यह गंवार औरत मेरी मां है – सीमा सिंघी

अरे मनीष बस दो मिनट और रुक जाओ । मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारी ही पसंद के मेथी के पराठे और आलू की सब्जी बनाई है । मुझे आज थोड़ी देर हो गई इसीलिए मैंने अभी तो तुम्हें दही पराठे खिला दिए, मगर अब सब्जी भी लगभग बनकर तैयार हो गई है ।  इसे मैं अभी … Read more

विश्वासघात – सीमा सिंघी :  Moral Stories in Hindi

आज सुबह-सुबह ही घर में नई बहू कायरा का गृह प्रवेश हो चुका था। विवाह के बाद की एक के बाद एक रस्में चल रही थी । घर मेहमानों से खचाखच भरा हुआ था। हंसी ठिठोली का माहौल था। परिवार के सभी सदस्य बहू कायरा को लेकर बहुत खुश थे क्योंकि बला की खूबसूरत थी … Read more

उल्टी पट्टी पढ़ाना – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

हरीश बेटा देख कर आओ, चाची अपने कमरे में क्या कर रही है। उसके मायके वाले आए हुए हैं। जरा सुन के आओ। उनकी आपस में क्या बातें चल रही है। मैं जानती हूं, तुम्हारी चाची और उसके मायकेवाले जितने भले दिखते है। उतने वो है नहीं इसीलिए पता तो रखना ही पड़ेगा।  रमा यह … Read more

आप अपने बेटे के साथ क्यों नहीं रहते – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

सोसाइटी में नई नई रहने आई सुषमा जी से सोसाइटी  की बाकी सब औरतें उनके साथ घुल मिल कर रहने की कोशिश करती मगर उनका अहम शायद उन्हें सबसे मिलकर रहने की  इजाजत नहीं देता था या फिर कुछ ओर बात थी?? यहां तक की वे बातें भी नापतोल कर ही करती थी। शाम के … Read more

आंखें नीची करना – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

  मैं आज सुबह से ही अपने पन्द्रह वर्षीय बेटे साकेत को समझाने में लगी थी! देखो साकेत तुम अपने हर जन्मदिन पर बेवजह ही बेमतलब की चीजों की  फरमाइश करते रहते हो ! हम तुम्हें जितना भी दे दे ! तुम खुश नहीं होते हो । मगर क्या उन बेसहारा बच्चों के बारे में कभी … Read more

झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

आंगन में धूप ने अपने पैर पसार लिए थे। ऐसे भी जाड़े की धूप तन और मन दोनों को ही बड़ी भली लगती है। सुधा जी अपनी छड़ी लेकर दीवार के सहारे से होते हुए आंगन में रखी सोफा पर आकर बैठ गई और अपने पैरों में हल्की-हल्की सरसों के तेल से खुद ही मालिश … Read more

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती – सीमा सिंघी  :  Moral Stories in Hindi

 इतने ऑर्डर आए हुए हैं, मगर यह जूली भी न जाने कहां जाकर बैठ गई है। मशीन पर बैठेगी,तभी तो कपड़े सिलाई होंगे। यूं अपने आप तो नहीं तैयार हो जाएंगे ना,मगर मेरी बात सुने तब तो,इसी तरह बडबडाते हुए जूली की ताई जी शीला जी जूली को ढूंढते हुए उसके कमरे तक पहुंच गई।  … Read more

तिरस्कार कब तक – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

रजत और मनीष दोनों ने साथ साथ ही स्कूल से कॉलेज तक की पढ़ाई पूरी की । रजत के घर में ज्यादा सुविधा न होने की वजह से उसने आगे की पढ़ाई औरंगाबाद रहकर ही जारी रखी मगर मनीष का घर हर तरह से संपन्न होने की वजह से वह आगे की पढ़ाई के लिए … Read more

शुभ विवाह – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

 मुझे आज भी याद है ! जब हमारा रिश्ता पक्का हो चुका था! घर पर विवाह की तैयारियां चल रही थी ! मैं खुश तो बहुत थी मगर आने वाली जिंदगी को लेकर मुझे फिक्र भी लगी रहती थी। मैं यह सोचती रहती थी ! क्या ये वही इंसान है! जिसे मैं अपना दिल और … Read more

अब तो पड़ जाएगी ना तुम्हारे कलेजे में ठंडक – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

 सखियों ये कहानी शुरू होती है एक छोटे से गांव से। जिसमें  बहुत ही छोटे से परिवार में एक बूढ़ी अम्मा और उसके पोते राजू और उसके पोते की बहू धनिया रहते हैं। मैने (अब तो पड़ जाएगी ना तुम्हारे कलेजे में ठंडक ) इस कथन पर दो तरीके से इस कहानी में दादी अम्मा … Read more

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