भगवान थोड़ी जिंदगी और दे दो – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

अस्पताल के बेड पर पड़ी हुई रागिनी जी की आंखों से आंसू की बूंदे निकलकर तकिये को भिगो रही थीं… । अपनी बिमारी से ज्यादा पति और बेटे की बेबसी उन्हें खल रही थी। बिना किसी औरत के घर संभालना कितना मुश्किल होता है ये बात सब समझ रहे थे। दोनों का उतरा हुआ चेहरा … Read more

मां हम बहनों के शगुन में भेदभाव क्यों! – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” आ गई बेटा .….. बड़ी देर कर दी आज!!” मनोरमा जी अपनी छोटी बेटी गीता को देखकर खुश होते हुए बोलीं। ” हां मां, वो मेरी ननद भी आ गई थी ना आज राखी बांधने…. इसलिए निकलने में देर हो गई। ….. भईया भाभी कहां हैं??? और दीदी आ चुकी क्या राखी बांधने के … Read more

माँ जी, क्या ससुर जी को भी आपने पाल पोसकर बड़ा किया है?? – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

कोमल शुरू से ही संयुक्त परिवार में रहती आई थी और चाहती थी कि उसे ससुराल भी ऐसा ही मिले । जब उसके लिए रमन का रिश्ता आया तो उसके परिवार के बारे में सुनकर कोमल खुश थी ।कोमल को उसकी इच्छा अनुसार भरा पुरा ससुराल मिला था । ससुराल में सास तनुजा जी, ससुर … Read more

आखिरी फैसला – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

 ” क्या हुआ बेटा, चल ना अंदर ,,  अंजलि के पैर घर की देहरी के बाहर ठिठक गए तो उसकी मां रमा जी ने उसके हाथ को कस के पकड़ लिया और बोली, ” चल बेटा… तूं किसी बात की फ़िक्र मत कर.. तेरी मां तेरे साथ है …. सबके सवालों का जवाब मैं दूंगी… … Read more

पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों? – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

  ” माँ.., , प्लीज जाने दो ना। मेरी सारी फ्रैंड्स जा रही हैं मूवी देखने । ,,  ” नहीं कोई जरूरत नहीं है…. सारा दिन बच्चों की तरह उछलती- कूदती रहती है…. थोड़ी तो बड़ी हो जा अब ।,,  ” क्यूँ सारा दिन मेरी बच्ची को डांटती रहती हो । अभी अपने मन की नहीं … Read more

“हंसती बहू, मुस्कुराती सास”- सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

सीमा अपने घर के आंगन में बैठी थी, और पास ही काकी अपने कुछ पुराने किस्से सुनाने में व्यस्त थीं। सीमा का ध्यान हाल ही में घर में आए बदलावों पर था। बहू के आने के बाद से घर में मानो रौनक सी आ गई थी। पहले जहां हर कोना खामोश सा रहता था, अब … Read more

आधा गुस्सा तो पेट भरने से ही खत्म हो जाता है – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

सास के कमरे से जोर जोर की आवाजें आ रही थीं। ससुर रमेश जी अपनी पत्नी सरिता जी पर जोर जोर से चिल्ला रहे थे। सरिता जी भी उन्हें जवाब दे रही थी और बाहर खड़ी उनकी बहू नेहा डर से कांप रही थी। नेहा ने अपने मायके में कभी इस तरह मम्मी पापा को … Read more

मां तुमने ये खाना कैसे खा लिया! – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” क्या मां,आज आपने फिर ये दाल बना दी…. मुझे नहीं खाना ये खाना … ,, गुस्से में प्लेट सरकाते हुए कुशाल चिल्लाया। ” बेटा, दाल खाना अच्छा होता है । आज मैंने अच्छा सा तड़का भी लगाया है तू चख कर तो देख। ,, गीत मनुहार करते हुए बोली। “नहीं मां, मैं बिलकुल नहीं … Read more

मैं तो बस मां की इच्छा बता रही हूं। – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

शकुन्तला जी बिलकुल जीर्णावस्था में आ चुकी थीं । सभी ने उनके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी । बस अब किसी भी वक्त भगवान के घर से उनका बुलावा आ सकता था । उनके दोनों बेटे, बहुएं और पोता पोती सब आखिरी वक्त उनकी सेवा में लगे थे। उनकी बेटी अंकिता भी अपनी माँ … Read more

मुझे तो उलाहने सुनने ही हैं… फिर आपका भी नुकसान क्यों होने दूं .. – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” देख, ये फल लाया है तेरा भाई… हम क्या ऐसे सड़े हुए फल खाएंगे!! और ये मिठाई ….. तुम्हारे मायके में ऐसी मिठाई खाते होंगे हमारे यहां तो नौकर चाकर भी ना खाएं ….. अरे औकात नहीं बेटी को देने की तो ले कर ही क्यों आते हैं ….. इस बार अपने भाई से … Read more

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