विष उगलना – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi
वाह श्रेया वाह, मैंने तुम्हें कभी अपनी नन्द की नज़रों से नहीं, अपनी बेटी की नज़र से देखा है।। माँ जी के गुज़र जाने के बाद तुम्हें उनकी कमी महसूस न हो इसलिए मैंने तुम्हें अपनी बेटी की तरह पाला, सिर्फ 8 बरस की थी तुम जब माँ जी इस दुनिया से चली गई थी। … Read more