शुभ विवाह – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

“अब आप कन्या का हाथ वर के हाथ में दीजिए।अब कन्यादान का समय हो गया है। यजमान ,अब आपकी बेटी आपकी नहीं रही किसी और कुल की हो गई है।” पंडित जी ने मंत्र पढ़ना शुरू किया थोड़ी देर बाद मंत्र संपन्न हो गए और विवाह के सभी रस्में संपन्न हो गए तो एक थाली … Read more

ना मां बड़ी ना ममता – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय   : Moral Stories in Hindi

2 साल पहले कोरोना में अमरकांत जी का निधन हो गया था। उसके बाद से उनकी पत्नी की लगभग अकेली ही थी। उनके तीन बेटे थे ,तीनों ही शादीशुदा ।परिवार लेकर अलग-अलग शहर में नौकरी कर रहे थे। जब तक अमरकांत जी जीवित थे तब तक रुक्मणी जी को कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन … Read more

जेनरेशन गैप – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

कई दिनों से अपराजिता का मूड थोड़ा ऑफ था, यह रियाबहुत अच्छी तरह से महसूस कर रही थी। ना जाने क्यों आजकल वह थोड़ी उखड़ी उखड़ी सी रहती है। अपनी आप से मतलब रखती है और काम से काम और कोई बात नहीं। न कोई हंसी मजाक न कोई चुहल । न जाने क्यों उसकी … Read more

ठूंठ में जीवन बाकी है – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

शाम ढलने लगी थी। सूर्य देव अस्ताचल की ओर धीरे-धीरे अग्रसर हो रहे थे। आसमान शांत था ।पक्षियों का झुंड कोलाहल करते हुए अपने घोंसले की ओर बढ़ता जा रहा था। सब कुछ प्रकृति के नियमानुसार ही घट रहा था सिर्फ एक उन्हें छोड़कर। प्रकृति न जाने क्यों उनके ऊपर कुपित हो गई है ? … Read more

बड़ी बहू – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

जब सुजाता अपने पति राघव के नाम का सिंदूर और अपने पति के साथ ससुराल में कदम रखा था तो जानकी जी यानी उनके सासु मां ने  उसकी आरती उतारते हुए कहा था” सुजाता बहू बहुत-बहुत स्वागत है तुम्हारा इस घर में।। इस घर की बड़ी बहू हो तुम , याद रहे अपनी जिम्मेदारी समझना … Read more

जुड़ गई डोर आखिरकार – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

डॉक्टर नीला अपनी गाड़ी से उतरी और तेजी से अस्पताल की तरफ बढ़ने लगी। सुबह ही अस्पताल से फोन आया था” एक पेशेंट बहुत ही सीरियस हालत में भर्ती कराया गया है ,तुरंत ही आकर उसे देख लीजिए।” यह सुनकर उसने अपना ब्रेकफास्ट अधूरा छोड़ा और भागी भागी अस्पताल के लिए निकल गई । फोन … Read more

पैसे का गुरूर – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

अभी अपनी बेटी के हाथ पीले किए हुए दो महीने भी नहीं बीते थे कि सुधाकर जी की नौकरी पर आंच आ गई थी। आर्थिक मंदी ने सुधाकर जी की नौकरी में भूचाल ला दिया था । जो बड़े सैलरी वाले थे उन पर तो कोई खतरा नहीं था मगर जो मध्यम आमदनी वाले थे … Read more

कुंभ स्नान – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय  : Moral Stories in Hindi

“मां पापा, मैंने टिकट आरक्षित करवा लिया है। हम सभी कुंभ चल रहे हैं !”  “मगर बेटा वहां तो बहुत ठंड होगी ना और फिर तुम्हें तो पता है कि हम लोगों को कितनी जल्दी ठंड लगती है बगैर होटल के रहना मुश्किल बगैर गाड़ी के चलना मुश्किल तुम्हारा बहुत खर्च हो जाएगा।” “पापा आप … Read more

दूरदर्शिता – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय  : Moral Stories in Hindi

शाम के साढ़े सात बजे रहे थे,दिवाकर जी अभी तक घर नहीं लौटे थे। “न जाने कितना काम करने में मन लगता  है इन्हें! जिंदगी भर तो काम करते ही रहे, अब रिटायरमेंट के बाद भी चैन नहीं!”  अनुराधा जी बड़बड़ाते हुए बार-बार ड्राइंग रूम से बाहर निकल सड़क पर झांकती और फिर अंदर लौट … Read more

घर की इज्जत – सीमा प्रियदर्शनी सहाय : Moral Stories in Hindi

आलोक जी गुस्से से लाल हो रहे थे ।उनकी इकलौती बेटी आखिर इतना कुछ बोलने की हिम्मत कैसे कर सकती है कि उसे ऋषि पसंद है! आज सुबह जब उन्होंने अपने बेटी को अपनी पत्नी के साथ बातचीत करते हुए सुन लिया था। आयुषी को एक दो बार उन्होंने ऋषि के साथ देख लिया था। … Read more

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