अपना अस्तित्व – संगीता अग्रवाल

“कमला आज रागिनी की पसंद का खाना बनाना तुम!” राज अपनी घरेलू सहायिका से बोला। ” पर साहब मेमसाहब की पसंद क्या है ? आप बता दीजिये मुझे मुझे तो अभी चार दिन ही हुए आये मैं कैसे जानूँ !” कमला बोली। ” रागिनी को बैंगन आलू और पापड़ की सब्जी बहुत पसंद है तुम … Read more

अपने बच्चो को बचाइये – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” निखिल क्या कर रहे हो इतनी रात को!” पानी ले जाती आशा अपने बेटे के कमरे से आती रौशनी देख उसके कमरे मे आई और बोली. ” मम्मा हम कुछ दोस्त है जिनकी पहचान ऑनलाइन गेम खेलते हुई थी.. इसमे कुछ इंडिया के है कुछ बाहर के भी बस उन्ही से थोड़ी चैटिंग चल … Read more

देर आये दुरुस्त आये – संगीता अग्रवाल

” बेटा साक्षी कहाँ चल दी सुबह सुबह ?” सास सरिता अपनी बहू से बोली। ” मम्मी जी वो चाची जी ने बुलाया है उनकी बेटी का सिंधारा जायेगा तो बोली आकर गुंजिया बना दियो तो बस वही बनाने जा रही हूँ !” साक्षी बोली। “पर बेटा तुम्हे तो कल बुखार था अब आज घंटों … Read more

प्यार की डोर – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” नहीं मां मैं अभी शादी नहीं करूंगी!” आराध्या अपनी मां गीता जी से बोली। ” अब नहीं तो कब करेगी पच्चीस की हो गई है लोग क्या कहेंगे जवान बेटी को घर में बैठा रखा है जिससे वो खर्चे चला सके घर के!” गीता जी दुखी हो बोली। ” मां ये लोग तब तो … Read more

जाहिल कौन ? – संगीता अग्रवाल

” किस जाहिल से रिश्ता जुड़ा है तुम्हारा तुम्हे पता भी है !” रिया तंज भरी मुस्कान के साथ बोली।  ” मुझे अब इससे फर्क नही पड़ता किसी से भी जुड़े मेरा रिश्ता !” निशि उदासी भरी आवाज़ मे बोली! ” मतलब !!! तुम्हारा पति दुनिया की नज़र मे जाहिल है इससे तुम्हे फर्क नही … Read more

कलयुगी रावण – संगीता अग्रवाल

” रिया देखो तो कौन आया है ?” बाहर से पापा की आवाज़ सुन बीस साल की रिया जो फोन पर लगी थी बाहर आई।  ” कौन है पापा ?” बाहर आते आते उसने सवाल किया । ” देखो दादी आई है । आज से ये तुम्हारे कमरे मे ही रहेगी !” माँ दादी के … Read more

वक्त कब पलट जाये कोई नही जानता – संगीता अग्रवाल

अभी उसे इस ऑफिस मे आये कुछ ही हफ्ते हुए थे कि उसके अनेकों नाम रख दिये गये कोई उसे पत्थर दिल बोलता कोई , हार्टलेस तो कोई घमंडी । कहने को वो बहुत बड़ी पोस्ट पर था उसके अधीन कई कर्मचारी थे पर शायद ही कोई कर्मचारी उसे पसंद करता हो । उसके चेहरे … Read more

वो सांवली सी लड़की – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“उसकी सांवली सूरत भी बहुत आकर्षक थी कुणाल चौराहे पर मिली थी फिर एक दम ओझल हो गई!” रश्मि घर आ अपने पति कुणाल से बोली। ” किसकी बात कर रही हो तुम रश्मि!” कुणाल अपने मोबाइल से निगाह हटा कर बोला। “मैं जब बाज़ार से सामान ले कर आ रही थी तो लाल बत्ती … Read more

 प्यारा रिश्ता – संगीता अग्रवाल 

“बेटा शादी के बाद तो सबको एडजस्ट करना ही पड़ता है तुम नए थोड़ी हो!” बेटे बहू की खटपट का पता लगने पर स्वाति जी अपने बेटे श्रेयांश को समझाते हुए बोली। ” पर मम्मा मेरी खुद की भी तो लाइफ है महक चाहती है मैं उसके साथ रहूं बस , यार दोस्त सब छोड़ … Read more

क्योकि वो इंसान थी – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

जख्मी तन और मन के साथ पड़ी थी वो एक कोने मे , सुनसान जगह थी वो जहाँ दिन ढलने के बाद इक्का दुक्का लोग ही नज़र आते थे । रात धीरे धीरे गहराती जा रही थी पर वो वही पड़ी थी दीन दुनिया से बेखबर , उसकी हालत ऐसी थी ही नही कि वो … Read more

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