी। कब तक सहन करूं ।आज पीटने की इन्तहा हो गई करीब एक घंटे तक लात-घूंसे बरसाता रहा। फिर भी मन नहीं भरा तो बेल्ट उठा ली। अब शरीर मार खा खा कर थक चुका है। और शक्ती नहीं रही यदि इसी तरह … Read more

आजादी – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

मिहिर दो  भाई एवं एक बड़ी बहन से छोटा होने के कारण वह सबका लडला था  खासतौर से दादी के तो उसमें प्राण बसते थे।सो ज्यादा  लाड प्यार पाकर वह कुछ जिद्दी हो गया। अपने मन की करता किसी  की नहीं सुनता। पाढ लिख गया एक अच्छी में एम एन सी मैं साफ्टवेयर इंजिनीयर की … Read more

बेटी बनाम बहू – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

यदि हर सास अपनी बहू को एक साधारण इंसान समझ ले जिसको दर्द होता है,थकती है, भूख-प्यास लगती है,कड़वी बातों से उसका स्वाभिमान  चोटिल होता है, वह भी हाड मांस की बनी इंसान है कोई रोबोट या मशीन  नहीं जो केवल चौबीस घंटे काम करती  रहेगी।सुबह पाँच बजे से उठकर रात ग्यारह  बजना तो मामूली … Read more

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