अहसास – सरिता गर्ग ‘सरि’ : Moral Stories in Hindi

  कैसा खूबसूरत था वह दिन जब धरती का चाँद अपनी धड़कनें समेटे मेरे आँगन में उतरा था , मगर मेरा दुर्भाग्य मुझसे दस कदम आगे चल रहा था। मैं नहीं जानता था सुख के मुट्ठी भर पल ही  मेरे हिस्से में आने हैं।                  तुम मुझे छोड़ कर चली गईं। लाल साड़ी में लिपटा तुम्हारा निष्प्राण … Read more

वो कुछ पल का साथ – सरिता गर्ग ‘सरि’ : Moral Stories in Hindi

यह कैसी सुबह आई जो मुझ पर विपदा का पहाड़ तोड़ गई। जोर से दरवाजा पीटे जाने की आवाज से मेरी नींद खुली । रात को देर तक पीहू के साथ चैट की थी, सुबह जल्दी नींद नहीं खुली थी हड़बड़ा कर दरवाजा खोला तो सामने मेरा दोस्त निहाल घबराया सा खड़ा था। उसने अटकते … Read more

और फिर अंधेरा सिमट गया – सरिता गर्ग ‘सरि’ : Moral Stories in Hindi

वक्त के थपेड़े खाती नदीम की टूटी कश्ती सी जिंदगी ,निरुद्देश्य बही जा रही थी।जीवन में उत्साह ,उमंग कुछ भी तो नहीं था। कभी कभी  नियति इंसान के साथ कितना क्रूर मजाक कर देती है।           नदीम कोमल हृदय का भावुक इंसान था। पड़ोस में ही माँ की एक सहेली थी, जो काफी बीमार थी। अपने … Read more

हीरे की कनी – सरिता गर्ग ‘सरि’ : Moral Stories in Hindi

अधरों पर निर्झर सी मुस्कान भरे, चंचल हिरणी सी कुलांचे भरती ,कौन जाने कब,कहाँ से प्रकट हो जाती और सब उसे देखते रह जाते। जाने कैसा वशीकरण था उन आँखों में , सीधी दिल में उतर जाती और उसके आकर्षण में बंधे सब उसके गुलाम हो जाते।   वह झरनों का संगीत थी ,बहती धारा थी, … Read more

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