कलयुगी रावण – संगीता अग्रवाल

” रिया देखो तो कौन आया है ?” बाहर से पापा की आवाज़ सुन बीस साल की रिया जो फोन पर लगी थी बाहर आई।  ” कौन है पापा ?” बाहर आते आते उसने सवाल किया । ” देखो दादी आई है । आज से ये तुम्हारे कमरे मे ही रहेगी !” माँ दादी के … Read more

वक्त कब पलट जाये कोई नही जानता – संगीता अग्रवाल

अभी उसे इस ऑफिस मे आये कुछ ही हफ्ते हुए थे कि उसके अनेकों नाम रख दिये गये कोई उसे पत्थर दिल बोलता कोई , हार्टलेस तो कोई घमंडी । कहने को वो बहुत बड़ी पोस्ट पर था उसके अधीन कई कर्मचारी थे पर शायद ही कोई कर्मचारी उसे पसंद करता हो । उसके चेहरे … Read more

वो सांवली सी लड़की – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“उसकी सांवली सूरत भी बहुत आकर्षक थी कुणाल चौराहे पर मिली थी फिर एक दम ओझल हो गई!” रश्मि घर आ अपने पति कुणाल से बोली। ” किसकी बात कर रही हो तुम रश्मि!” कुणाल अपने मोबाइल से निगाह हटा कर बोला। “मैं जब बाज़ार से सामान ले कर आ रही थी तो लाल बत्ती … Read more

 प्यारा रिश्ता – संगीता अग्रवाल 

“बेटा शादी के बाद तो सबको एडजस्ट करना ही पड़ता है तुम नए थोड़ी हो!” बेटे बहू की खटपट का पता लगने पर स्वाति जी अपने बेटे श्रेयांश को समझाते हुए बोली। ” पर मम्मा मेरी खुद की भी तो लाइफ है महक चाहती है मैं उसके साथ रहूं बस , यार दोस्त सब छोड़ … Read more

क्योकि वो इंसान थी – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

जख्मी तन और मन के साथ पड़ी थी वो एक कोने मे , सुनसान जगह थी वो जहाँ दिन ढलने के बाद इक्का दुक्का लोग ही नज़र आते थे । रात धीरे धीरे गहराती जा रही थी पर वो वही पड़ी थी दीन दुनिया से बेखबर , उसकी हालत ऐसी थी ही नही कि वो … Read more

हर रिश्ते की एक मर्यादा है-संगीता अग्रवाल

” श्रुति बेटा तैयार हुई की नही लड़के वाले आते ही होंगे !” सरिता ने बेटी को कमरे के बाहर से आवाज़ दी । ” हां मम्मी हो गई !” ये बोल श्रुति ने दरवाजा खोल दिया। ” नज़र ना लगे मेरी बेटी को कितनी सुन्दर लग रही है !” ये बोल सरिता ने उसके … Read more

लड़की बिना कैसा अस्तित्व !! – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“अरे सुधा आज तो मोहल्ले में कोई कंजक ही नजर नहीं आ रही !” मनोहर जी बाहर से आ बोला। ” अरे ऐसे कैसे जी इतनी कंजक तो है हमारे मोहल्ले में फिर नजर क्यों ना आईं आपने ठीक से देखी ना होगी ।” सुधा जी बोली। ” सब जगह ढूंढा दूसरे मोहल्ले में भी … Read more

तिरस्कार अब और नही – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” तुम होती कौन हो मुझे रोकने वाली मुझे जो करना है वही करूंगा !” पांच साल के आदित्य के मुंह से ये शब्द सुन सकते मे आ गई निशा। ” क्या बोल रहे हो ये मम्मा से ऐसे बात करते है क्या ? कहाँ से सीखे हो ये सब ?” निशा बेटे को डांटते … Read more

 जीवनसाथी – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” आप दोनो का शुभ विवाह सम्पन्न हुआ अब आप पति पत्नी है , अपने सभी बड़ो से आशीर्वाद लीजिये !” विवाह सम्पन्न कराते हुए पंडित जी वर वधू पर पुष्प वर्षा करते हुए बोले । पर नित्या जो अभी अभी राज की पत्नी बनी थी वो तो जैसे वहाँ होकर भी वहाँ नही थी … Read more

 एक थाली खिचड़ी – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

वो प्रायश्चित करना चाहता है उस गलती के लिए जो उससे अनजाने में हुई है । वैसे तो कहते हैं अनजाने में हुई गलती को भगवान भी माफ कर देते है पर क्या खुद का जमीर माफ करता है जी हाँ कुछ गलतियां ऐसी होती है जिन्हें शायद भगवान माफ कर दे पर अपना जमीर … Read more

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