विष उगलना – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

वाह श्रेया वाह, मैंने तुम्हें कभी अपनी नन्द की नज़रों से नहीं, अपनी बेटी की नज़र से देखा है।।  माँ जी के गुज़र जाने के बाद तुम्हें उनकी कमी महसूस न हो इसलिए मैंने तुम्हें अपनी बेटी की तरह पाला, सिर्फ 8 बरस की थी तुम जब माँ जी इस दुनिया से चली गई थी।  … Read more

मोहताज – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

आज मैं मोहताज नाम की बेड़ियों से मुक्त हो गई हूँ , आज मैं किसी की मोहताज नहीं रही , न ससुराल की मोहताज और न मायके की।  आज से मैं आत्मनिर्भर हो रही हूँ।  अब कोई मुझे मोहताजगी का ताना नहीं मार पायेगा।   यही सब सोच कर मन ही मन ख़ुशी और उत्साह से … Read more

आंखों से गिरना – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

सुरभि बहुत ही सुंदर और आकर्षक लड़की थी, कोई भी उसे एक बार देखता तो देखते ही रह जाता था। दूध सा सफेद रंग, काले लंबे घने बाल, ऊंचा लंबा क़द, बड़ी-बड़ी आंखें, सुरहीदार गर्दन। ऐसा लगता था जैसे बनाने वाले ने उसे बहुत ही फुर्सत से बनाया है।  सुरभि को इस बात का बहुत … Read more

मम्मा, आप भी गंवार हो – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

निराली के जीवन में आज का दिन एक ऐसा मोड़ ले आया, जिसने उसे भीतर तक झकझोर दिया। उसकी पांच साल की बेटी निशि का जन्मदिन था। घर मेहमानों से भरा हुआ था। हर तरफ हंसी-खुशी का माहौल था। जन्मदिन के केक को काटने का समय आया और सबकी नजरें निशि पर टिकी थीं। निशि … Read more

आवाज़ उठाना – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

आख़िर कब तक चुप रहती निशा , पिछले 25 सालों से चुप ही तो है लेकिन आज उसने अपने पिता के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ आवाज़ उठाई बल्कि अपनी माँ पर उठता हुआ पिता का हाथ भी पकड़ कर झटक दिया। 25 की हो गई है निशा लेकिन आज तक उसने कभी पिता का रूप नहीं … Read more

पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों ??? – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

पापा मेरे प्यारे पापा , आप यहां नहीं हो लेकिन मुझे मालूम है कि आप मेरी हर बात सुन रहे हैं , मेरे दिल में उठते सवालों को आप समझ रहे हैं।  पापा आख़िर क्यों मैं बड़ी हो गई , मुझे फिर से आप की वही छोटी सी गुड़िया बनना है। जिसे आप ऊँगली पकड़ … Read more

अफ़सोस – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

20 साल गुज़र गए लेकिन आज फ़िर से श्यामा को वो दिन याद आ गया जिसका अफ़सोस उसे आज भी है और शायद ज़िंदगी भर अफ़सोस रहेगा।  जो कुछ 20 साल पहले घटा था उसमें श्यामा की गलती नहीं थी लेकिन सबने उसे ही दोषी ठहरा दिया था।  टूट गई थी श्यामा उस हादसे के … Read more

बहती गंगा में हाथ धोना – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

बात उन दिनों की है जब राधिका कॉलेज में पढ़ रही थी, ये उसका कॉलेज का पहला ही साल था। राधिका पढाई में तो होशियार थी ही वो पाक कला में भी निपुण थी। उसके हाथ में जादू था और हर तरह का खाना वो मिनटों सेकेंडों में बना देती थी, जो भी उसका बनाया … Read more

बाबुल। – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

आज शादी का दिन भी आ गया, और अवनि दुल्हन बन कर अपने बाबुल का घर छोड़ कर अजय का हाथ थामकर ससुराल के लिए रवाना हो गई।  जैसे जैसे विदाई की गाड़ी आगे बढ़ रही थी।  ससुराल नज़दीक होते जा रहा था और मायका पीछे छूटता जा रहा था।   अवनि की नज़रों से बाबुल … Read more

उसने बात ही ऐसी की , माँ बाप के आंसू निकल आये – शनाया अहम   : Moral Stories in Hindi

इस बार मयंक और नव्या को अचानक आया देख मानवी जी और निलेश जी की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।  माँ पापा, इस बार हम आप दोनों को यहां से हमेशा के लिए ले जाने आये हैं, हमें वहाँ आप दोनों की कमी बहुत खलती है, इस बार हम आप दोनों की एक नहीं … Read more

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