मेरी दोनों बहू आपस में बहन जैसी रहती है! – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

सुरभि आज कल बहुत ख़ुश थी क्योंकि अभी तक वो अपने ससुराल में सबसे छोटी बहू थी जो पूरे परिवार की दुलारी थी , लेकिन कुछ ही दिनों के वो # जेठानी बनने वाली थी।                             सुनिधि का ब्याह एक बड़े परिवार में हुआ था। उसके ससुराल में सास-ससुर और उसकी तीन बड़ी जेठानी और चार … Read more

समझौता अब नहीं! – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“मैं भी इन गुब्बारों की तरह मुक्त गगन में उड़ना चाहती थी पर चाहकर भी नहीं कर पाई।जिम्मेदारियों की बेड़ियों ने ऐसा जकड़ रखा है कि आसमान तो बहुत दूर घर से भी बाहर निकलना  हो तो सोचना पड़ता था “काश! मैं भी एक गुब्बारा होती, कोई मुझे अपने हाथों से आजाद कर देता और … Read more

ननद – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“ दुल्हिन आज रीता ने अपने यहाँ रात के खाने पर तुम लोगों को बुलाया है। अच्छे से तैयार हो कर जाना ।”साधना जी ने अपनी नवविवाहिता बहू स्नेहा से कहा । “जी मम्मी जी,पर मैं कै.. से.. जाऊँगी.. ये तो बैंक के काम से बाहर गए है ।”स्नेहा ने कहा । “ तुम संजना … Read more

भाभी या भाभी माँ – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

आज सुबहसुबह ही भाभी का फोन आया कि जरूरी बात करनी है, जल्दी आ जाओ और फोन काट दिया. मैं ने चाय का प्याला मेज पर रख दिया और अखबार एक ओर रख कर सोचने लगा कि कोई बात जरूर है, जो भाभी ने एक ही बात कह कर फोन काट दिया. लगता है, भाभी … Read more

भाभी – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

कपड़े फैलाते-फैलाते ही  अवनी ने समय का अनुमान लगाया। सूरज सिर के ऊपर आ गया है, बारह तो बज ही रहे होंगे। रविवार का दिन बस कहने भर को छुट्टी का दिन होता है. उस दिन तो उसकी  व्यस्तता और भी बढ़ जाती है। जल्दी से नहा कर अवनी रसोई की तरफ़ लपकी, तभी  सास … Read more

अपमान – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“बेटा! जरा फ्री हो तो … मेरे पांव दबा दो… बहुत दर्द है ।” “हाँ -हाँ तुम्हारी तरह ही फालतू बैठे है… ना…दिनभर तुम्हारे पाँव दबाए… और कोई काम तो है नहीं हमें ।” “रोज-रोज कहाँ कहते है… उमर हो गई है तो … कभी-कभार दर्द होता है तो कहते है…”सरिता रुवाँसी हो गयी और … Read more

निर्णय तो लेना ही पड़ेगा ,कब तक आत्मसम्मान खोकर जियोगी – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“हेलो शमिता! “  “ हाय तारा!” “ कैसी हो शमिता ..” “ फिट एंड फाइन यार! तुम बताओ कैसे हो ??” “ मैं एकदम ठीक हूँ, पर शायद तुम ठीक नही हो…, रो रही थी क्या??आवाज़ में भारीपन है…” “ अरे! नहीं यार..बस… ऐसे ही …।” “अच्छा रुक शाम को ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ में मिलते … Read more

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आत्मसम्मान – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“माँ तुम्हारे खर्चे बढ़ते ही जा रहे है… कोई कंट्रोल नहीं है तुम्हारे खर्चे पर… तुम्हें ज़रा भी अंदाज़ा है कि.. कितनी मेहनत से हम पैसाकमाते है…तुम हो कि… हमने कोई धर्मशाला नहीं खोल रखी है जो…नित्य तुम्हारे रिश्तेदार मुँह उठाए चले आते है…अब पापा नहीं है.. ये घर अब मेरा है.. बेटे की बात … Read more

जो रिश्ता विपत्ति बाँटने के लिए बनाया जाता हैं वह ख़ुद संम्पत्ति बाँटने के चक्कर में बंट जाता हैं… – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

आख़िरकार आज आँगन में दीवार उठ ही गयी। “कृष्ण-लीला सदन” नाम की बहुत ही बड़ी और सुंदर कोठी थी यह अपने शहर प्रयागराज की।श्यामजी अग्रवाल ने बड़े जतन से इस कोठी का निर्माण करवाया था और अपने माँ-पिता के नाम पर नाम रखा “कृष्ण-लीला-सदन”। माँ का नाम लीला और पिता का नाम कृष्ण था।कृष्णकांत जी … Read more

हक़ – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

” नीतू  तुम  अब छोटी बच्ची नहीं एक बेटी की माँ हो, थोड़ा बड़प्पन दिखाओ। क्या हर समय अपनी  ही बड़ी बहन से तुलना करती रहती हो? “ “पापा मैं उसे अपनी बड़ी बहन नहीं मानती… आप और मम्मी भी उसे अधिक प्यार करते हो। इसीलिए उसकी शादी बैंक मैनेजर से की और मेरी एक … Read more

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