तिरस्कार अब और नही – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” तुम होती कौन हो मुझे रोकने वाली मुझे जो करना है वही करूंगा !” पांच साल के आदित्य के मुंह से ये शब्द सुन सकते मे आ गई निशा। ” क्या बोल रहे हो ये मम्मा से ऐसे बात करते है क्या ? कहाँ से सीखे हो ये सब ?” निशा बेटे को डांटते … Read more

 जीवनसाथी – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” आप दोनो का शुभ विवाह सम्पन्न हुआ अब आप पति पत्नी है , अपने सभी बड़ो से आशीर्वाद लीजिये !” विवाह सम्पन्न कराते हुए पंडित जी वर वधू पर पुष्प वर्षा करते हुए बोले । पर नित्या जो अभी अभी राज की पत्नी बनी थी वो तो जैसे वहाँ होकर भी वहाँ नही थी … Read more

 एक थाली खिचड़ी – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

वो प्रायश्चित करना चाहता है उस गलती के लिए जो उससे अनजाने में हुई है । वैसे तो कहते हैं अनजाने में हुई गलती को भगवान भी माफ कर देते है पर क्या खुद का जमीर माफ करता है जी हाँ कुछ गलतियां ऐसी होती है जिन्हें शायद भगवान माफ कर दे पर अपना जमीर … Read more

 ” तकदीर ” – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” तकदीर “ ” मम्मी मुझे माफ कर दो आज के बाद ऐसा नहीं होगा !” ग्यारह साल का दक्ष रोते हुए अपनी मां निशा से बोला। ” नहीं आज तुम्हे सबक मिलना जरूरी है इसलिए आज तुम चुपचाप यही बाहर खड़े रहो !” निशा आंख में आंसू पर चेहरे पर गुस्सा लिए बोली । … Read more

मन की गाँठ खुल गई – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“मां मन को मार के खुश नहीं रहा जा सकता ये बात समझो तुम!” श्वेता अपनी मां शैलजा जी से बोली। ” तो मैं कौन सा उसका मन मार रही हूं। जो चाहती वो कर तो रही!” शैलजा जी तुनक कर बोली। ” ये मन मारना ही तो है मां … भैया को ऑफिस से … Read more

पछतावा : संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

आज विवेक बहुत गुस्से मे था उसे खुद नही समझ आ रहा था वो गुस्से मे क्या कर जाये । पत्नी की अय्याशी के ढेरों किस्से सुने थे उसने पर कानो सुनी बातों पर विश्वास करने वालों मे विवेक नही था उसने हमेशा सुनी सुनाई बातों को एक कान से सुन दूसरे से निकाल दिया … Read more

 ससुराल – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“सुनयना मिताली दीदी ने अपनी तृप्ति के लिए एक रिश्ता बताया है !” विशाल जी घर में आते ही अपनी पत्नी से बोले। ” देखिए अगर आपको लगता है घर परिवार अच्छा है तो आप आगे बात कीजिए शादी तो हमे तृप्ति की करनी ही है ना!” सुनयना जी पानी लाते हुए बोली। ” बाकी … Read more

 ” एक परिवार ऐसा भी ” – ​संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

पति की मृत्यु के बाद स्मिता अपने दो बच्चो को अपने अंक मे भरकर फूट फूट कर रो रही थी । ” मिट्ठू के पापा क्यो छोड़ कर चले गये हमें अब कौन हमारा सहारा बनेगा , क्या होगा कैसे होगा !” ” बेचारी स्मिता भरी जवानी मे विधवा हो गई , कैसे पालेगी वो … Read more

क्या सच मे हम इंसान है ? – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

नमन की नई नई नौकरी लगी थी सुबह सुबह जल्दी उठ उसने सफ़ेद कमीज और काली पेंट पहनी साथ मे काली टाई भी लगाई । माँ के दिये नाश्ते को करके वो जल्दी से बस स्टॉप की तरफ भागा।  ” शुक्र है बस निकली नही !” खुद से बोलता वो जल्दी से बस मे चढ़ा … Read more

क्योकि मैं अब माँ हूँ – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“मम्मा मै कपड़े कहां बदलूं ?” बुआ के यहां शादी में आईं बारह साल की श्रीति अपनी मम्मी स्नेहा से पूछती है। ” बेटा यहां सब औरतें ही तो हैं और सब यहीं बदल रहे तुम भी यहीं बदल लो ना अब कोई और कमरा नहीं है यहां शादी का घर है बेटा समझो बात … Read more

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