बिटिया रानी बड़ी सयानी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

        सुन रही हो , दस बज गए …अभी तक उठने का नाम नहीं है ….पापा ऑफिस चले गये हैं….पता नहीं कैसे कटेगी इसकी जिंदगी…..दिन भर सोना और देर रात तक मोबाइल चलाना …! जब ससुराल जायेगी ना तब पता चलेगा….. ऐसा बड़बड़ाना साधना के जिन्दगी का एक हिस्सा बन गया था I रोज बेटी तान्या … Read more

नज़रिया – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

     क्या बताऊं कृति…. ये गर्मी आते ही ना एक नया टेंशन शुरू…. एक तो गर्मी की छुट्टियों में बच्चे वैसे भी घर में धमा चौकड़ी मचाए रहते हैं….ऊपर से नंद रानी भी अपने बच्चों को लेकर आ जाती है….!        वो क्या है ना कृति ….तु जितना अपनी नन्द को करती है ना उतना तो कोई … Read more

फैसला —  संध्या त्रिपाठी: Moral Stories in Hindi

    बात उन दिनों की है मानसी एक सशक्त सयुंक्त परिवार का हिस्सा हुआ करती थी, संयुक्त परिवार की मिशाल के रूप में उसके परिवार का नाम लिया जाता था….!! सुंदर, सुशील और सबसे बड़ी बात सुलझी हुई व्यक्तित्व की मालकिन मानसी…. मझली बहू के रूप में इस सशक्त परिवार की हिस्सा बनकर आई थी…! सासू … Read more

वो अनपढ़ स्त्री – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 बला की खूबसूरत थी वो स्त्री…. सजने संवरने के बाद तो उस पर चार चांद ही लग जाते थे…..हाव-भाव , तौर तरीकों से कोई समझ ही नहीं सकता था कि वो अनपढ़ है ….उसके पास कागज की डिग्रियां जो नहीं थी …! पर वो जिंदगी के समीकरण को खूब समझती थी  …रिश्तो के जोड़ घटाव … Read more

बुद्धू मम्मा – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

      चलो बच्चों …7:00 बज गए हैं पढ़ने बैठो…. हां मम्मी… बस 5 मिनट…. आरंभ और आरवी ने पुष्पा की बातों का उत्तर दिया….!            अरे ,अभी तक तुम लोगों की किताबें खुली नहीं …..इधर लाओ मोबाइल ….मुझे दो और तुरंत पढ़ने बैठो….. 5 मिनट बोलकर आधे घंटे से मोबाइल में लगे हो…. पुष्पा गुस्से में बड़बड़ा … Read more

अम्मा – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

    भैया देख ना , फ्रिज में ताला लगा है…. पक्का मां मिठाई मंगवाई होगी…. मामा , मामी आने वाले होंगे…. तन्वी ने तरुण का हाथ पकड़ कर फ्रिज के सामने लाकर खड़ा कर दिया… तरुण ने भी फ्रिज का हैंडल अपनी ओर खींचते हुए कहा…. हां तन्वी ये तो बंद है….।        बस फिर क्या था…. … Read more

नन्ही भावना – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

दस रुपए में कितना सच जानना चाहते हैं साहब….? क्या बोली बेटा….?  तू तो बहुत ज्यादा जबान चलाती है..! बच्ची है , पर बच्ची की तरह तो बिल्कुल व्यवहार नहीं है तेरा….देख बेटा , क्या है ना…. तेरा ये  स्पष्टवादिता होना कई बार तेरे लिए मुसीबत भी बन सकती है…. और कई बार बहुत सहायक … Read more

दान के फल – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 अजी सुनते हैं…. हां , हां यही हूं बोलो ना…. गिरधारी लाल ने सुनयना देवी से कहा…!        आज शनिवार है, मैं सोच रही हूं शनि मंदिर के सामने बैठे  भिखारियों को फल बांट दूं…..ऐसा करिए आप मुझे पांच किलो सेव लाकर दे दीजिए…।       ठीक है , तुम तैयार हो तब तक मैं फल लेकर आता … Read more

सुकून भरी छुट्टी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

    मैं विपुल …. सौम्या का पति…. दो बच्चे आरव और आरना का पिता…. आइए आज नजर डालते हैं मेरे घर पर …..      रविवार का दिन…. सुबह देर तक हम बिस्तर में लेटे हुए थे…… न जाने क्यों आज सवेरे से सौम्या ने बस एक ही रट लगा रखी है ……मुझे छुट्टी चाहिए…… मुझे भी छुट्टी … Read more

अनकहा इश्क – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

     पूछ लो अपनी लाडली से…. शादी करनी भी है या नहीं….   तेज आवाज में , लगभग चीखने वाले अंदाज में तीज प्रताप सिंह ने अपनी पत्नी अनुराधा से कहा…।     अनुराधा ने डरते हुए धीरे बोलने का आग्रह किया….पर आवाज इतनी तेज थी कि अपने कमरे में बैठी बिटिया स्वर्णिमा के कानों में भी इसकी गूंज … Read more

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