मेरी भाभी – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

ग्रेजुएशन के लिए जब मैं 12वीं के बाद कॉलेज में आई तो पहले ही दिन सुगंधा ने मुस्कुराते हुए मुझे मेरे सामने अपने हाथ फैला कर कहा “मैं सुगंधा और तुम?” “ नेहा !”मैं ने अपना परिचय देते हुए कहा। उसकी मुस्कुराहट बड़ी ही प्यारी लगी थी।मैं थोड़ा घबराई हुई थी क्योंकि स्कूल से निकलकर … Read more

छोटा बड़ा कुछ भी नहीं होता – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

आज दुकान में कावेरी बैठी हुई थी, अपनी मां की जगह।वह लोगों को कपड़े सिल भी रही थी और कस्टमर के सिले कपड़े दे रही थी। तभी वहां एक कार आकर रुकी और उसमें उसकी क्लासमेट रोहिणी उतरी। “ मैंने चार दिन पहले यहां पर  कपड़े दिए थे सिलने के लिए वह हो गए क्या?” … Read more

ममता का रिश्ता – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

सुधाकर जी ने अपने रिटायरमेंट से पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह रिटायर होने के बाद अपने पैतृक आवास में ही जिंदगी के बाकी दिन गुजारेंगे। इस बात से किसी को कोई आपत्ति भी नहीं थे।उनकी पत्नी मिनाक्षी को भी इस बात पर खुशी थी कि अब वे लोग अपने गांव अपने घर … Read more

आखिरी फैसला – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

अपनी आंखों में आंसू भरकर नंदिनी अपने बिस्तर पर बैठी हुई थी…संज्ञा शून्य सी!! ऐसा लग रहा था कि उसके शरीर के सारे रक्त सूख गए हैं ।उसका दिमाग भन्ना रहा था । कई बातें उसके दिमाग और मानस पटल पर दौड़ रही थीं । “क्या करूं मैं ?अपने माता-पिता को क्या जवाब दूंगी मैं?” … Read more

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