अनमोल उपहार – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

सीमा क्या आजकल तुम्हारे स्कूल में छुट्टियां चल रही हैं तुम रोज मम्मी के साथ आ रही हो स्कूल नहीं जाती क्या। यह सुन सीमा की आंखें डबडबा आईं और कुछ नहीं बोली। अरे बोल क्यों नहीं जाती क्या हुआ। सीमा जोर -जोर हिचकियां ले रोने लगी। रागीनी जी घबरा गईं ये क्या हुआ इसे … Read more

समाधान – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

अरे केशव आ ना आज बहुत बहुत दिन बाद आया सब ठीक तो है न। तेरे चेहरे पर इतनी उदासी ,क्या हुआ है। अरे रे एक साथ इतने प्रश्न अर्जुन जरा मुझे सांस तो लेने दे।मन उदास था तो अपने मित्र की याद आ गई सोचा चलो चलकर उसी के पास अपना मन हल्का कर … Read more

एक प्यारी सी ननदिया – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

मम्मा अब तो कंट्रोल नहीं हो रहा ऐसा लगता है कि जल्दी से उड़कर आपके पास पहुंच जाऊं। सलोनी को देखने की , उससे मिलने की इच्छा तीव्र हो रही है पर क्या करुं बच्चों की परीक्षा, अंकित का प्रोजेक्ट। खैर मम्मा पंद्रह दिनों की बात और है फिर सब खत्म हो जाएगा और हम … Read more

अधूरी चाहत – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

शाम के छः बजे थे, फरवरी का महीना था। हल्की-हल्की गुलाबी ठंडक वातावरण में मौजूद थी क्योंकि ठंडी हवा भी चल रही थी, किन्तु इतनी ठंडक सुहानेवाली थी। आलोक जी एवं सुनयना जी घर के सामने ही बने छोटे से बगीचे में बैठे चाय का आंनद ले रहे थे। दोनों बेटे कोचिंग गये हुए थे। … Read more

पत्नी के विश्वास को टूटने नहीं दूंगा – शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

ऑफिस से लौट कर विनय जैसे ही घर में घुसा कि मां की चिल्लाहट सुनकर वहीं ठिठक कर खड़ा हो गया। मां जोर-जोर से चिल्ला कर साक्षी को बेइंतहा लताड़े जा रहीं थीं और साक्षी चुपचाप सिर झुकाए खड़ी थी उसकी आंखों से आंसू निकल गालों पर बह रहे थे।अरी करमजली मेरी ही मति पर … Read more

बड़ी बहू कर्म से – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

कला ऐसा करना। कला शादी का सामान कहां रखवाया है। कला गेहूं कहां रखवाये। कला मसाले तैयार हुए कि नहीं। ऐसे ही अनगिनत काम जिनके लिए कला का नाम ही परिवार में गूंजता रहता। कला जन्म पद से बड़ी बहू नहीं थी किन्तु अपनी चंट चतुराई एवं कार्यो के प्रति सजगता, कर्मठता एवं अच्छी सोच … Read more

वीरान बगीया – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

अभी आधा घंटा ही हुआ था टैक्सी को रवाना हुए जिसमें रोहन,शिवि, दोनों बच्चे  रोहित एवं शुभि के साथ बैंगलोर के लिए निकले थे। उनके जाते ही घर में मौत का सा सन्नाटा पसर गया। मनोहर जी एवं विभा जी अकेले रह गए।विभा जी का तो रो रोकर बुरा हाल था। उनकी हिचकियां थीं कि … Read more

बेटे की चाहत – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

विधी एक के बाद एक तीन बेटियो की मां बन गई।तीसरी बेटी के जन्म के समय वह जरूर मायूस हुई कि भगवान एक तो बेटा दे देते जो मेरा परिवार पूरा हो जाता खैर जैसी तेरी इच्छा प्रभू जो दिया वह सहर्ष स्वीकार है और वे मनोयोग पूर्वक अपनी तीनों परियों सी सुंदर बेटियों के … Read more

क्या खोया क्या पाया – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

आज मैं अपने अतीत की गलियों में घूम रही थी। बचपन से लेकर आज साठ वर्ष की आयु तक का सफर चलचित्र की भांति मेरे मानस पटल से गुजर रहा था।आज मैं सोचने को मजबूर थी कि मैंने जीवन में क्या खोया क्या पाया अपने अंहकार के वशीभूत होकर। मैं एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार की … Read more

बेटों का फरेब – शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

रामप्रसाद जी तेल के व्यवसायसी थे और उनका अच्छा खासा जमा-जमाया कारोबार था वे अपनी पत्नी कविता एवं दोनों बेटों अरूण एवं वरूण के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे। दोनों बेटे मानो उनकी दोनों आंखें थे, जिनमें न जाने कितने सुखद सपने संजोए हुए थे। बेटों को लेकर न जाने क्या क्या सपने … Read more

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