भाभी या भाभी माँ – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

आज सुबहसुबह ही भाभी का फोन आया कि जरूरी बात करनी है, जल्दी आ जाओ और फोन काट दिया. मैं ने चाय का प्याला मेज पर रख दिया और अखबार एक ओर रख कर सोचने लगा कि कोई बात जरूर है, जो भाभी ने एक ही बात कह कर फोन काट दिया. लगता है, भाभी … Read more

भाभी – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

कपड़े फैलाते-फैलाते ही  अवनी ने समय का अनुमान लगाया। सूरज सिर के ऊपर आ गया है, बारह तो बज ही रहे होंगे। रविवार का दिन बस कहने भर को छुट्टी का दिन होता है. उस दिन तो उसकी  व्यस्तता और भी बढ़ जाती है। जल्दी से नहा कर अवनी रसोई की तरफ़ लपकी, तभी  सास … Read more

अपमान – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“बेटा! जरा फ्री हो तो … मेरे पांव दबा दो… बहुत दर्द है ।” “हाँ -हाँ तुम्हारी तरह ही फालतू बैठे है… ना…दिनभर तुम्हारे पाँव दबाए… और कोई काम तो है नहीं हमें ।” “रोज-रोज कहाँ कहते है… उमर हो गई है तो … कभी-कभार दर्द होता है तो कहते है…”सरिता रुवाँसी हो गयी और … Read more

error: Content is protected !!